जेआईएच मरकजी तालीमी बोर्ड (शिक्षा बोर्ड) ने आगामी बजट-2022-23: शिक्षा और अल्पसंख्यक चिंताएँ पर एक ऑनलाइन सम्मेलन का आयोजन किया। बैठक में विभिन्न राज्यों के विशेषज्ञों, अर्थशास्त्रियों, शिक्षाविदों, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।
संगठन ने बताया कि उनकी ठीक से निगरानी नहीं की गई और न ही यह खुलासा किया गया कि इन योजनाओं से अल्पसंख्यकों के कितने छात्र लाभान्वित हुए। उन्होंने कहा, सरकार ने पिछले साल के बजट में अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा खर्च में कटौती की थी। अल्पसंख्यकों के लिए आवंटन 5,000 करोड़ रुपये से घटाकर 4,800 करोड़ रुपये कर दिया गया है। जबकि वर्तमान में उनकी शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए कम से कम 10,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
जेआईएच ने कहा कि अल्पसंख्यक किसी भी लोकतांत्रिक देश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए, एक परियोजना या योजना बनाते समय, विशेष रूप से उनके शिक्षा बजट को हमेशा उनके सतत विकास को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है।
अल्पसंख्यकों की बढ़ती शैक्षिक आवश्यकताओं की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए, उनके शैक्षिक पिछड़ेपन को देखते हुए, जेआईएच ने मांग की है कि सरकार उनके बजटीय आवंटन को पर्याप्त रूप से बढ़ाए। इसमें कहा गया है कि प्राथमिक से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए एक बड़ी राशि की आवश्यकता है, जिसके लिए विशेष रूप से पिछड़े और वंचित वर्गो के लिए वित्तीय सहायता आवश्यक है।
अगले बजट में शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत सार्वजनिक व्यय के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार से आग्रह करते हुए वक्ताओं ने सरकार से खर्च की गुणवत्ता में सुधार करने और बजट की प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत करने का आह्वान किया।
--आईएएनएस
एसकेके/आरजेएस
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