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जहांगीरपुरी: SC के आदेश के बाद भी 2 घंटे चला बुलडोजर, MCD ने कहा, आदेश नहीं मिला

जहांगीरपुरी हिंसा के बाद अवैध निर्माण तोड़ने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई.

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दिल्ली के जहांगीरपुरी (Jahangirpuri) में हनुुमान जयंती के मौके पर हुई हिंसा के बाद उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अवैध अतिक्रमण को हटाने के नाम पर इलाके में बुलडोजर चलाने का अभियान शुरू किया था. लेकिन इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी में MCD की कार्रवाई पर रोक लगा दी है.

बुधवार 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में कल यानी बुधवार को सुनवाई करेगा. 

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 1 घंटे बाद भी कार्रवाई जारी

सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी में MCD की कार्रवाई पर रोक तो लगा दी है, लेकिन एमसीडी का बुलडोजर रुकने का नाम नहीं ले रहा है. कोर्ट के आदेश के एक घंटे बाद भी एमसीडी के अधिकारी अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. एमसीडी कमिश्नर का कहना है कि अभी हमें सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मिला है. आदेश मिलने तक हम कार्रवाई जारी रखेंगे.

वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की जानकारी देने के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की वरिष्‍ठ नेता वृंदा करात जहांगीरपुरी पहुंची हैं. उन्होंने कहा,

सुप्रीम कोर्ट ने सुबह 10:45 पर अतिक्रमण विरोधी अभियान पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. जो बुलडोजर यहां कानून की धज्जियां उड़ा रहा है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा रहा है मैं उसे रोकने यहां आई हूं.

वहीं एमसीडी की कार्रवाई को लेकर याचिकाकर्ता दोबारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचें हैं. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि एमसीडी ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं माना है और कार्रवाई जारी रखी है.

जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि इसे तुरंत रजिस्ट्रार जनरल सुप्रीम कोर्ट को सूचित करना होगा.

जिसपर सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि इससे बहुत गलत संदेश जाता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी इसे रोका नहीं जा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गई हैं. यूपी, एमपी समेत देश के अन्य हिस्सों में हिंसा के बाद लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई के खिलाफ याचिका दायर की गई है. इसके अलावा दूसरी याचिका दिल्ली के जहांगीरपुरी में एमसीडी की कार्रवाई के खिलाफ दायर की गई है. दूसरी याचिका जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा आपराधिक घटनाओं में शामिल व्यक्तियों के घरों को गिराने के खिलाफ दायर की गई है.

जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) में केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी कि दंडात्मक उपाय के रूप में किसी भी आवास या वाणिज्यिक संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए.

याचिका में दंगों जैसी आपराधिक घटनाओं में कथित रूप से शामिल लोगों के प्रति दंडात्मक उपाय के रूप में मध्य प्रदेश की हालिया घटना सहित कई राज्यों में सरकारी प्रशासन द्वारा संपत्तियों के विध्वंस की बढ़ती घटनाओं का हवाला दिया गया है.

याचिका में कहा गया है,

"मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री सहित कई मंत्रियों और विधायकों ने इस तरह के कृत्यों की वकालत करते हुए बयान दिए हैं और विशेष रूप से दंगों के मामले में अल्पसंख्यक समूहों को उनके घरों और व्यावसायिक संपत्तियों को नष्ट करने की धमकी दी है. सरकारों द्वारा इस तरह के उपाय हमारे देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को कमजोर करते हैं, जिसमें अदालतों की महत्वपूर्ण भूमिका भी शामिल है."
सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने सुनवाई के दौरान कहा कि जहांगीरपुरी में जहां दंगे हुए, वहां असंवैधानिक, अनाधिकृत तोड़फोड़ हो रही है. 10 दिनों में जवाब देने के लिए कोई नोटिस नहीं दिया गया था. जिसपर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि हम यथास्थिति को निर्देशित करते हैं. इस मामले की सुनवाई कल होगी.

याचिका में कहा गया है कि बिना किसी जांच या अदालत के फैसले के अभियुक्तों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई अपने आप में उनके अधिकारों का उल्लंघन है.

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में लिखा है कि इन विध्वंस अभियानों के शिकार बड़े पैमाने पर मुस्लिम, दलित और आदिवासी जैसे धार्मिक और जातिगत अल्पसंख्यक हो रहे हैं. याचिका में कहा गया है, "मध्य प्रदेश के गृह मंत्री ने यहां तक ​​कह दिया है कि अगर मुसलमान इस तरह के हमले करते हैं, तो उन्हें न्याय की उम्मीद नहीं करनी चाहिए."

यही नहीं याचिकाकर्ता ने इस बात पर भी रौशनी डालने की कोशिश की है कि ध्वस्त संपत्तियों में से कम से कम एक केंद्र सरकार की पहल के तहत बनाई गई थी, जिसे "प्रधान मंत्री आवास योजना" कहा जाता है, जिसका उद्देश्य समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को किफायती आवास प्रदान करना है. ऐसे में यह तर्क गलत साबित होता है कि इन संपत्तियों को अवैध रूप से बनाया गया था.

कोर्ट के ऑर्डर पर क्या कहना है एमसीडी का?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जहांगीरपुरी में उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे विध्वंस अभियान पर रोक लगा दी गई है. नॉर्थ MCD के मेयर राजा इकबाल सिंह ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर को माना जाएगा, अगर बुलडोजर हटाने का आदेश होगा तो उसे तुरंत हटाया जाएगा.

उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त, संजय गोयल ने कहा, "हमें अभी जहांगीरपुरी इलाके में अतिक्रमण विरोधी अभियान पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में पता चला. पहले आदेश पढ़ेंगे और उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे."

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