क्या 2024 के लोकसभा चुनाव (Election 2024) से पहले पेट्रोल-डीजल (Petrol Diesel Price) के दाम कम हो जाएंगे? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि एक नई रिपोर्ट सामने आई है. जिसके मुताबिक ऑयल मार्केटिंग कंपनी (OMCs) मुनाफे में है, जिसके चलते पेट्रोल और डीजल (Petrol Price) की कीमतों में कटौती हो सकती है. इसके अलावा फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत 80 डॉलर प्रति बेरल से कम है, यही नहीं पिछले 1-1.5 साल से ये कीमतें 90 डॉलर के आसपास रही हैं.
अगर रिपोर्ट की बात करें तो उसमें कहा गया है कि देश की तीनों OMCs का मुनाफा 75 हजार करोड़ के पार जा सकता है और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 5 रुपये-10 रुपये प्रति लिटर की कटौती हो सकती है.
क्या खबर है?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑयल मार्केटिंग कंपनी से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “फ्यूल की बिक्री पर बड़े मार्जिन के कारण, तीन ओएमसी (तेल कंपनियों) ने पहली तिमाही और दूसरी तिमाही [2023-24] में बढ़िया नेट प्रॉफिट कमाया और यही ट्रेंड तीसरी तिमाही में भी जारी रहेगा. इस महीने के अंत तक नतीजों के बाद, वे पेट्रोल और डीजल की दरों को ₹5 से ₹10 प्रति लीटर के बीच कम करने पर विचार कर सकते हैं, ताकि भविष्य में अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में बढ़ोतरी को कुछ हद तक रोका जा सके. कंपनियां अपने स्टेकहोल्डर से बातचीत के बाद निर्णय ले सकती है."
लोकसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं है, आमतौर देखा गया है कि चुनावों से पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतों में गिरावट आती है. हालांकि नवंबर में पांच राज्यों में चुनाव हुए लेकिन इस दौरान कीमतों में कोई कटौती नहीं हुई थी, जबकि कीमतों में कटौती की खबरें जरूर चली थीं.
दिसंबर में भी ऐसी खबरें चली कि नए साल में सरकार कीमतों में कटौती का तोहफा दे सकती है लेकिन फिर से लोगों को निराशा ही हाथ लगी.
यही नहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में भी गिरावट रही फिर भी भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई कटौती नहीं हुई.
देश में तीन OMCs हैं हिंदुस्तान पेट्रोलियिम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेश (IOC) और भारत पेट्रोलियम (BPCL), तीनों कंपनी का नियंत्रण पेट्रोलियम मंत्रालय के पास है और फ्यूल के घरेलू बाजार में तीनों का 90% मार्केट शेयर है.
दुनिया की तुलना में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कहां खड़ा है भारत?
इसको लेकर दो जानकारियां हैं. एक, पिछले तीन सालों में भारत पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम करने में अमेरिका, चीन और पाकिस्तान से भी आगे रहा. दूसरा, भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अमेरिका, चीन, पाकिस्तान, नेपाल से भी ज्यादा है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत 80 डॉलर प्रति बेरल से कम है, यही नहीं पिछले 1-1.5 साल से ये कीमतें 90 डॉलर के आसपास रही हैं. ये भी बता दें कि भारत ने रूस से भी सस्ते दामों में तेल खरीदा है. रूस का यूक्रेन पर हमले से खफा अमेरिका ने रूस पर कई पाबंदिया लगा दी हैं. इन्हीं पाबंदियों के चलते रूस को तेल बेचने में भारी डिस्काउंट देना पड़ रहा है, और भारत ने इसी बात का फायदा उठा कर सस्ता तेल लंबे समय तक खरीदा.
1. पिछले 2 सालों में भारत ने बाकी देशों की तुलना में पेट्रोल-डीजल को सस्ता किया
पेट्रोलियिम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2021 से 2023 के बीच भारत में पेट्रोल की कीमत में 5 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि डीजल की कीमत में 1 फीसदी की गिरावट आई है. दूसरी ओर, अमेरिका में इसी दौरान पेट्रोल-डीजल की कीमतें 22% और 39% बढ़ गईं हैं. यही नहीं फ्रांस, स्पेन, इटली, जर्मनी, यूके और कनाडा में भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ी हैं और पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका सहित भारत के लगभग सभी पड़ोसियों में भी ये कीमतें बढ़ी हैं. ग्लोबल पेट्रोल प्राइस के अनुसार, चीन में भी कीमतें बढ़ी हैं.
भारत में कीमतें इसलिए घटी क्योंकि केंद्र सरकार ने एक्साइस ड्यूटी यानी टैक्स पेट्रोल पर 13 रुपये प्रति लिटर और डीजल पर 16 रुपये प्रति लिटर कम किया है. ऐसा तब हुआ जब केंद्र सरकार ने दो बार एक नवबंर 2021 में और दूसरा मई 2022 में टैक्स घटाया है. साथ ही सरकार ने बताया है कि पिछले 21 महीनों से तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों को ना तो घटया ना ही बढ़ाया है.
2. भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें US, चीन और पाकिस्तान से भी ज्यादा
लेकिन वास्तविकता ये है कि अगर आप इन आंकड़ों पर नजर डालेंगे कि कीमतें घटाने के बाद पेट्रोल-डीजल की क्या कीमत है तो आप चौंक जाएंगे. असल में भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें इतनी ज्यादा थी कि केंद्र सरकार की कटौती ऊंट के मुंह में जीरे के समान रही. आंकड़े बताते हैं कि भारत में पेट्रोल की कीमत 104 रुपये के आसपास है. नेपाल में कीमत 103 रुपये के आसपास है. चीन में 96 रुपये के आसपास है, पाकिस्तान में 76 रुपये, अमेरिका में 74 रुपये (आंकड़े डॉलर से भारतीय रुपये में कंवर्ट करके बताए गए हैं.)
क्या सरकार कीमतें घटा सकती है? कैसे तय होती है पेट्रोल-डीजल की कीमतें?
क्या सरकार फ्यूल की कीमतें घटा सकती है? इससे पहले शॉर्ट में ये समझ लीजिए कि ये कीमतें तय कैसे होती हैं. आसान शब्दों में समझाने के लिए संभावित आंकड़ों का इस्तेमाल किया है:
भारत में डीलरों को जिस दाम पर एक लिटर पेट्रोल मिलता है उसकी कीमत 40 रुपये है. इसी में डीलर अपना कमिशन भी चार्ज करता है जो 4-4.5 रुपये होता है. हम गणित को आसान करने के लिए 5 मान रहे हैं. यानी अब पेट्रोल की कीमत 45 रुपये हो गई. इसमें केंद्र सरकार टैक्स के रूप में एक्साइस ड्यूटी लगाती है जो करीब 32 रुपये है. अब 1 लिटर पेट्रोल की कीमत 77 रुपये हो गई है. राज्य सरकार भी इस पर वैट (टैक्स) लगाती है, जोकि लगभग 25 रुपये है. अब 1 लिटर पेट्रोल की कीमत हो गई 102 रुपये. इसमें 1-1.5 रुपये माल ढुलाई और ट्रांस्पपोर्ट का जोड़ लीजिए. इससे कीमत होती है लगभग 104 रुपये.
अब केंद्र या राज्य सरकार चाहे तो टैक्स में कटौती कर आपको पेट्रोल-डीजल सस्ते दामों पर बेच सकती है. इसीलिए हर राज्य में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अलग-अलग हैं. लेकिन सरकार शराब और पेट्रोल-डीजल पर टैक्स वसूल कर ही सबसे ज्यादा पैसा कमाती है जो फिर विकास पर खर्च होता है.
बता दें कि कई हजार करोड़ लिटर पेट्रोल सालभर में बिकता है. साल 2020-21 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर 4.5 लाख करोड़ रुपये की कमाई की थी और राज्यों ने 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की. सरकार चाहे तो ये टैक्स बढ़ा सकती है, चाहे तो घटा भी सकती है.
इसलिए ये माना जाता है कि मोटी कमाई एक बड़ी वजह है जिसे देखते हुए सरकार पेट्रोल-डीजल को शराब और बिजली की तरह जीएसटी के दायरे में नहीं ला रही. अगर पेट्रोल-डीजल भी जीएसटी के दायरे में आ गए तो सरकार 28% से ज्यादा का टैक्स नहीं लगा पाएगी क्योंकि जीएसटी में सबसे ऊंची दर 28% ही है.
पेट्रोल-डीजल की कीमतों की कटौती पर क्या बोले पेट्रोलियिम मंत्री?
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पूरी से नए साल में पूछा गया कि क्या सरकार ने फ्यूल की कीमतों में कटौती पर तीन कंपनियों के साथ चर्चा कर रही है और क्या अंतरराष्ट्रीय बाजार में सस्ते तेल की कीमतों का फायदा लोगों को मिलेगा. इस पर उन्होंने कहा कि "ऐसे किसी भी मुद्दे पर तेल कंपनियों के साथ कोई चर्चा नहीं हुई है." उन्होंने कहा, तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें खुद तय करती हैं.
“हम अत्यधिक अशांत स्थिति में हैं. दुनिया के मैप पर दो इलाकों में संघर्ष भी चल रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि, इसके कारण लाल सागर में जहाजों पर भी हमला हुआ है.
वहीं एक और अधिकारी ने कहा कि तेल कंपनी ने अप्रैल से सितंबर बंपर कमाई की लेकिन इसके बावजूद वे नुकसान से नहीं उभरे हैं. तो फिलहाल हरदीप सिंह पूरी ने तो कीमतों में कटौती की उम्मीदों को तोड़ दिया है लेकिन तेल की बढ़ती कीमतें बीजेपी सरकार के सामने चुनाव के दौरान चुनौती हो सकती है, इसलिए कई लोगों को अभी उम्मीदें हैं कि तेल की कीमतें घटेंगी.
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