प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Varanasi) में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) और श्रृंगार गौरी मामले में अब नया मोड़ आ गया है. ज्ञानवापी में पूजा के अधिकार की मांग करते हुए याचिका डालने वाले हिंदू पक्ष में फूट दिखाई देने लगी है.
याचिका दायर करने वाली 5 में से एक महिला ने अलग रुख अपना लिया है. इस मामले में मुख्य वादी राखी सिंह के पैरोकार विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जीतेंद्र सिंह बिसेन ने अन्य चार वादी महिलाओं से आग्रह किया है कि वे मुकदमे से अलग हो जाएं. उनका कहना है कि
"आदि विशेश्वर स्वयंभू शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग करना करोड़ों हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचाना है. ऐसे में फिलहाल एक साथ रह कर इस मुकदमे को लड़ना संभव नहीं हो पा रहा. सहयोगी महिलाएं लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक अलग हो जाएं तो अच्छा रहेगा."
आपसी मतभेद से मुकदमे को लक्ष्य तक पहुंचने में बाधा- राखी सिंह के वकील
विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने कहा कि "आपसी मतभेद और एक दूसरे से तालमेल न बैठने के कारण मुकदमे को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में बाधा आ रही है. क्योंकि यह मुकदमा करोड़ों सनातनी हिंदुओं की भावनाओं से जुड़ा हुआ है. मुकदमे पर पूरा सनातन समाज अपनी नजर गड़ाए बैठा है. ऐसे में हमारा आपसी मतभेद पूरे सनातन समाज की भावनाओं को आहत कर रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि "बिना विचार किए और बिना सिर पैर की बयानबाजी हम सभी को अपने लक्ष्य से भटका रही है. भगवान आदि विश्वेश्वर स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की कार्बन डेटिंग की मांग करना अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है. कार्बन डेटिंग या अन्य किसी प्रकार की वैज्ञानिक जांच अगर करवानी थी तो पूरे परिसर की करवानी चाहिए थी. इसमें हमारा पूरा सहयोग और समर्थन रहता लेकिन शिवलिंग की आयु, आकृति और प्रकृति के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए उस पवित्र शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग करना हमारी नजर में ठीक नहीं है, इसीलिए इस मांग का राखी सिंह की ओर से न्यायालय में विरोध किया गया है."
एप्लीकेशन लगाने से पहले महिलाओं ने नहीं की बात
बिसेन ने आरोप लगाया कि कार्बन डेटिंग के लिए एप्लीकेशन लगाने से पहले अन्य वादी महिलाओं ने हमारे वकीलों से बात नहीं की. उन्होंने कहा कि एक दूसरे के मतभेद के साथ हम लोग कोर्ट में काम करेंगे तो शायद उस पवित्र उद्देश्य की प्राप्ति हम लोगों के लिए असंभव हो सकती है.
उन्होंने कहा कि आप लोग संख्या में अधिक हैं यानी चार हैं और हमारा पक्ष संख्या में कम है यानी एक है. कोर्ट आपकी बात जरूर मानेगा. इस बात को ध्यान में रखते हुए आप लोग कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र देकर अपने मुकदमे को अलग-अलग करवा लें, यानी चार महिलाओं का मुकदमा अलग और राखी सिंह का मुकदमा अलग हो जाए. आप लोगों की इस मांग का हम अपनी तरफ से पूरा समर्थन करेंगे. इससे न्यायिक कार्यवाही में किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं होगी और हम सभी स्वतंत्र रूप से अपने अपने लक्ष्य की ओर बढ़ पाएंगे.
राखी सिंह के वकील का दावा-हमारी बहस के आधार पर कोर्ट ने आदेश दिया
विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने अपने पत्र में लिखा ही कि मेरा चारों वादी महिलाओं से एक निवेदन है कि आप लोग कोर्ट में एक और एप्लीकेशन भी लगाएं कि 7/11 में जो बहस हुई है, उस बहस के आधार पर न्यायालय ने जो आदेश दिया है उसमें स्पष्ट करें यह आदेश किसकी बहस को स्वीकार करते हुए दिया गया है. क्या यह वादी संख्या 2 से 5 की बहस को आधार मानकर दिया गया है या वादी संख्या एक राखी सिंह की ओर से जो बहस हुई थी, उसको आधार मानकर दिया गया है.
कार्बन डेटिंग से शिवलिंग खंडित हो जाएगा
ज्ञानवापी मंदिर और सिंगार गौरी मामले में वादी राखी सिंह के पैरोकार और विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन का कहना है कि वैज्ञानिक आधार पर जब भी किसी वस्तु या अन्य धातु का कार्बन डेटिंग किया जाता है तो उस दौरान उस वस्तु का टुकड़ा, छीलन या धातु लिया जाता है. उसके बगैर कार्बन डेटिंग असंभव है. उन्होंने कहा हमारी लड़ाई पूरे परिसर की है न कि आदि विशेश्वर स्वयंभू शिवलिंग की.
उन्होंने हिंदू पक्ष पर आरोप लगाया कि जो मांग मुस्लिम पक्ष को करनी चाहिए थी वह हिंदू पक्ष कर रहा है. यह काफी अशोभनीय है और राखी सिंह इसका पूर्ण विरोध करेंगी, ताकि आदि विशेश्वर के कथित शिवलिंग का कार्बन डेटिंग न हो सके. उन्होंने कहा पूरे परिसर की कार्बन डेटिंग कराने से उन्हें कोई परहेज नहीं है, लेकिन स्वयंभू शिवलिंग का कार्बन डेटिंग न हो उसके लिए पूरी कोशिश करेंगे.
इनपुट- चंदन पांडेय
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