सुप्रीम कोर्ट ने राफेल से जुड़े दस्तावेजों पर केंद्र सरकार के 'विशेषाधिकार' वाले दावे को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही कोर्ट राफेल मामले पर दोबारा सुनवाई करने के लिए भी तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका के साथ दिए गए उन 3 दस्तावेजों को सबूत के तौर पर पेश किए जाने की मंजूरी दे दी है, जिन पर केंद्र सरकार ने विशेषाधिकार जताया था.
इससे पहले केंद्र सरकार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण की तरफ से राफेल डील मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका को रद्द करने की मांग की थी. सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि तीनों याचिकाकर्ताओं ने अपनी समीक्षा याचिका में जिन दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है, उन पर सरकार का विशेषाधिकार है.
कांग्रेस ने पीएम मोदी पर बोला हमला
राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फिर से सुनवाई करने के लिए तैयार होने के बाद कांग्रेस ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ''मोदीजी जितना चाहें भाग सकते हैं और झूठ बोल सकते हैं, लेकिन आज नहीं तो कल सच सामने आ जाएगा.'' इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''राफेल घोटाले की परतें एक-एक करके खुल रही हैं. अब 'कोई गोपनीयता का कानून नहीं है' जिसके पीछे आप छिप सकें.''
सुरजेवाला ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी सिद्धान्त को बरकरार रखा है. परेशान मोदीजी ने राफेल के भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले स्वतंत्र पत्रकारों के खिलाफ सरकारी गोपनीयता कानून लगाने की धमकी दी थी. चिंता मत करिए मोदी जी, अब जांच होने जा रही है चाहे आप चाहें या ना चाहें.''
SC में केंद्र सरकार ने दी थीं ये दलीलें
केंद्र की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि संबंधित विभाग की अनुमति के बिना कोई भी इन (राफेल डील से जुड़े) दस्तावेजों को कोर्ट में पेश नहीं कर सकता. वेणुगोपाल ने अपने दावे के समर्थन में साक्ष्य कानून की धारा 123 और सूचना के अधिकार कानून के प्रावधानों का हवाला दिया. उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित दस्तावेज कोई प्रकाशित नहीं कर सकता क्योंकि देश की सुरक्षा सबसे ऊपर है.
प्रशांत भूषण ने दी थीं ये दलीलें
वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि राफेल सौदे के दस्तावेज, जिन पर अटॉर्नी जनरल विशेषाधिकार का दावा कर रहे हैं, प्रकाशित हो चुके हैं और ये पहले से ही सार्वजनिक दायरे में हैं.
प्रशांत भूषण ने कहा था कि सूचना के अधिकार कानून के प्रावधान कहते हैं कि जनहित दूसरी बातों से ऊपर है और खुफिया एजेंसियों से संबंधित दस्तावेजों के अलावा किसी भी दूसरे दस्तावेज पर विशेषाधिकार का दावा नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा था कि राफेल विमानों की खरीद के लिए दो सरकारों के बीच कोई करार नहीं है क्योंकि फ्रांस सरकार ने 58,000 करोड़ रूपये के इस सौदे में भारत को कोई संप्रभु गारंटी नहीं दी है. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय प्रेस परिषद कानून में पत्रकारों के स्रोत को संरक्षण प्रदान करने का प्रावधान है.
राफेल मामले पर SC ने पिछले साल दिया था ये फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 14 दिसंबर को राफेल विमान डील में कथित अनियमितताओं की वजह से इसे निरस्त करने और अनियमितताओं की जांच के लिए दायर याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दी थीं. इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि राफेल डील के लिए फैसला करने की प्रक्रिया पर वास्तव में किसी प्रकार का संदेह करने की कोई वजह नहीं है.
राफेल मुद्दे पर कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस
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