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कर्नाटक के CM, मंत्री और विधायक जंतर-मंतर पर क्यों कर रहे प्रदर्शन? केंद्र से क्या है मांग?

"कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, सभी 34 मंत्री और 135 विधायक विरोध-प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं"- सीएम सिद्दारमैया

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री, सभी मंत्री और सैंकड़ो विधायक दिल्ली में जंतर मंतर (Jantar Mantar) पर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कर्नाटक के सीएम सिद्दारमैया (CM Siddaramaiah) ने कहा कि केंद्र ने राज्य को जो वादा किया था उसका उचित हिस्सा राज्य को नहीं मिल रहा है इसलिए ये विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.

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कर्नाटक सरकार की मांग है कि केंद्र संविधान के नियमों के हिसाब से ही राज्य को पर्याप्त वित्तीय संसाधन मुहैया कराए.

सीएम सिद्दारमैया ने कहा कि ये विरोध राजनीतिक नहीं है. उन्होंने कहा, “आज हम ऐतिहासिक जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, सभी 34 मंत्री और 135 विधायक विरोध-प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं. यह राज्य और कर्नाटक के लोगों के हित में किया गया एक विरोध-प्रदर्शन है.”

कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा, "हमें विश्वास है कि हमें न्याय मिलने वाला है. यहां तक कि वे (केंद्र सरकार) जानते हैं कि अन्याय हुआ है. हम कर्नाटक के लिए न्याय मांग रहे हैं.

मामला क्या है?

सीएम सिद्दारमैया बोले, “आयकर, जीएसटी, उपकर, अधिभार और सीमा शुल्क के जरिए कर्नाटक केंद्र को 4.30 लाख करोड़ रुपये का टैक्स दे रहा है. लेकिन केंद्र की ओर से राज्य से लिए गए 100 रुपये में से 12 से 13 रुपये ही वापस दिये जाते हैं. कर्नाटक को 50,257 करोड़ रुपये मिल रहे हैं."

सीएम सिद्दारमैया ने कहा, "जहां उत्तर प्रदेश को 2.80 लाख करोड़ रुपये और बिहार को एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा दिए गए हैं."

कर्नाटक सीएम ने कहा कि वह इस बात के विरोध में नहीं हैं कि कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि वाले राज्यों को केंद्र ज्यादा पैसा क्यों दे रही है. उन्होंने कहा, हमारा विरोध इस बात का है कि हमें हमारे प्रतिनिधित्व के मुताबिक पैसा मिले.

पांच साल पहले कर्नाटक को 50 हजार करोड़ रुपये मिलते थे. आज जब बजट का आकार दोगुना हो गया है, तब भी राज्य को केवल 50,257 करोड़ रुपये मिल रहे हैं. क्या यह अन्याय नहीं है?
कर्नाटक के सीएम सिद्दारमैया

उन्होंने कहा, "यदि संसाधनों का बंटवारा 1971 की जनगणना के अनुसार किया जाता है तो कोई अन्याय नहीं होता, मौजूदा वक्त में बंटवारा 2011 की जनगणना के अनुसार किया जाता है. जिन राज्यों ने जनसंख्या को नियंत्रित नहीं किया है उन्हें ज्यादा आवंटन दिया जाता है."

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