मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के लेटर बम वाले केस ने महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल ला दिया. इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के चीफ शरद पवार ने 21 मार्च को सलाह दी कि इस पूरे मामले की जांच जाने-माने पूर्व पुलिस अधिकारी जूलियो रिबेरो से कराई जानी चाहिए. लेकिन अब खुद जूलियो रिबेरो ने ऐसी जांच करने से साफ इनकार कर दिया है. जूलियो रिबेरो ने इस पूरे मामले को लेकर कुछ अहम बातें भी कहीं है और पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर के आचरण पर भी सवाल उठाए हैं.
जूलियो रिबेरो ने NDTV से बातचीत में बताया है कि
'अभी तक इस बारे में किसी ने भी मुझे संपर्क नहीं किया है. अगर कोई करता भी है तो मैं इस तरह का ऑफर स्वीकार नहीं करूंगा. मेरी अभी उतनी उम्र नहीं है कि मैं ये सब कर सकूं, और अगर मैं कर भी सकता तो भी मैं ये नहीं करता. मैं किसी भी ऐसी परिस्थिति का सामना नहीं करना चाहता जहां पर पैसा और ये एनकाउंटर स्पेशलिस्ट हों और मुझे नहीं पता कि सत्ता और पावर के लिए ये अधिकारी किस तरह की लॉबिंग करते हैं. मैं इन सब में शामिल नहीं होऊंगा'जूलियो रिबेरो, पूर्व पुलिस अधिकारी
जो राजनीति हो रही है, उससे निराश हूं: रिबेरो
जूलियो रिबेरो ने कहा कि- 'जो परिस्थिति बनी है वो काफी अजीब है. इसमें आगे क्या होगा कुछ नहीं कहा जा सकता. बेहतर यही होगा कि वो खुद ही आपस में ये सब मामला सुलझा लें. जिस तरह की राजनीति हो रही है, मैं देखकर निराश हो गया हूं'
रिबेरो के परमबीर सिंह के आचरण पर सवाल
परमबीर सिंह ने गृह मंत्री पर जो भी आरोप लगाए हैं उन पर बात करते हुए रिबेरो ने कहा- 'हाल में इस तरह के आरोप देखने को नहीं मिले हैं. ये कब हुआ, आपने क्या किया, क्या आपने स्वीकार किया?'
मान लेते हैं कि आपके जूनियर्स को मंत्री बुलाकर कहते हैं कि उन्हें पैसे इकट्ठे करने हैं. तो ऐसी स्थिति में बतौर पुलिस कमिश्नर आप सबसे पहले इस पर ऐतराज जताएंगे. आप मंत्री से पूछेंगे कि- आपने ऐसा क्यों किया? ये सही नहीं है, अगर आप ये करना चाहते हैं, तो ये मुझे मंजूर नहीं है और मैं इस्तीफा देता हूं. एक ईमानदार और साफगोई वाला अफसर ऐसा करता है.'जूलियो रिबेरो, पूर्व पुलिस अधिकारी
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की एक चिट्ठी ने महाराष्ट्र की सियासत में बवाल खड़ा कर दिया है. इस चिट्ठी में सीधे गृहमंत्री अनिल देशमुख पर सैकड़ों करोड़ की वसूली का आरोप लगाया गया है. इस पूरे मामले पर महाराष्ट्र सरकार की जमकर आलोचना हो रही है
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