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खान सर RRB-NTPC आंदोलन का चेहरा कैसे बने? इतना असर कैसे कि एक अपील पर छात्र शांत

खान सर फौजी बनना चाहते थे, लेकिन किस कमी की वजह से छांट दिए गए?

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RRB-NTPC रिजल्ट को लेकर बिहार से शुरू हुआ आंदोलन यूपी तक पहुंच गया. कई शहरों में प्रदर्शन हुए. गया में ट्रेन के डिब्बे जला दिए गए. प्रयागराज में पुलिस ने हॉस्टल में घुसकर लाठियां भांजी. इन सबके बीच एक नाम सामने आया. खान सर (Khan sir). कहने को तो यूट्यूब पर पढ़ाते हैं, लेकिन प्रभाव ऐसा कि रेलवे को लेकर ट्वीट किया तो ट्रेंड बन गया. आंदोलन न करने की अपील की तो वीडियो को 15 घंटे के अंदर 3 मिलियन से ज्यादा बार देखा गया. छात्र भी मान बात गए और पीछे हट गए. ऐसे में सवाल उठता है कि खान सर एक टीचर हैं, यूट्यूबर हैं या इन्फ्लूएंसर. आखिर वे इतने बड़े आंदोलन का चेहरा कैसे बन गए?

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कौन हैं खान सर-असली नाम क्या है?

RRB-NTPC आंदोलन से पहले खान सर के बारे में जान लेते हैं. हालांकि ये खुद में एक रहस्य हैं. कभी इनके जन्म स्थान को लेकर विवाद होता है तो कभी असली नाम को लेकर. कुछ इन्हें फैसल खान कहते हैं तो कुछ अमित सिंह. जब असली नाम पूछा जाता है तो कहते हैं कि क्या फर्क पड़ता है. वक्त आने पर असली नाम बताएंगे. खैर, नाम में क्या रखा है. काम की बात बताते हैं. इनका यूट्यूब पर खान जीएस रिसर्च सेंटर नाम से एक चैनल है. 25 अप्रैल 2019 को चैनल बना और देखते ही देखते 14.5 मिलियन सब्सक्राइबर हो गए. गूगल प्ले पर खान सर ऑफिशियल एप्लिकेशन है. खान सर कहते हैं-

फौज में जाना चाहता था, लेकिन एक हाथ थोड़ा टेढ़ा है. इसलिए सपना टूट गया. फिर होम ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया. जो बच्चा पढ़ने में बहुत कमजोर था वह टॉप कर गया. फिर दोस्तों ने कहा कोचिंग पढ़ाओ. वहां गया. पहले दिन सिर्फ 6 लड़के मिले, लेकिन एक महीने में बच्चों की संख्या 100 पहुंच गई. कोचिंग वाले ने मेरे नाम पर कोचिंग का नाम रख दिया. फिर वहां कुछ विवाद हुआ और कोचिंग छोड़ दी. फिर पटना में खान रिसर्च सेंटर खोला. लेकिन कोरोना ने सब कुछ बंद करा दिया.

अब समझ लेते हैं कि आखिर खान सर बच्चों में इतने फेमस क्यों हैं? दरअसल, खान सर किसी भी कठिन विषय को आसानी से समझाने के माहिर माने जाते हैं. ऐसे उदाहरण देते हैं जो बच्चों के आसपास का हो. सरफेस टेंशन (पृष्ठ तनाव) के लिए उन्होंने लड़कियों के बाल का उदाहरण देकर समझाया. पढ़ाने का अंदाज भी दूसरों से अलग है. बिहारी लहजे में ही पढ़ाते हैं.

जब पटना में कोचिंग थी, तब कम लोग ही उन्हें जानते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद यूट्यूब से फेमस हुए. कंपटीटिव एग्जाम के बाकी ऑनलाइन संस्थान तैयारी कराने के लिए पैसे लेते हैं, लेकिन खान सर के यूट्यूब पर फ्री में हर विषय पर जानकारी मिल जाती है. वे कहते हैं कि यूट्यूब पर कुछ ऐसे लोग भी जुड़े हैं जो किसी परीक्षा की तैयारी नहीं करते हैं, लेकिन उन्हें सुनने के लिए आते हैं. यानी वे टीचर कम इन्फ्लूएंसर ज्यादा बन गए हैं. अब बताते हैं खान सर की आंदोलन में एक्टिव एंट्री कब हुई?

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18 जनवरी को एक वीडियो डाला, जिसे 5 मिलियन बार देखा गया

खान सर ने अपने यूट्यूब चैनल पर 18 जनवरी 2022 को एक वीडियो डाला. 16.30 मिनट के वीडियो में उन्होंने RRB-NTPC का पूरा मामला समझाया. वीडियो में पीएम मोदी की तस्वीर दिखाते हुए कहा, हमारे मोदी जी 30 मिनट तक हाईवे में फंस गए थे. लेकिन हमारे बच्चे 3 साल से फंसे हैं लेकिन उनकी जान की कोई अहमियत नहीं है. ये मरें. सुसाइड करें. भाड़ में जाएं.

खान सर ने वीडियो के जरिए कहा कि अभी डिजिटल स्ट्राइक करना है. फिर कुछ टैग बनाकर ट्रेंड कराने की बात कही. फिर उसी वीडियो में किसान आंदोलन की कुछ तस्वीरें दिखाईं और कहा-

आप को लगेगा एक दिन (डिजिटल स्ट्राइक से) में हो जाएगा तो नहीं होगा. किसानों की पिटाई हुई. ट्रैक्टर से कुचला गया. गर्मी और बारिश झेला. कभी किसी ने आतंकवादी कहा. लाख सहने के बाद जब डटे रहे तो सफल हुए. आपको एक हफ्ते तक खड़े रहना है यहां (डिजिटल) पर. लेकिन याद रखिएगा कि पॉलिटिक्स की एंट्री मत होने दीजिए. स्टूडेंट हैं टीचर का सपोर्ट लीजिए. पॉलिटिक्स की एंट्री नहीं और अगर इसके बाद भी लोग नहीं माने तो ये है फिजिकल प्रोटेस्ट (आंदोलन करते हुए छात्रों की तस्वीर दिखाई). रेलवे बंद होगा. रेलवे के कर्मचारी भी साथ देंगे.
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क्या खान सर के वीडियो की वजह से छात्र सड़कों पर उतरे?

18 जनवरी को खान सर ने वीडियो जारी किया, लेकिन छात्र सड़क पर नहीं उतरे. खान सर खुद कहते हैं कि 24 जनवरी को राजेंद्र नगर टर्मिनल पर एनटीपीसी के कुछ छात्र हंगामा कर रहे थे. तभी आरआरबी ने ग्रुप डी वालों के लिए तीन बजे ऑफिशियल नोटिफिकेशन जारी कर दिया, जिसमें बताया गया कि ग्रुप डी के अभ्यर्थियों का अब मेंस एंग्जाम होगा. उसने आग में घी डालने का काम किया. यही से आंदोलन भड़क गया. ग्रुप डी के सिंगल एग्जाम वाले डेढ़ करोड़ छात्र घर से बाहर निकल गए.

खान सर ने एक वीडियो डालकर अपील की, कहा 26 जनवरी को कोई भी स्टूडेंट आंदोलन न करे. वीडियो को 3 मिलियन से ज्यादा लोगों ने देखा. वीडियो के असर पर खान सर ने कहा, प्रशासन ने कहा था कि खान सर 26 जनवरी को कुछ नहीं होना चाहिए. कोई बता दें कि 26 जनवरी को पटना में कोई लड़का लॉज से बाहर निकला हो. हमने सख्त मना किया. लेकिन पूरे देश पर मेरा कंट्रोल नहीं है.

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छात्र आंदोलन में हुई राजनीति की एंट्री

28 जनवरी को भी एक वीडियो जारी कर छात्रों से अपील की कि वे आंदोलन में शामिल न हो. लेकिन अब खान सर के हाथ से बात निकल चुकी थी. छात्रों के आंदोलन को नेताओं ने हाईजैक कर लिया. 28 जनवरी को बिहार बंद के दौरान छात्र कम और पार्टियों के झंडे ज्यादा दिखे. आरजेडी, जन अधिकार पार्टी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर गए. टायर जलाए गए. हंगामा हुआ. हाईवे जाम किए गए. पप्पू यादव ने खान सर पर तंज कसते हुए कहा-

खान सर ने किसके डर से आंदोलन में शामिल न होने का वीडियो जारी किया. आपको किसका प्रेशर आया कि आपने कहा कि इसमें मिनिस्टर और पीएम नहीं है. इसमें बोर्ड है. आपकी किससे बात हुई.

पप्पू यादव ने खान सर के जरिए पीएम मोदी पर निशाना साधा. राजनीतिक पार्टियां ऐसे मौके का फायदा उठाती हैं, लेकिन यहां सवाल छात्रों का है. उनके आंदोलन का है. उन्होंने पुलिस की लाठियां खाई, डंडे सहे. कइयों पर केस हुए. मिनिस्ट्री की चेतावनी सुनी और इन सबके बीच खान सर आंदोलन का चेहरा बन गए, लेकिन छात्रों का भविष्य अभी भी अधर में लटका झूल रहा है.

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