श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मंगलवार को मुंबई में दही हांडी समारोहों के दौरान मानव पिरामिड बनाते समय घायल होने से दो गोविंदा की मौत हो गई, जबकि 117 लोग घायल हो गए.
जानकारी के मुताबिक, मारे गए एक गोविंदा की हालत काफी ज्यादा खराब थी. उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन वह बच नहीं सका. दूसरे घायल लोगों का प्राथमिक उपचार करने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.
इस मौके पर महाराष्ट्र के कई इलाकों में गोविंदाओं की टोलियों के बीच दही हांडी तोड़ने की प्रतियोगिताएं होती हैं. नगर निकाय के अधिकारियों के मुताबिक, शाम पांच बजे तक मुंबई में करीब 45 गोविंदा घायल हुए.
बता दें, एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान मुंबई हाईकोर्ट को राज्य सरकार ने यह भरोसा दिलाया था कि 14 साल से कम उम्र के बच्चे दही हांडी पिरामिड बनाने में भाग नहीं लेंगे.
मानव पिरामिड की ऊंचाई पर मुंबई हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद 'दही हांडी' समारोह का आयोजन मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई, पालघर, पुणे, नासिक, कोल्हापुर, नागपुर और दूसरे शहरों में पूरे उत्साह के साथ मनाया गया.
सुरक्षा उपायों की थी पूरी व्यवस्था
सरकारी निर्देशों के अनुसार, सभी आयोजकों ने हेलमेट, हार्नेस और बॉडी बेल्ट, जमीन पर गद्दे जैसे सुरक्षा उपायों की व्यवस्था कर रखी थी. इसके अलावा पिरामिड के गिरने की स्थिति में एंबुलेंस की व्यवस्था भी थी.
सरकार की शर्तों के अलावा, आयोजकों ने यह सुनिश्चित किया था कि सभी छोटे गोविंदा की पहचान पत्रों की जांच सुनिश्चित की जाए ताकि कोई भी 14 साल से कम उम्र का न हो. इसके साथ ही 'दही हांडी' को आम तौर पर लगभग 12-15 फुट की ऊंचाई पर रखा गया था और गोविंदाओं ने एक या दो स्तर तक पिरामिड बनाया और मटकी फोड़ी.
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