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कोरोना का इलाज खोजने में WHO का हिस्सा बन सकता है भारत

इलाज के लिए लाये गए 10 हजार वेंटीलेटर

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कोरोनावायरस के इलाज की दवा विकसित करने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ साझा परीक्षण प्रक्रिया में भारत भी भागीदारी कर सकता है.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की महामारी और संक्रामक रोग इकाई के प्रमुख डा. रमन आर गंगाखेडकर ने शुक्रवार को जानकारी दी. उन्होने कहा कि उम्मीद है कि हम जल्द ही डब्ल्यूएचओ की परीक्षण प्रक्रिया में भागीदारी करेंगे. उन्होंने बताया पहले भारत ने इसमें भागीदारी नहीं की थी.

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इस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव लव अग्रवाल ने कोरोनावायरस के संक्रमण की मौजूदा स्थिति के बारे में बताया कि पिछले 24 घंटे के दौरान देश में इस वायरस के संक्रमण के 75 नये मामलों की पुष्टि हुयी है और इस अवधि में चार मरीजों की मौत हुई है.

इलाज के लिए लाए गए 10 हजार वेंटीलेटर

संक्रमण के परीक्षण और इलाज के लिये जुटाये जा रहे संसाधनों के बारे में अग्रवाल ने बताया कि एक पब्लिक सेक्टर फर्म को 10 हजार वेंटीलेटर की आपूर्ति की जिम्मेदारी दी गयी है. उन्होंने कहा कि देश में जरूरी उपकरणों की कमी को दूर करना के लिये भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को अगले एक दो महीने के भीतर 30 हजार अतिरिक्त वेंटिलेटर की खरीद सुनिश्चित करने को कहा गया है.

मजदूरों के पलायन को रोकने की हो रही है कोशिश

दिल्ली सहित अन्य महानगरों से प्रवासी मजदूरों के अपने गृह राज्यों के लिये पैदल ही पलायन करने के बारे में गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि इस स्थिति को रोकने के लिये संबद्ध राज्य सरकारों से प्रवासी मजदूरों के लिये भोजन और आश्रय के पुख्ता इंतजाम करने को कहा गया है. जिससे वे जहां हैं, वहीं सुरक्षित रह सकें.

उन्होंने हालांकि, शहरी इलाकों में फंसे मजदूरों को उनके घर भेजने की किसी योजना की संभावना से इंकार कर दिया. श्रीवास्तव ने कहा कि लॉकडाउन का मकसद लोगों का आवागमन रोक कर जो जहां है वहीं सुरक्षित रखना है.

टेलीमेडिसिन से मदद ले सकते हैं

इस बीच, कोरोना के भय से स्थानीय अस्पतालों और डिस्पेंसरी के ओपीडी में मरीजों का इलाज बंद होने के सवाल पर अग्रवाल ने कहा कि चिकित्सा सेवा आपात सेवा में शामिल है, इसलिये अस्पतालों की ओपीडी कार्यरत हैं. इसके अलावा सरकार ने ऑनलाइन चिकित्सा परामर्श के लिये ‘टेलीमेडिसिन’ की भी इजाज़त दे दी है. जिससे निजी डिस्पेंसरी और अस्पतालों के चिकित्सकों से लोग ऑनलाइन चिकित्सा परामर्श ले सकेंगे.

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