कैंप के लिए 3 लाख से ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था, जिनमें करीब सवा दो लाख लोग 40 साल से कम उम्र के थे. इनमें करीब एक लाख छात्र थे. यानी युवाओं तक अपना संदेश पहुंचाने के नजरिए से ये संघ का बड़ा आयोजन था.
समागम में पश्चिम उत्तर प्रदेश के 14 जिलों के स्वयंसेवकों ने शिरकत की. डोर-टू-डोर कैंपेन के जरिये सैंकड़ों लोगों पहली बार संघ के किसी कार्यक्रम में लाया गया.
दिनभर चले आयोजन में दोपहर होते-होते सूर्य देवता ने अपना रंग दिखाना शुरू किया. एक बजे के करीब तापमान 27-28 डिग्री सेल्सियस था. लोग पानी घर से भी लाए थे और मौके पर भी उन्हें पानी की बोतलें दी गईं. लेकिन लगता है गर्मी के सामने वो नाकाफी था.
स्वयंसेवकों ने अनुशासन का परिचय देते हुए मैदान में कूड़ा-करकट बिलकुल नहीं फैलाया. पानी की खाली बोतलें सलीके से समेट कर बाहर ले जाई जा रही थीं.
सरसंघचालक मोहन भागवत करीब 3 बजे मैदान में पहुंचे. 182 फीट चौड़े और 35 फीट ऊंचे मंच से मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि समागम में शक्ति का प्रदर्शन नहीं किया जा रहा, बल्कि उसे नापा जा रहा है.
भाषा, खानपान, निवास, स्थान, पंथ अलग हो सकते हैं, लेकिन हर हिंदू भाई है. समाज के हर व्यक्ति को गले लगाना होगा. जो भी व्यक्ति भारतीय पूर्वजों का वशंज है, वह हिंदू है.मोहन भागवत, सरसंघचालक
भागवत ने कट्टरता को जायज ठहराते हुए कहा कि कट्टरता उदारता के लिए है. दुनिया भी अच्छी बातों को तभी मानती है, जब उसके पीछे कोई डंडा हो. हालांकि क्विंट से बात करते हुए युवा स्वयंसेवक आए दिन होने वाली कथित गोरक्षकों की कट्टरता के विरोध में दिखे.
अब सवाल यही है कि इस कार्यक्रम के बहाने संघ ने अपनी शक्ति नापी है या फिर 2019 के आम चुनाव की नब्ज?
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