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सूर्या ने कहा देश में बेरोजगारी नहीं, लेकिन 2 सालों में 25 हजार से ज्यादा सुसाइड

तेजस्वी सूर्या ने कहा कि दो भारत असल में मोदी से पहले का भारत और मोदी के बाद का भारत है.

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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के देश में बढ़ती बेरोजगारी दावे का विरोध करते हुए बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या (Tejasvi Surya) ने 9 फरवरी को कहा कि कांग्रेस नेता का दावा पूरी तरह से निराधार है और, मेहनती लोगों के लिए पर्याप्त मौके हैं. राहुल पर निशाना साधते हुए सूर्या ने कहा, "एकमात्र बेरोजगार शख्स कांग्रेस पार्टी का राजकुमार है."

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राहुल गांधी ने कुछ दिनों पहले दो भारत की बात की थी, जिसमें एक अमीर और दूसरा गरीब था.

राहुल गांधी के इस बयान पर पलटवार करते हुए, तेजस्वी सूर्या ने कहा कि दो भारत असल में मोदी से पहले का भारत और मोदी के बाद का भारत है.

लोकसभा में बोलते हुए, तेजस्वी सूर्या ने कहा, "मोदी से पहले महंगाई दो अंकों में थी. अब हमारे पास महंगाई एक अंक में आ गई है. पहले भारत की जीडीपी का आकार 110 लाख करोड़ रुपये था. मोदी के बाद जीडीपी का आकार 230 लाख करोड़ रुपये है. मोदी से पहले भारत का निर्यात 2.85 लाख करोड़ रुपये था. मोदी के बाद ये 4.7 लाख करोड़ रुपये है."

"अगर जीडीपी कई गुना बढ़ी है, एफडीआई कई गुना बढ़ा है, अगर यूनिकॉर्न की संख्या कई गुना बढ़ी है, तो रोजगार कैसे नहीं हो सकता. कांग्रेस पार्टी और उनके नेता देश में अपनी राजनीतिक बेरोजगारी को बेरोजगारी के रूप में भ्रमित कर रहे हैं. मेहनती और प्रतिभाशाली लोगों के पास सभी अवसर हैं. एकमात्र बेरोजगार शख्स हैं कांग्रेस पार्टी के राजकुमार."
तेजस्वीर सूर्या, बीजेपी सांसद
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बेरोजगारी-कर्ज के कारण 2018-20 में सुसाइड से 25,231 मौतें

जिस दिन तेजस्वी सूर्या ने लोकसभा में ये दावा किया, उसी दिन केंद्र सरकार ने राज्यसभा में जानकारी दी कि साल 2018 और 2020 के बीच, बेरोजगारी या कर्ज में डूबे होने के कारण सुसाइड से 25,000 से ज्यादा भारतीयों की मौत हो गई. केंद्रीय बजट पर बहस के दौरान बेरोजगारी के मुद्दे पर हो रही चर्चा के बीच राज्य मंत्री (गृह) नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में ये जानकारी दी.

राज्य मंत्री ने राज्यसभा को बताया कि इनमें से बेरोजगारी के कारण सुसाइड से 9,140 मौतें और दिवालियापन या कर्ज में डूबे होने के कारण 16,091 मौतें हुई हैं. उन्होंने कहा कि ये सरकारी आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों पर आधारित हैं.

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