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"जिंदगी भर का ट्रॉमा", स्कूल में 4 साल की दो बच्चियों का यौन शोषण, बदलापुर में हिंसक प्रदर्शन

ठाणे के बदलापुर के एक स्कूल में एक सफाई कर्मचारी द्वारा चार साल की दो लड़कियों के यौन शोषण का मामला आने के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया.

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"अभी तुरंत कोलकाता का रेप और मर्डर केस हुआ है. अभी उस अपराध से जुड़ीं खबरें आनी बंद नहीं हुईं कि इन दो छोटी लड़कियों के साथ ऐसा जघन्य कृत्य हुआ है. कल्पना कीजिए कि उन्हें जीवन भर कितना ट्रॉमा सहना होगा. ऐसी स्थिति मैं घर पर नहीं बैठ सकती था."

यह बात एक महिला ने कही जो दो बच्चों की मां होने के साथ-साथ एक टीचर भी हैं. वो एक प्राइवेट ट्रस्ट द्वारा संचालित स्कूल में दो मासूम बच्चियों के साथ कथित यौन शोषण (Sexually Assaulted In Thane School) के विरोध में मंगलवार, 20 अगस्त को महाराष्ट्र के बदलापुर में हजारों प्रदर्शनकारियों में शामिल हुईं.

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पुलिस ने कम से कम दो चार-साल की नाबालिगों के कथित तौर पर यौन शोषण करने के आरोप में स्कूल के एक सफाई कर्मचारी को गिरफ्तार किया. इसके चार दिन बाद, मंगलवार को ठाणे जिले के इस शहर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा भड़क उठी. आरोपी इस स्कूल में कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्त था.

मामला पिछले हफ्ते सामने आया था और आरोपी को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. पैरेन्ट्स और नागरिकों ने आरोपी के खिलाफ तेज सुनवाई और मौत की सजा की मांग को लेकर मंगलवार सुबह 6.30 बजे स्कूल तक मार्च किया.

ठाणे के बदलापुर के एक स्कूल में एक सफाई कर्मचारी द्वारा चार साल की दो लड़कियों के यौन शोषण का मामला आने के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया.

रेलवे ट्रैक जाम कर रहे प्रदर्शनकारी लोगों को तितर-बितर करने की कोशिश करती पुलिस

(फोटो- पीटीआई)

इसी के साथ-साथ सैकड़ों प्रदर्शनकारी एक साथ 'रेल रोको' विरोध प्रदर्शन करते हुए बदलापुर रेलवे स्टेशन पर जमा हुए. एक समूह ने पथराव किया जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं.

क्विंट के पास मौजूद वीडियो में दिख रहा है कि मंगलवार को कुछ लोगों स्कूल में घुस गए और उन्होंने स्कूल में तोड़फोड़ की.

एक बच्ची के माता-पिता ने दूसरे को बताया: मामला कैसे सामने आया?

पिछले हफ्ते स्कूल में पढ़ने वाली एक नाबालिग बच्ची ने कथित तौर पर अपने माता-पिता को 24 साल के आरोपी अक्षय शिंदे के बारे में बताया, जिसने उसे गलत तरीके से छुआ था. इसके बाद उस बच्ची के माता-पिता उसके एक दूसरे क्लासमेट के परिवार के पास पहुंचे.

दूसरी नाबालिग के माता-पिता फिर अपनी बेटी को पास के अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए ले गए, जहां पुष्टि हुई कि उसके साथ भी यौन शोषण की गई थी.

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, आरोपी अक्षय शिंदे को 1 अगस्त को ही स्कूल ने कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्त किया गया था.

दोनों परिवारों ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर 16 अगस्त को आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.

हालांकि, माता-पिता और स्थानीय मनसे कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में लगभग 12 घंटे लगाए.

'हम अपने अकाउंट में 1,500 रुपये नहीं चाहते, हम सुरक्षा चाहते हैं'

द क्विंट से बात करते हुए, एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि वह एक टीचर होने के साथ-साथ एक मां भी हैं और उन्होंने "अपनी छोटी बच्ची की खातिर" विरोध प्रदर्शन में भाग लिया.

उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमारी मांग स्पष्ट है, हम बस इतना चाहते हैं कि आरोपी को जल्द से जल्द फांसी दी जाए. पहले, उन्होंने एफआईआर दर्ज करने में 12 घंटे लगाए. अब, गिरफ्तारी के चार दिन हो गए हैं. पुलिस ने अपनी जांच के मामले में क्या किया है?"

मीडिया से बात करते हुए, एक प्रदर्शनकारी ने महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री की प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण योजना (डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम) लड़की बहिन पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी लड़की बहिन (प्यारी बहनों) के बच्चों की रक्षा करनी चाहिए.

ठाणे के बदलापुर के एक स्कूल में एक सफाई कर्मचारी द्वारा चार साल की दो लड़कियों के यौन शोषण का मामला आने के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया.

मंगलवार को बदलापुर स्कूल के बाहर पैरेंट्स और नागरिकों ने विरोध प्रदर्शन किया.

(फोटो: वीडियो स्क्रीनग्रैब/द क्विंट)

उन्होंने कहा, "आप हमें अपनी प्यारी बहनें कहते हैं लेकिन आप उनकी और उनके बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या कर रहे हैं? हमें आपके पैसे नहीं चाहिए, 1,500 रुपये से तब तक कुछ नहीं होगा जब तक हमारे बच्चों को न्याय नहीं मिल जाता. हम अपने बच्चों को स्कूलों की देखभाल में छोड़ देते हैं और हम खुद काम करने के लिए बाहर निकलते हैं. अगर हमारे बच्चे सुरक्षित नहीं हैं तो हम कैसे काम करेंगे? हमें आपकी लड़की बहिन योजना नहीं चाहिए, हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे सुरक्षित रहें."

एक दूसरे प्रदर्शनकारी ने पूछा, "वे हमें स्कूल में हमेशा क्या पढ़ाते हैं? कि पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए है. पुलिस किसकी रक्षा कर रही थी? वे लाठियों का इस्तेमाल करके हमें तितर-बितर करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?"

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भले की कई सीनियर पुलिस अधिकारियों ने भीड़ को शांत करने की कोशिश की, लेकिन ज्यादातर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक आरोपी को फांसी नहीं दी जाती तब तक वे अपना प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे.

इसके बाद पुलिस ने कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े.

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि अंबरनाथ-कर्जत सेक्शन पर लोकल ट्रेन सेवाएं 10 घंटे बाद फिर से शुरू हो गईं. बदलापुर स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन के कारण ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुईं.

'SIT गठित, देरी के आरोपी अधिकारी निलंबित'

आरोप लगे हैं कि संबंधित पुलिस अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज करने में देरी की. इसके बाद राज्य के गृह मंत्री देवेंद्र फड़नवीस के कार्यालय ने कहा कि प्रक्रिया के समय मौजूद पुलिस इंसपेक्टर, सहायक पुलिस सब-इंसपेक्टप और हेड कांस्टेबल को निलंबित कर दिया गया है.

गृह मंत्री फड़णवीस ने यह भी कहा कि मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है.

उन्होंने कहा, ''सीनियर आईपीएस अधिकारी आरती सिंह, एक आईजी स्तर की अधिकारी को जांच का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया है. जांच में जो भी कदम उठाने की जरूरत होगी, वह लिया जाएगा.''

उन्होंने कहा कि मुकदमा फास्ट-ट्रैक कोर्ट में चलेगा.

ठाणे के बदलापुर के एक स्कूल में एक सफाई कर्मचारी द्वारा चार साल की दो लड़कियों के यौन शोषण का मामला आने के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया.

कथित यौन शोषण के विरोध में लोगों ने रेलवे ट्रैक जाम कर दिया

(फोटो- पीटीआई)

आरोपी के लिए मौत की सजा की प्रदर्शनकारियों की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए गृह मंत्री ने कहा, "हम आरोपी को जल्द और सख्त सजा सुनिश्चित करने के लिए कानून के दायरे में रहकर हर संभव कोशिश कर रहे हैं."

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पहले मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि आरोपियों के लिए कड़ी से कड़ी सजा सुनिश्चित की जाएगी. उन्होंने कहा.

"मैंने पुलिस प्रमुख के साथ इस मामले पर चर्चा की है. आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उस पर हत्या, छेड़छाड़ और POCSO की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. हमने यह भी मांग की है कि मामले की सुनवाई फास्ट-ट्रैक कोर्ट में की जाए. स्कूल चलाने वाले ट्रस्ट के खिलाफ भी जांच के आदेश दिए गए हैं. ट्रस्टियों और स्कूल चलाने वालों को आरोपी को काम पर रखने से पहले पूरी तरह से बैकग्राउंड की जांच करनी होगी. हम इसके लिए नए दिशानिर्देश भी जारी करेंगे."
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'FIR दर्ज करने में 12 घंटे नहीं लगे'

इस बीच, पुलिस ने कहा कि आरोपी की गिरफ्तारी से पहले उसके खिलाफ एक मजबूत FIR दर्ज की गई.

मीडिया को संबोधित करते हुए, डीसीपी सुधाकर पठारे ने कहा: "जिस पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई है, उसके अधिकारियों के साथ-साथ पड़ोसी स्टेशनों की दो सीनियर महिला पुलिस अधिकारियों को भी जांच में सहायता के लिए नियुक्त किया गया है. हम सतर्क हैं कि आरोपी के खिलाफ मजबूत मामला बनाने के लिए कोई भी डिटेल या सबूत छूट न जाए.''

उन्होंने प्रदर्शनकारियों से आंदोलन खत्म करने की अपील करते हुए कहा, ''मैं बदलापुर के निवासियों से अपील करना चाहती हूं कि पटरियों पर विरोध प्रदर्शन और बदलापुर बंद के आह्वान से अधिकारियों का ध्यान आरोपी के खिलाफ जांच से भटक रहा है, जिस पर उन्हें ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है.''

स्कूल के ट्रस्ट ने प्रिंसिपल और बच्चों की देखभाल के लिए जिम्मेदार दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है. साथ ही पुलिस ने कहा कि अगर स्कूल अधिकारियों की ओर से कोई लापरवाही पाई गई तो उन्हें आपराधिक आरोपों का भी सामना करना पड़ सकता है.

FIR दर्ज करने में कथित देरी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, डीसीपी पथारे ने कहा: "दोनों बच्ची 3-4 साल की हैं. सबसे पहले, माता-पिता की मदद से उनके आरोपों को पूरी तरह से समझना जरूरी था. उसके बाद, भारतीय न्याय संहिता की नई धाराओं के तहत विवरण दर्ज करना, फिर अंत में रिपोर्ट दाखिल करना एक समय लेने वाली प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया में 11-12 घंटे नहीं लगे जैसा कि दावा किया जा रहा है.”

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