देश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच सैनिटाइजर की मांग भी सबसे ज्यादा बढ़ी है. IIT बॉम्बे ने ने एक पोर्टेबल अल्ट्रा वायलेट सैनिटाइजर बनाया है. इस सैनिटाइजर को आप पर्स या जेब में आसानी रख सकते हैं.
इस छोटे पोर्टेबल सैनिटाइजर की मदद से आप आसानी से अपने हाथों को कहीं भी डिसइन्फेक्ट कर सकते हैं. इस अल्ट्रा वायलेट सैनिटाइजर को आईआईटी बॉम्बे के अंबरीश कुंवर, प्रो कुमारसन और प्रो पुरबा जोशी ने तैयार किया है.
ये प्रोटोटाइप स्टेनलेस स्टील और एल्यूमीनियम जाल का उपयोग करके बनाया गया और फिर इसका परीक्षण किया गया था. उनके पास अभी 2 प्रोटोटाइप हैं और इसे जितना संभव हो उतने ज्यादा स्केल में बना सकते हैं.
IIT बॉम्बे के डीन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट मिलिंद आत्रे ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बाजार में मिलने वाले सैनिटाइजर जेल से पेपर, फाइल, नोट और मोबाइल फोन्स को डिसइन्फेक्ट नहीं किया जा सकता है. इनके जरिए भी कोरोना वायरस फैलने का खतरा रहता है.
कॉटन मास्क भी हैं बनाए
IIT बॉम्बे ने कॉटन मास्क बनाए हैं. जिन्हें IIT बॉम्बे की सिक्योरिटी में लगे लोग व अन्य स्टाफ इस्तेमाल कर रहे है. आने वाले दिनों में इंस्टीट्यूट ऐसे 1000 से ज्यादा मास्क बनाने वाला है.
बता दें कि देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. लॉकडाउन के ऐलान के बाद सैनिटाइजर की मांग ज्यादा बढ़ी है. सरकार ने सैनिटाइजर और मास्क के दाम भी तय किए हैं.
यूपी की चीनी मिलें भी बना रही हैंड सैनिटाइजर
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी चीनी मिलों को हैंड सैनिटाइजर बनाने की अनुमति मिली है. पूरे भारत में फैल रहे कोरोना वायरस के चलते इसकी कमी पड़ गई है. राज्य सरकार ने प्रदेश की 119 चीनी मिलों में से 29 को ‘अल्कोहल-बेस’ सैनिटाइजर बनाने की अनुमति दी है.
जिन मिलों को अनुमति मिली है, उनमें से पांच बिजनौर जिले की हैं. इस पहल से चीनी उद्योगों के राजस्व को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. गन्ने के रस से चीनी निकाले जाने के बाद, गुड़ से शराब का उत्पादन किया जाता है. इसलिए, इन मिलों में सैनिटाइजर का उत्पादन करने के लिए कच्चा माल होगा.
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