यूपी में कासगंज के निजामपुर की दलित लड़की शीतल की शादी हाथरस के बसई बाबा गांव के संजय जाटव से धूमधाम से हुई. ये पहला मौका था जब निजामपुर में कोई दलित बग्घी पर चढ़कर जुलूस के साथ गांव में बारात लेकर पहुंचा.
गांव के ऊंची जाति के लोग दलित की शादी में घोड़ी और जुलूस के विरोध में थे. करीब 6 महीने से ये तनाव जारी था. लेकिन प्रशासन के बीच-बचाव के बाद शादी सही से हो पाई.
मामला सुर्खियों में आने के बाद खुद डीजीपी ने सुरक्षा का वादा किया था. शादी के लिए भारी सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया गया. इस मौके पर द क्विंट भी हाथरस पहुंचा. एडिशनल एसपी पवित्र मोहन त्रिपाठी ने द क्विंट से कहा, ठाकुरों और दलितों के बीच आपसी समझौता होने के बाद सबकुछ सही से हो गया.
शनिवार को हमारे पास लिमिटिड फोर्स (14) थी. लेकिन रविवार को करीब 50 पुरुष और महिला पुलिस ऑफिसरों के दो दल मौजूद रहे. इसके अलावा दो पुलिस चेक पॉइंट भी बनाए गए. एक जहां पर खाने की व्यवस्था थी और दूसरा हाइवे के पास जहां से गांव में अंदर घुसने का रास्ता है.पवित्र मोहन त्रिपाठी, एडिशनल एसपी
एसपी ने बताया कि पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था इस इलाके में 17 तारीख की सुबह तक रहेगी, जब तक शादी समारोह खत्म नहीं हो जाता.
दलित लड़की शीतल क्यों है खुश?
शादी के बंधन में बंधने से पहले शीतल ने खुशी जाहिर की और साथ ही थोड़ी निराशा भी. शीतल ने द क्विंट से बातचीत में कहा, “मुझे आज बहुत अच्छा लग रहा है क्योंकि मेरा 6 महीने का सपना आज पूरा हो रहा है. लेकिन मुझे डर भी हैं कि कहीं दंगे न हो जाए.”
पहली बार दलित चढ़ा घोड़ी
संजय के परिवार वालों में खुशी का माहौल साफतौर पर दिखा. दूल्हे संजय ने क्विंट से बातचीत में बताया,
मुझे इस पूरे संघर्ष में काफी अच्छा महसूस हुआ. 21 वीं सदी में पहली बार कोई दलित उस गांव में घोड़ी चढ़कर जाएगा. 6 महीने पहले हम लोगों को किसी तरह की खुशी नहीं थी. लेकिन आज हम खुशी का इजहार कर रहे हैं.द क्विंट से बातचीत में संजय
संजय की बहन ने खुशी जाहिर करते हुए बताया:
बड़े लोग नीची जाति वालों को कुछ नहीं समझते. पानी भरने नहीं जाने देते थे, शादी नहीं करने देते थे, बारात नहीं चढ़ने देते थे, छुआछूत थी. लेकिन आज हमारे भाई ने सब खत्म कर दिखाया. मुझे बहुत खुशी है.संजय की बहन
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