यूपी में योगी सरकार के कार्यकाल में पुलिस मुठभेड़ में 78 बदमाशों को ढेर कर चुकी है और हजारों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया है. कानून का इकबाल इस कदर बुलंद हुआ है कि अब यूपी में बदमाश तख्तियां लेकर आत्मसमर्पण कर रहे हैं. मतलब, खुद जेल जाना चाहते हैं. ऐसा दावा है मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का. लेकिन यह बात किसी की समझ से परे है कि सरकार की ये हनक शराब माफियाओं पर क्यों नहीं दिखती?
बीते तीन दिनों में सहारनपुर और कुशीनगर में जहरीली शराब के दो मामले आए हैं, जहां शराब पीने से अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है और कई की हालत गंभीर बताई जा रही है.
सीएम योगी के होमटाउन गोरखपुर से सटे कुशीनगर के तरयासुजान में बुधवार को जहरीली शराब पीने से मौत का सिलसिला शुरू हुआ. चार मौत की पहली खबर आई, फिर संख्या बढ़ती रही और शुक्रवार को 10 तक पहुंच गई.
हालांकि एसपी राजीव नारायण मिश्रा ने फौरन कार्रवाई करते हुए एसओ विनय पाठक समेत चार पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया, जिससे ये मामला स्थानीय खबरों में ही दफन होकर रह गया.
लेकिन शुक्रवार को दूसरी घटना सहारनपुर के नगला इलाके में हुई, तो इसकी तीव्रता बढ़ गई. यहां 16 लोगों की मौत सूचना है. दो जिलों में जहरीली शराब पीने से 26 लोगों की मौत ने बंगाल की राजनीति में हेलिकॉप्टर उड़ा रहे योगी जी को चिंतित कर दिया.
सीएम योगी ने एक्शन लेते हुए शराब माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश देने के साथ ही मृतकों के परिवारों के लिए 2-2 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान कर दिया.
योगी सरकार के कार्यकाल में जहरीली शराब पीने से हुई 100 से ज्यादा मौत:
- फरवरी 2019- सहारनपुर के नगला इलाके में जहरीली शराब पीने से 16 की मौत
- फरवरी 2019- कुशीनगर के तरयासुजान इलाके में जहरीली शराब पीने से 10 लोगों की मौत
- जनवरी 2018- उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के देवा कोतवाली इलाके में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत
- मार्च 2018- गाजियाबाद में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत
- मई 2018- जहरीली शराब पीने से कानपुर और कानपुर देहात में 14 लोगों की मौत हो गई
- जुलाई 2018- एटा में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या 26 पहुंची
- अगस्त 2018- शामली में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत
- दिसंबर 2018- लखीमपुर खीरी में जहरीली शराब पीने से 3 की मौत
- जुलाई 2017- आजमगढ़ में जहरीली शराब पीने से 26 की मौत
- दिसंबर 2017- मुजफ्फरनगर में जहरीली शराब पीने से 2 सगे भाइयों की मौत
बगैर पुलिस के नहीं चल सकता अवैध शराब का धंधा
जहरीली शराब बनाने वाले माफियाओं का नेटवर्क पूर्वी यूपी से लेकर पश्चिमी यूपी तक फैला हुआ है और यह सब कुछ पुलिस की नाक के नीचे हो रहा है, क्योंकि जहरीली शराब जिस जगह पर बनाई जाती है, उसकी गंध दूर-दूर तक फैलती है.
इसकी दुर्गंध से आसपास के लोग परेशान रहते हैं. फिर ये कैसे माना जा सकता है कि पुलिस और आबकारी विभाग को इसकी जानकारी नहीं होती होगी.
कैसे चलता है अवैध शराब का सिंडीकेट?
अवैध शराब का सिंडीकेट शराब माफियाओं के साथ पुलिस और खादी और स्थानीय दबंगों के तालमेल से चलता है. बताया जाता है कि शराब माफिया इन दिनों टैंकरों से स्प्रिट मंगाते हैं. फिर उन्हें ड्रमों में भरकर छिपा देते हैं.
जरूरत पड़ने पर एक ड्रम स्प्रिट में 10 ड्रम पानी मिलाकर इसे11 ड्रम बनाते हैं, जिसे छोटे-छोटे अवैध शराब व्यापारियों को गैलनों में भरकर दूर-दूर तक बेचते हैं.
कई बार ज्यादा नशीला बनाने के चक्कर में 10 ड्रम पानी की जगह 9 ड्रम ही मिला दिया जाता है. स्प्रिट की मात्रा बढ़ते ही वो जहर का रूप ले लेता है.
उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में भी उन्नाव और लखनऊ में जहरीली शराब पीने से 33 लोगों की मौत हुई थी. सितंबर 2017 में सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया था कि अवैध शराब बनाने और उसका कारोबार करने वालों को ‘मौत की सजा’ दी जाएगी.
राज्य का आबकारी विभाग वाणिज्य कर विभाग के बाद रेवेन्यू के लिहाज से दूसरा सबसे बड़ा विभाग है. साल 2016-17 में आबकारी विभाग ने 14,272 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया था.
विधानसभा में गूंजा जहरीली शराब का मुद्दा
कुशीनगर में जहरीली शराब से हुई मौत का मुद्दा स्थानीय विधायक और सदन में कांग्रेस के नेता अजय लल्लू ने उठाया और कहा कि सरकार शराब माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करे और पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा दे.
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