अमरनाथ यात्रियों पर एक बार फिर हमला हुआ है. इस हमले में 7 यात्रियों की मौत हो गई और कई घायल हैं. शुरुआती जानकारी के मुताबिक अनंतनाग में आतंकियों ने अमरनाथ यात्रियों को ले जा रही बस पर फायरिंग की.
ये ऐसा पहला हमला नहीं है इससे पहले भी आतंकी अमरनाथ यात्रा को निशाना बना चुके हैं.
- साल 2000 में आतंकियों के हमले में 30 अमरनाथ यात्रियों ने अपनी जान गंवा दी थी. इस हमले में आतंकियों ने पहलगाम के अमरनाथ यात्रियों के बेस कैंप को निशाना बनाया था.
- साल 2002 में भी अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं पर दो बार हमला किया गया था, जिसमें 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
कैसे होती है अमरनाथ यात्रा ?
इस साल 2 जुलाई से अमरनाथ यात्रा शुरू हुई है. बता दें कि जून से लेकर अगस्त महीने तक दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
- श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर की दूरी पर अमरनाथ गुफा हिमालय पर्वत श्रेणियों में स्थित है.
- समुद्र तल से 3,978 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह गुफा 160 फुट लम्बी,100 फुट चौड़ी और काफी ऊंची है.
- अमरनाथ गुफा हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है. प्राचीनकाल में इसे ‘अमरेश्वर’ कहा जाता था.
यात्रा जम्मू से श्रीनगर तक सिर्फ सड़क मार्ग से जाया जाता है. जम्मू से चलने के बाद पहलगाम पहुंचना होता है. पहलगाम से गुफा तक की दूरी लगभग 51 किलोमीटर है. पहलगाम से चंदनवाड़ी तक 17 किलोमीटर मार्ग पर चार पहिया वाहन जैसे जीप, सूमो, ट्रैक्स चलती हैं. चंदनवाड़ी से चार किलोमीटर की दूरी पर है- पिस्सू टॉप. पिस्सू टॉप की चढ़ाई लगभग एक किलोमीटर है. इसके आगे का दुर्गम मार्ग अमरनाथ गुफा तक जाता है. ज्यादातर लोग इसे पैदल ही तय करते हैं.
दूसरा तरीका यह है कि दर्शनार्थी हवाई मार्ग से श्रीनगर तक आ सकते हैं. इससे आगे पंजतरणी तक हेलिकॉप्टर से पहुंच सकते हैं. इसके लिए किराया भी निर्धारित किया गया है.
यात्रियों को मिलती हैं सुविधाएं
- अमरनाथ श्राइन बोर्ड यात्रियों के लिए बीमा करती है. इसमें दुर्घटना के कारण यात्रियों की मौत होने पर 1 लाख तक का बीमा करवाया जाता है.
- यात्रा पर जाने के पहले यात्रा शुरू होने की तय तारीख से पहले रजिस्ट्रेशन करना जरूरी होता है. रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ ही बैंक की शाखाएं अधिकृत होती है.
- यात्रियों के लिए शेषनाग ,पंचतरणी में सरकार विशेष दुकानें खोलती है, जहां से यात्री कम कीमत पर राशन, लकड़ी खरीद सकते हैं.
- किराए पर ठहरने के लिए जगह-जगह पर टेंट, शिविर लगाए जाते हैं.
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