भारत सरकार ने शुक्रवार, 31 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि चिकित्सा कोर्स में एडमिशन के लिए EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) आरक्षण लाभार्थियों की पहचान के मौजूदा मानदंडों को इस शैक्षणिक वर्ष के लिए बरकरार रखा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट में दायर सरकार के हलफनामे की डिटेल 2 जनवरी की सुबह सामने आयी है.
सरकार ने बताया है कि EWS आरक्षण के मानदंड में बदलावों को अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू किया जा सकता है.
सरकार ने SC से कहा है कि EWS आरक्षण के मानदंड को इस समय बदलना जटिलताएं पैदा करेगा. राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के छात्रों के लिए कॉलेजों में एडमिशन और अलॉटमेंट जारी है.
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार संशोधित ईडब्ल्यूएस EWS में विवादास्पद ₹ 8 लाख वार्षिक आय सीमा को तो बरकरार रखा गया है, लेकिन इसके अनुसार परिवार की वार्षिक आय चाहे जो हो, अगर परिवार के पास पांच एकड़ या उससे अधिक की कृषि भूमि है तो उसे EWS आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि उसने ऑल इंडिया कोटा में EWS लाभार्थियों की पहचान करने के लिए ₹ 8 लाख से कम की वार्षिक आय का बेंचमार्च क्यों तय किया है - जबकि ओबीसी के बीच 'क्रीमी लेयर' के निर्धारण के लिए भी यही मानदंड है.
इसी के जवाब में सरकार ने अब हलफनामा दायर किया है.
नवंबर में हुई पिछली सुनवाई में सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मौजूदा मानदंडों पर फिर से विचार किया जाएगा और चार सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाएगा.
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