ADVERTISEMENTREMOVE AD

UP 12460 शिक्षक भर्ती: सरकार ने थकाया- सिस्टम रुलाया,6000 छात्रों को नौकरी कबतक?

“बस जहर खाने का मन करता है...नौकरी मिल जाती तो परिवार ना टूटता”

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

“बस यही है बस थोड़ा सा जहर मिल जाये...ज्यादा गुस्सा होता है तो यही सोचते हैं, जहर तो रोज ही पीते हैं हम लोग, हमारी इतनी समस्याएं हैं कोई सुनने वाला ही नहीं है.” ये भाव हैं उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले की रहने वाली इंद्रमति के...जिनकी नौकरी शिक्षक के तौर पर 2017 में लग गई थी और वो ज्वाइनिंग लेटर लेने के लिए लाइन में खड़ी थीं लेकिन जैसे ही उनका नंबर आया वैसे ही नए निजाम का नया फरमान आया कि सारी भर्तियों की समीक्षा की जाएगी. वो दिन है और आज का दिन है इंद्रमति अपने ज्वाइनिंग लेटर का इंतजार ही कर रही हैं. इनकी पूरी कहानी आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले जानिए कि क्विंट हिंदी की नई सरकारी नौकरी सीरीज में आज कौनसी अटकी-लटकी भर्ती की बात हो रही है.

दरअसल 2016 में उत्तर प्रदेश सरकार ने 12460 शिक्षकों की भर्ती निकाली थी, जो अधिकारियों और सरकार के ढुलमुल रवैये से अब तक अटकी है. इनमें से करीब साढे 6 हजार शिक्षकों को ज्वाइनिंग मिल गई है बाकियों को नहीं मिली है. लेकिन कोर्ट के चक्कर सभी लगा रहे हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस भर्ती में अब तक जो जो हुआ है वो किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं है. युवाओं ने प्रदर्शन करके भर्ती निकलवाई, फिर रिजल्ट के लिए प्रदर्शन किया, फिर ज्वाइनिंग के लिए प्रदर्शन किया और जब सब हो गया तो नौकरी बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. इस भर्ती में बहुत सारी परतें हैं जो हम आसान भाषा में एक-एक करके खोलेंगे. पहले ये समझिये कि पूरा मामला क्या है.

भर्ती नहीं, जी का जंजाल बन गई? प्राथमिक स्कूलों में 12460 शिक्षक भर्ती 15 दिसंबर 2016 को शुरू हुई थी. तब सूबे में अखिलेश यादव की सरकार थी. इसमें प्रदेश के 75 में से 24 जिलों में एक भी पद खाली नहीं था. इन 24 जिलों के अभ्यर्थियों को किसी भी एक अन्य जनपद में आवेदन करने की शिक्षा परिषद ने छूट दे दी. इसी फैसले के खिलाफ 51 जिलों के बीटीसी करने वाले अभ्यर्थियों ने ये कहते हुए कोर्ट में याचिका दायर कर दी कि भर्ती में उनको प्राथमिकता मिलनी चाहिए भले ही शून्य 24 जिलों के अभ्यर्थियों की मेरिट ज्यादा ही क्यों न हो. उस समय भर्ती जिला स्तरीय मेरिट के आधार पर होती थी.

ये सब विवाद चल ही रहा था कि प्रदेश में सरकार बदल गई और 23 मार्च 2017 को योगी सरकार ने समीक्षा के नाम पर भर्ती पर रोक लगा दी. इसके बाद 16 अप्रैल 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भर्ती शुरू करने की अनुमति दी. 23 अप्रैल 2018 को फिर से सभी चयनित अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कराई गई. लेकिन 18 अप्रैल 2018 को हाईकोर्ट ने 24 शून्य जिलों के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर रोक लगा दी. एक मई 2018 को मुख्यमंत्री ने 51 जिले के लगभग 6512 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दे दिया. बचे हुए 5948 पद आज तक नहीं भरे जा सके हैं.

अब यहां तक आप समझिए कि इस केस में चार पार्टियां हो गई, पहले 51 जिलों वाले अभ्यर्थी, दूसरे जीरो जिले वाले अभ्यर्थी, तीसरी सरकार और चौथे वो जो ज्वाइनिंग तो पा चुके हैं लेकिन डर सता रहा है कि अगर पूरी भर्ती कैंसिल हुई तो उनका क्या होगा.

हमने इस समस्या के समाधान की खोज करते हुए चारों पक्षों से बात की. 51 जिले वाले अभ्यर्थियों की तरफ से केस लड़ रहे अभ्यर्थी अर्पित श्रीवास्तव से हमारी बात हुई, उन्होंने बताया कि,

इस भर्ती में 24 जिले जीरो करके 51 जिलों में सीटें दे दी गई थी. ये भर्ती रूल 41A के तहत हो रही थी जो ये कहता है कि जिस जिले में अभ्यर्थी ने ट्रेनिंग की हो उसे वरीयता दी जाये. जिसको बदलने के लिए सरकार ने कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया, बल्कि शिक्षा परिषद ने लेटर जारी कर ये कह दिया कि जीरो जिले वाले भी किसी दूसरे जिले में जाकर पहली वरीयता में अप्लाई कर सकते हैं, जिसको हमने कोर्ट में सिंगल बैंच के सामने चैलेंज किया.

जिस पर सिंगल बैंच ने ये कहा कि नियमावली में सचिव परिषद को बदलाव का अधिकार नहीं है. ये 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने फैसला दिया था. इसमें सरकार ने ये कहा कि हम जीरो जिलों वालों को भी वरीयता देना चाहते हैं तो ये केस डबल बैंच के पास चला गया. डबल बैंच ने कह दिया कि जिस रूल से भर्ती हुई है वो सही है, लेकिन मामला अटका है कि सरकार ने इसमें बड़ा ढीला रवैया अपनाया है. कई तारीखों पर सरकार की तरफ से वकील नहीं गए. कभी गए तो नियमों का हवाला देकर जानकारी लेने की बात कहकर तारीख ले ली. और आखिरी तारीख में तो सरकार की तरफ से वकील ने कह दिया कि जज साहब...हम कोई रास्ता इसमें नहीं निकाल पा रहे हैं.

अब इस मामले में अगली सुनवाई 2 जनवरी 2023 को होनी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इसके बाद हमने जीरो जिलों के अभ्यर्थियों की तरफ से केस लड़ रहे अंकित राजपूत से बात की, उन्होंने कहा कि, बेरोजगारी का वो आलम है कि बता नहीं सकते, हम केवल सरकार की लापरवाही की वजह से परेशान हैं. हम कोर्ट में चक्कर काट रहे हैं, पैसे हैं नहीं 500-500 रुपये चंदा करके वकील के पैसे देते हैं. उन्होंने कहा कि, मैं आपको ऐसी लड़कियों से मिलवा सकता हूं गाजीपुर में जिनके इस नौकरी की वजह से तलाक हो गए हैं क्योंकि जब शादी हुई थी तो उनके हाथ में ज्वाइनिंग लेटर था और अब तक नौकरी मिली नहीं है. लेकिन सरकार अदालत में सुनवाई के लिए आने को तैयार नहीं है. सरकार 2018 में अपील डालकर भूल गई है.

इस भर्ती विवाद में एक और पक्ष बन गया है, जिन अभ्यर्थियों को ज्वाइनिंग मिल गई है. इनकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे शिक्षक सौरभ सिंह से हमने बात की, जिन्होंने फेसबुक पर इस भर्ती से जुड़ा एक पेज बना रखा है. और वहीं से वो वकीलों को पैसा देने के लिए चंदा भी करते हैं. उनकी शादी होने वाली है, और नौकरी लेकर वो फिक्रमंद हैं. सौरभ सिंह ने बताया कि,

भइया हमको उन्नाव में स्कूल मिल चुका है. अब लड़कों ने सुप्रीम कोर्ट में नियमावली को ही चैलेंज कर दिया है, जिसे हम डिफेंड कर रहे हैं. सरकार और अधिकारियों के अटकाये मसले की वजह से अभ्यर्थी ही आपस में लड़ रहे हैं. अब हम बस इतना चाहते हैं कि बाकी बचे अभ्यर्थियों को सरकार किसी भी नियम से नौकरी दे दे लेकिन जो लोग नौकरी पहले से कर रहा है उन्हें डिस्टर्ब ना करे.

इसके बाद हमारी बाद मैनपुरी की रहने वाल इंद्रमति से हुई जो 51 जनपद से आती हैं और उनका भी सेलेक्शन हो गया था. वो इस कदर परेशान थीं कि जहर खाने तक की बात कर रही थीं. उन्होंने कहा कि,

हमारा परिवार इस नौकरी के ना लगने के चलते टूटने के कगार पर है. मेरे पति कहते हैं कि इतना पैसा खर्च कर दिया लेकिन तुम्हारी नौकरी का कुछ नहीं हुआ. अब मैं अपने मायके में आकर चार हजार रुपये महीना पर एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती हूं. और अपने 3 बच्चों का पेट पाल रही हूं. मेरे पति नशे के आदी हैं और मारपीट करते थे तो मैंने घर छोड़ दिया. अगर मेरी नौकरी हो गई होती तो ये सब ना होता.
ADVERTISEMENTREMOVE AD
अभ्यर्थियों के तीनों पक्ष सुनने के बाद हमने सरकार से संपर्क साधा और उत्तर प्रदेश के डीजी शिक्षा विजय किरण आनंद से बात की. उन्होंने कहा कि मामला अब ये नीतिगत हो गया है और कोर्ट में है. जब तक कोर्ट कोई फैसला नहीं देता इसमें कुछ नहीं हो सकता.

अभ्यर्थी कहते हैं कि सरकार चाहे तो तुरंत हो जाये समाधान!

तीनों ही पक्षों के अभ्यर्थियों ने जो बात एक स्वर में कही वो ये थी कि अगर सरकार चाहे तो ये मामला एक मिनट में खत्म हो सकता है. क्योंकि अब जितने अभ्यर्थी इसमें बचे हैं उनसे ज्यादा वैकेंसी हैं. तो सरकार चाहे जिस नियम से दे दे बस भर्ती पूरी कर दे. ताकि जो बच्चे बचे हैं उन्हें नौकरी मिल सके. क्योंकि बाकी कुछ बच्चों को तो उसके बाद निकली भर्तियों में नौकरी मिल गई, कुछ किसी और विभाग में नौकरी करने चले गए अब करीब 3500 बच्चे बचे हैं और करीब 6 हजार पद खाली हैं तो किसी को कोई दिक्कत ही नहीं है. बस सिस्टम में भर्ती अटकी है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×