हाल के महीनों में भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में मौजूद तनाव में कमी देखी गई है. LOC पर सीजफायर के निर्णय के बाद किसी तीसरे देश की मध्यस्थता में बैक चैनल वार्ता के कयास लगाये जा रहे थे. अब तक कयास लगाए जा रहे थे कि ये देश शायद UAE है लेकिन अब उसने आधिकारिक रूप से मध्यस्थता का दावा किया है. संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में UAE के राजदूत युसूफ अल ओताईबा ने ये बात कही है.
ओताईबा ने यह बात स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के हूवर इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित वर्चुअल विमर्श में बताई. उनके अनुसार UAE ने 'कश्मीर के हिमालई क्षेत्र में तनाव को कम करने, सीजफायर की स्थिति लाने और आखिरकार दोनों देशों के रिश्तो को सुधारकर राजनयिक संबंधों को पुनः स्थापित' करने में मदद की है.
इससे पहले Reuters ने भी यह खबर प्रकाशित की थी कि दुबई में भारत और पाकिस्तान के खुफिया विभाग के उच्च अधिकारियों ने जनवरी में गुप्त वार्ता की थी. Reuters के अनुसार यह गुप्त वार्ता कश्मीर के विवादित क्षेत्र में मौजूद दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव को कम करने के लिए की गई थी.
''बेस्ट फ्रेंड न सही, बात तो करें''
ओताईबा ने भारत और पाकिस्तान के बीच के तल्ख संबंधों को स्वीकारते हुए कहा कि वे मानते हैं कि दोनों देश "बेस्ट फ्रेंड" नहीं हो सकते. उनका मकसद दोनों के बीच रिश्तों में 'उस स्तर तक पहुंचाना है जहां वह कार्यात्मक हो ,परिचालन में हो और जहां वे एक दूसरे से बात करते हों'.
पाकिस्तान लगातार कह रहा कि जब तक भारत कश्मीर को पहले की तरह स्पेशल राज्य का दर्जा नहीं देता कोई बात नहीं होगी. भारत कहता आया है कि जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकवाद को प्रायोजित करना बंद नहीं करता, बात नहीं होगी. जाहिर है ये दोनों चीजें नहीं बदली हैं फिर भी दोनों के बीच बातचीत चौंकाती है. एक बात और ये है कि शिमला समझौते के बाद भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय रिश्तों में किसी तीसरे देश की भूमिका से भारत को परहेज रहा है.
तल्ख संबंधों के बीच वार्ता एक उम्मीद
रॉ और ISI के उच्च अधिकारियों के बीच दुबई में गुप्त वार्ता तब हो रही है जब अगस्त 2019 में भारत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद भारत-पाक संबंधों में दूरियां बढ़ी थीं. भारत ने इस संशोधन द्वारा जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जे को समाप्त कर उसे 2 केंद्र शासित क्षेत्रों में बांट दिया. पाकिस्तान किसी भी शांति वार्ता के लिए जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे की पुनः बहाली की बात करता रहा है. 2019 में पुलवामा हमले और फिर बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारत-पाक संबंध अत्यधिक तनावपूर्ण हो गए थे.
लेकिन फिर अचानक महौल बदलना शुरू हुआ. दोनों देशों ने LOC पर 2003 के सीजफायर समझौते को पुनः लागू करने का निर्णय लिया है. पाकिस्तान आर्मी के चीफ जनरल बाजवा ने कहा कि दोनों देशों को अपने अतीत को पीछे छोड़ना होगा और कश्मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए कार्य करना होगा.
पाकिस्तान की मजबरियां
FATF( फाईनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स) द्वारा पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखा जाना और उसके कारण उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों के बीच आर्थिक स्तर पर इमरान सरकार की नाकामी ने पाकिस्तान को भारत के प्रति अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने पर बाध्य कर दिया है. यकीनन विचारधारा के स्तर पर गहरे मतभेद वाले पड़ोसी राष्ट्रों में सहयोग की संभावना बहुत कम है ,बावजूद इसके भारत-पाक द्वारा व्यवहारिक रणनीति अपनाते हुए गुप्त वार्ता की यह शुरुआत सीमा पर तनाव को कम करने का कार्य कर सकती है.
हालांकि जिस तरह से चीन अमेरिका की महाशक्ति को चुनौती दे रहा है, जिस तरह से उसका भारत के साथ विवाद चल रहा है और जिस तरह से उसकी पाकिस्तान से गलबहियां हैं, उसके बाद भारत और पाकिस्तान के संबंध कभी भी बिगड़ सकते हैं. भारत पाकिस्तान संबंधों को लेकर 13 अप्रैल को अमेरिकी कांग्रेस में दिए अपनी सालाना रिपोर्ट में ऑफिसर ऑफ डायरेक्टर नेशनल इंटेलिजेंस (ODNI) ने बताया है कि भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की संभावना तो बहुत कम है लेकिन स्थिति गंभीर हो सकती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)