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मुंडका अग्निकांडः कौन है इमारत का मालिक, निकलने का था एक ही रास्ता, जानें सबकुछ

Mundka fire में 13 मई की शाम एक बिल्डिंग में आग लगने से 28 लोगों की मौत हो गई है

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दिल्ली के मुंडका इलाके में शुक्रवार, 13 मई की शाम एक बिल्डिंग में आग लगने से 28 लोगों की मौत हो गई है और 40 से ज्यादा लोग घायल बताये जा रहे हैं. वहीं कई लोग अभी भी लापता है. राहत -बचाव कार्य जारी है. दिल्ली पुलिस ने दोनों फैक्ट्री मालिकों को गिरफ्तार कर लिया है. चलिए जानते हैं इस बिल्डिंग की कहानी, कौन है इसका मालिक, सुरक्षा ठीक थी या नहीं, केवल एक निकास और प्रवेश मार्ग था? जैसे कई महत्वपूर्ण सवालों का जवाब

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क्या है इस बिल्डिंग की कहानी

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, ये बिल्डिंग करीब 15 साल पुरानी है. इस बिल्डिंग में फैक्ट्री चल रही थी. ये लाल डोरा की जमीन है. और इस पर सिर्फ रेसिडेंशियल एक्टिविटी यानी घर बनाने की इजाजत है, लेकिन यहां लंबे समय से कॉमर्शियल एक्टिविटी यानी फैक्ट्री चल रही थी. दिल्ली पुलिस ने दोनों फैक्ट्री मालिकों हरीश गोयल और वरुण गोयल को गैर इरादतन हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि एक बिल्डिंग का मालिक फरार है.

कौन है बिल्डिंग का मालिक

इस बिल्डिंग के मालिक की पहचान मनीष लाकरा के रूप में हुई है. स्थानीय लोगों के मुताबिक, मनीष लाकरा अपने परिवार के साथ इस बिल्डिंग में रहता था. आग लगने के दौरान उसकी पत्नी, 2 बच्चे और मां ऊपर ही थे. उन्हें भी कल रेसक्यू करवाया गया था. इस दौरान मनीष वहां था इसका अभी कुछ पता नहीं है. वो अभी तक फरार है. फिलहाल पुलिस मनीष लाकड़ा की तलाश में जुटी हुई है.

क्या बिल्डिंग में फायर सेफ्टी मैनेजमेंट ठीक था या नहीं ?

दिल्ली के मुंडका में जिस इमारत में आग लगी थी वह बिल्डिंग सुरक्षा के मानकों पर खरी नहीं थी. इस बात का खुलासा दिल्ली फायर चीफ ऑफिसर अतुल गर्ग ने किया. इंडिया टूडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिल्डिंग में चलने वाली सभी फैक्ट्री बिना फायर NOC के संचालित हो रही थी. बताया जा रहा कि वहां एक भी सेफ्टी गार्ड मौजूद नहीं था.

क्या बाहर निकलने का एक ही रास्ता था?

मुंडका की जिस बिल्डिंग में आग लगी है, वहां से निकलने का एक ही रास्ता था. बिल्डिंग में प्रवेश और निकास एक ही होने से बचाव कार्य जल्द शुरू नहीं हो सका. आग बुझाने में दमकलकर्मियों को भी इसी कारण दिक्कत हुई. अंदर जाने के लिए एक छोटी गली में छोटा सा एक मात्र गेट था. बिल्डिंग बनाने में जिस मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया था, वह अत्यधिक ज्वलनशील थे. यहीं नहीं MCD से भी इमारत को एनओसी नहीं मिला था.

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