केरल में मुस्लिम शख्स और हिंदू युवती की रद्द शादी का मामला फिर सुर्खियों में है. 2016 में हुई इस शादी की जांच सुप्रीम कोर्ट ने NIA को सौंप दी है. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस, जांच की निगरानी करेंगे.
बता दें कि इस शादी को केरल हाईकोर्ट ने लव जिहाद का मामला बताते हुए रद्द कर दिया था, अपनी शादी बचाने के लिए मुस्लिम शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो कोई भी निष्कर्ष
- NIA की रिपोर्ट
- केरल पुलिस से मिली जानकारी
- युवती से बातचीत के आधार पर ही निकालेगा.
पूरा मामला क्या है?
केरल के रहने वाले शफीन जहां और अखिला अशोकन ने साल 2016 में शादी की थी. बाद में अखिला ने इस्लाम धर्म अपनाकर नाम हदिया कर लिया. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2016 में अखिला उर्फ हदिया के पिता केएम अशोकन ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर अपने दामाद को कट्टरवादी बताया और कहा कि उसपर कई क्रिमिनल केस है.
23 दिसंबर को हदिया कोर्ट में पेश हुई और कहा कि उसने अगस्त, 2016 में इस्लाम धर्म अपना लिया था. वहीं हदिया के पिता अशोकन ने दावा किया की हदिया का 'ब्रेन वॉश', ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही कर दिया गया था.
अशोकन ने इसके पीछे कथित तौर पर इस्लामिक स्टेट की साजिश की बात कही, और ये भी कहा कि हदिया को दूसरे लोगों की तरह सीरिया भेजा जा सकता है. उन्होंने कहा था कि हदिया उर्फ अखिला का चयन सीरिया में इस्लामिक स्टेट के मिशन के लिए किया गया और शफीन जहां तो केवल एक कठपुतली था.
24 मई, 2017 को पुलिस ने अपनी रिपोर्ट पेश की और केरल हाईकोर्ट ने शफीन-हदिया की शादी रद्द करते हुए कहा था कि ये मामला 'लव जिहाद ' का है. साथ ही उसने राज्य पुलिस को ऐसे मामलों की जांच करने के लिए आदेश भी दिया था. इसके बाद शफीन ने इसे अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी.
कोर्ट की कार्रवाई में क्या हुआ?
फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि NIA पूरी तस्वीर सामने लाएगी और ये पता लगाएगी कि क्या ये खास मामला एक छोटी जगह तक ही सीमित है या व्यापक रूप में है. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले याचिकाकर्ता शफीन के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के इस कदम का विरोध किया था, उस वक्त कोर्ट ने कहा कि वकील NIA पर संदेह क्यों जता रहा है? कोर्ट ने कहा कि मकसद ये है कि पूरे मामले पर पूरी तस्वीर सबके सामने रखी जा सके.
युवती के पिता केएम अशोकन की तरफ से वकील माधवी दीवान ने कहा, केरल में कट्टरवाद बड़े पैमाने पर है, जो दिख रहा है उससे ज्यादा ही फैला हुए है. ऐसे में इसके पीछे शामिल लोगों की पहचान के लिए स्वतंत्र जांच की जरूरत है.
वहीं याचिकाकर्ता शफीन जहां के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट को लड़की से बात करने के बाद ही कोई फैसला लेना चाहिए. वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने पीठ से कहा कि यह अंतर-धार्मिक मामला है, इसलिए अदालत को इसमें सावधानी बरतनी चाहिए.
कोर्ट ने इससे पहले युवती के बार-बार अपनी आइडेंटीटी (नाम) बदलने पर भी सवाल उठाए थे , कोर्ट ने कहा कि उसके पास तीन नाम क्यों हैं? किस 24 साल की लड़की के पास 3 नाम होते हैं.
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