इंदौर की रहने वाली 30 साल की एक महिला का वीडियो 26 जुलाई को tedthestoner नाम के इंस्टाग्राम पेज पर अपलोड हुआ और इसके बाद ये वायरल होना शुरू हो गया. दरअसल ये वीडियो इस महिला ने सबसे पहले फेसबुक पर साक्षी शर्मा नाम की अपनी फेसबुक आईडी पर 25 जुलाई 2020 शाम 4.46 पर लाइव किया था. इसी वीडियो को बाद में इंस्टाग्राम पर अपलोड किया गया. इस वीडियो को करीब 84 लाख लोग देख चुके हैं और अब हर कोई जानना चाहता है कि पूरा मामला क्या है.
9 मिनट के इस वीडियो में महिला बताती है कि ये उसका आखिरी वीडियो है. वो कहती है - ''मैं पिपल्याना स्क्वेयर, तिलक नगर, इंदौर में रहती हूं. मैं बेसहारा कुत्तों को पालती हूं. उन्हें शरण देती हूं. 10 महीने से पुलिस परेशान कर रही है. आसपास के लोग परेशान कर रहे हैं. तिलक नगर थाने के चक्कर लगा रही हूं. 3 दिन पहले मेरे कुत्ते को मार डाला गया. मुझे जान से मारने की धमकी दी जा रही है. अगर मेरा कोई पीछा करता है तो पुलिस कहती है कि मैं अकेली क्यों रहती हूं. इंदौर में शासन प्रशासन कुछ नहीं है. अकेले रहना संभव नहीं है.'
महिला ने अपनी बात के सबूत के तौर पर अपनी फेसबुक प्रोफाइल और यूट्यूब चैनल पर वीडियो भी डाले हुए हैं.
इस वीडियो के वायरल होने के बाद क्विंट ने इंदौर पुलिस के तिलक नगर थाना इंचार्ज दिनेश वर्मा से बात की. दिनेश वर्मा ने हमें बताया- 'ये वीडियो वायरल होने के बाद मैं पुलिस दल के साथ और पीपल्स फॉर एनीमल की अध्यक्ष प्रियांशु जैन को लेकर गया. हमने उनकी काउंसलिंग की. उनकी समस्या है कि आसपास भेड़ पालक आते हैं जिससे उनके कुत्तों को दिक्कत होती है. हमने इस संबंध में बीट प्रभारी को कहा है कि वो सुनिश्चित करें कि उनको दिक्कत न हो. सोशल मीडिया पर उन्होंने कुछ बातें कही हैं जो तथ्यहीन है. वो कह रही हैं कि पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है. 9 मार्च को ही उनकी शिकायत पर FIR दर्ज की गई थी. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार भी किया. लेकिन सोशल मीडिया पर उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया. उनकी जान को कोई खतरा नहीं है. वहां आसपास के लोगों से भी हमने बात की है. चौकीदार को भी थाने में लाकर समझाया है.'
ये है 9 मार्च को इस महिला की शिकायत पर दर्ज की गई FIR की कॉपी-
- 01/04महिला की शिकायत पर दर्ज की गई FIR की कॉपी(फोटो: क्विंट हिंदी)
- 02/04महिला की शिकायत पर दर्ज की गई FIR की कॉपी(फोटो: क्विंट हिंदी)
- 03/04महिला की शिकायत पर दर्ज की गई FIR की कॉपी(फोटो: क्विंट हिंदी)
- 04/04महिला की शिकायत पर दर्ज की गई FIR की कॉपी(फोटो: क्विंट हिंदी)
महिला का पहला नाम समरीन बानो
पुलिस ने कहा कि-''जब हमने तफ्तीश की तो पता चला कि इनका मूल नाम समरीन बानो है और पिता का नाम दिलशाद सिद्दकी है. यूपी, नोएडा, दादरी, आजादपुर जैसे कई थानों में इनके खिलाफ शिकायत दर्ज हुई है. गोवा और हैदराबाद में भी रही हैं. इंदौर में भी थाना एयरोड्रम में नीतीश कुमार त्रिपाठी ने महिला के खिलाफ शिकायत की थी. आरोप था कि 30 हजार रुपए किराया नहीं दिया"
पुलिस का ये भी कहना है कि ये महिला डिप्रेशन में हैं और मानसिक रूप से अस्थिर हैं.
- 01/02महिला का आधार कार्ड(फोटो: क्विंट हिंदी)
- 02/02महिला का आधार कार्ड(फोटो: क्विंट हिंदी)
'मैंने खुद बदला नाम'
इसके बाद हमने महिला साक्षी शर्मा उर्फ समरीन बानो से बात की. उन्होंने बताया-'मेरा नाम साक्षी शर्मा है. हालांकि मैं एक मुस्लिम परिवार में पैदा हुई थी और मेरा नाम समरीन बानो था. परिवार को कई साल पहले छोड़ चुकी हूं. अब उनसे मेरा कोई संबंध नहीं. ये मेरी मर्जी नहीं थी कि मैं किस परिवार में पैदा होती हूं. मैंने अपना धर्म अपनी मर्जी से छोड़ा. कानूनी तौर पर छोड़ा.'
इसके सबूत के रूप में साक्षी ने हमें एफिडेविड दिखाया, ये काजगात नवंबर 2019 के हैं जब उन्होंने अपने नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू की.
- 01/02महिला का नाम बदलवाने संबंधित एफिडेविड(फोटो: क्विंट हिंदी)
- 02/02महिला का नाम बदलवाने संबंधित एफिडेविड(फोटो: क्विंट हिंदी)
साक्षी कहती हैं- ''मेरे लिए हिंदू या मुस्लिम धर्म सिर्फ शब्द हैं. मेरे लिए इसके कोई मायने नहीं हैं. अगर समाज मुझे इजाजत दे कि मैं बिना नाम के रहूं तो मैं उसमें ज्यादा खुश हूं. मैंने इंदौर पुलिस को 16 मार्च को संबंधित दस्तावेज दे दिए थे. लेकिन वो अभी तक कह रही है कि मैं फ्रॉड कर रही हूं.'
16 साल की उम्र में घर छोड़ दिया
साक्षी बताती हैं कि "मेरा परिवार लखनऊ में था वहीं मैं पली बढ़ी. मैंने साढ़े सोलह साल की उम्र में घर छोड़ दिया. मुझे घर का माहौल पसंद नहीं था. वहां के बाद मैं दिल्ली में निरंकारी कॉलोनी में पीजी में रहती थी. कई लोगों ने मेरी मदद की. मैंने मेरठ यूनिवर्सिटी से माइक्रोबायोलॉजी में बी.एससी. और एम.एससी पूरा किया. इसके साथ में जॉब भी किया करती थी. मैंने दिल्ली-NCR में कई कंपनियों में नौकरियां कीं. पुलिस मुझे मानसिक रूप से अस्थिर बताती है. अगर मैं मानसिक रूप से स्थिर नहीं होती तो मुझे कोई नौकरी क्यों देता."
साक्षी ने बताया कि इन्होंने दिल्ली में ज्यादातर कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम किया. इनका दावा है कि नोएडा की सिल्वर इंक टेक्नोलॉजी नाम की कंपनी के लिए वर्क फ्रॉम होम किया. हैदराबाद में BC फॉरवर्ड नाम की कंपनी के लिए भी काम किया. साक्षी ने बतौर सबूत BC फॉरवर्ड नाम की IT रिक्रूटमेंट कंपनी का आइडेंटिटी कार्ड शेयर किया.
- 01/02साक्षी BC फॉरवर्ड नाम की कंपनी में काम करती थी(फोटो: क्विंट हिंदी)
- 02/02साक्षी BC फॉरवर्ड नाम की कंपनी में काम करती थी(फोटो: क्विंट हिंदी)
मैंने कभी भी, कुछ भी गलत नहीं किया: साक्षी
साक्षी का कहना है कि उन्होंने इंदौर पुलिस के कथित गोरखधंधों के खिलाफ आवाज उठाई इसलिए पुलिस उन्हें पागल साबित करने की कोशिश कर रही है. ''पुलिस जो देश के अलग-अलग शहरों में मेरे खिलाफ केस दर्ज करने की बात कर रही है उन केसों के बारे में मुझे नहीं पता है. मुझे आज तक किसी भी केस की जांच में नहीं बुलाया गया. मुझसे किसी भी केस के संदर्भ में पुलिस ने पूछताछ नहीं की. कोर्ट नहीं जाना पड़ा. जब मैंने कुछ गलत किया ही नहीं है तो कोई दिक्कत नहीं है."
जानवरों से ऐसे हुआ प्रेम
साक्षी के एनीमल लवर बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. साक्षी बताती हैं कि 'दिल्ली में नौकरी के दौरान मेरे दोस्तों की फैमिली, बॉयफ्रेंड, गर्लफ्रेंड हुआ करते थे. लेकिन मेरा कोई नहीं था तो मैंने सड़क के आवारा कुत्तों से प्यार करना शुरू किया. और तब मैंने पाया कि कुत्ते तो इंसानों से भी बेहतर हैं. इसके बाद मैंने कुत्तों को अडॉप्ट करने के बारे में सोचा. मैंने पीएफए (पीपल्स फॉर एनीमल इंडिया) का पोस्ट देखा और मैं 2 कुत्ते ले आई. मैंने 3 साल तक इन कुत्तों को पाला.
साक्षी ने PFA पर लगाए गंभीर आरोप
पीपल्स फॉर एनीमल इंडिया (PFA) देश का सबसे बड़ा एनीमल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन है, जिसके देशभर मे लाखों मेंबर हैं. इसकी फाउंडर बीजेपी नेता मेनका गांधी हैं. साक्षी का आरोप है कि PFA ने उनके कुत्तों को किड्नैप कर लिया.
साक्षी PFA की फंडिंग से लेकर उसके कामकाज के तरीकों पर कई सारे सवाल उठाती हैं.
"मैं उनके कारनामे उजागर कर रही हूं इसलिए ये सब हो रहा है. पुलिस भी इनके इशारे पर काम कर रही है. मैं पावर पॉलिटिक्स की विक्टिम हूं. पूरी कहानी का सारांश ये है"साक्षी शर्मा
हालांकि PFA पर लगे आरोपों को मेनका गांधी ने एक ट्वीट में गलत बताया है और साक्षी को ही कठघरे में खड़ा किया है.
इंदौर PFA के लिए काम करने वाली प्रियांशु जैन से भी क्विंट ने बात की. साक्षी की काउंसलिंग के लिए प्रियांशु भी पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही हैं. प्रियांशु बताती है कि 'साक्षी की शिकायत पर 9 मार्च को शिकायत दर्ज हो चुकी थी. मेडिकल भी हुआ था. एक और केस उन्होंने रजिस्टर किया था जिसमें वो कह रही है कि चौकीदार ने उनका कुत्ता मार दिया. उस केस में हमने पोस्टमॉर्टम का लेटर दिलवाया था. PM होने के बाद हम FIR करवाना चाहते थे. लेकिन PM नहीं हो पाया था. उनका 3 महीने का एक और कुत्ता गायब है. पुलिस ने रतिराम और चौकीदार को थाने बुलाकर समझा दिया है. आगे की जांच भी पुलिस कर रही है.'
पड़ोसियों-मकान मालिक का क्या कहना है
पुलिस का कहना है कि जिस जगह साक्षी नाम की महिला रहती हैं. वहां के पड़ोसी भी इनकी वजह से परेशान हैं. आपको बता दें कि ये जिस इलाके में रहती हैं वहां पर ज्यादा घर नहीं है. हमारी बात इनके घर के पास रहने वाली अंशू से हुई. उनका कहना है कि- ''मेरे साक्षी से अच्छे संबंध हैं. वो मुझे मां की तरह मानती है और मैं भी उसे बेटी की तरह देखती हूं.'' जब हमने पुलिस से पूछा कि कौन से पड़ोसी इस महिला से नाराज हैं तो पुलिस ने दावा कि महिला के डर की वजह से कोई भी सामने नहीं आना चाहता. हर कोई ऑफ द रिकॉर्ड ही इनकी शिकायत करता है.
हालांकि साक्षी जिस घर में पहले किराए पर रहती थीं, उसकी मकान मालकिन सीमा त्रिपाठी को उनसे कई शिकायतें हैं. सीमा ने साक्षी के खिलाफ अपने इंस्टा अकाउंट पर वीडियो भी डाले हैं
इंदौर के DIG हरिनारायणचारी ने क्विंट को बताया है कि महिला के तमाम आरोपों और महिला पर लगे तमाम आरोपों की जांच की जा रही है
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)