अगर आपको लगता है कि नोटबंदी का जो असर आप पर पड़ा है, वही राजनीतिक पार्टियों पर भी है, तो आप गलत हैं. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रचार प्लान को देखकर ये बात दावे से कही जा सकती है. बीजेपी ने यूपी के चुनाव प्रचार में पानी की तरह पैसा बहाने का फैसला किया है.
पावर पैक्ड प्रचार प्लान
दूसरे फेस की ये प्रचार योजना कई तरह की रणनीतियों से लैस है. होर्डिंग, वीडियो वैन, टीवी, अखबार और नुक्कड़ नाटकों के जरिये रिमोट से रिमोट इलाके के आखिरी वोटर तक पहुंचने का ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है. जाहिर है कि जब प्लान इतना बड़ा है तो पैसा भी बड़ा खर्च होगा.
क्विंट हिंदी के पास मौजूद दस्तावेजों में प्रचार सामग्री के तमाम डिजाइन और उन पर होने वाले खर्च का पूरा ब्यौरा मौजूद है. दस्तावेजों से पता चलता है कि होर्डिंग्स के लिए पूरे सूबे को चार हिस्सों में बांटा गया है. हर हिस्से की तफ्सीली जानकारी और पूरे खर्च के लिए नजर डालिये इस टेबल पर.
5 करोड़ 81 लाख का होर्डिंग प्लान
इस ब्यौरे से साफ है कि पूरे उत्तर प्रदेश में सिर्फ होर्डिंग्स पर बीजेपी 5.82 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इसके अलावा खास रणनीति के तहत पूर्वी यूपी और पश्चिमी यूपी को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है.
नए चुनाव, नया नारा
अब बात करते हैं इन होर्डिंग्स के डिजाइन की. लोकसभा चुनावों में बीजेपी का नारा था- अब की बार, मोदी सरकार. लेकिन इस बार ये नारा बदल दिया गया है. विधानसभा चुनावों के लिये पार्टी का नया नारा है- पूर्ण बहुमत संपूर्ण विकास, भाजपा पर है विश्वास.
खास बात है कि इन होर्डिंग्स में बीजेपी ने अपने पोस्टर बॉय यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हाईलाइट ना करने का फैसला किया है. होर्डिंग्स में किसान, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा और विकास जैसे मुद्दों पर फोकस है.
राजपूत, ब्राह्मण और पिछड़ों पर नजर
नेताओं के चेहरों वाला अब तक सिर्फ एक ही होर्डिंग तय हुआ है जिसमें मोदी और अमित शाह के अलावा राजनाथ सिंह, कलराज मिश्र, उमा भारती और प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य की तस्वीरें हैं. यानी राजपूत और ब्राह्मण वोटर के साथ पार्टी की खास नजर ओबीसी यानी पिछड़ों पर है.
ये होर्डिंग्स तमाम सार्वजिनक जगहों जैसे प्रमुख बाजार, टेक्सी स्टैंड, बस स्टैंड, गावं के भीतर जाने वाली सड़कों के किनारे या फिर सामुदायिक भवनों के आसपास लगाए जाएंगे.
हर वोटर तक पहुंचेगी वीडियो वैन
हो सकता है इतनी तैयारी के बाद भी कुछ लोगों की नजर एक ही जगह पर लगे होर्डिंग्स पर ना पड़े. तो उस वोटर तक खुद पहुंचने के लिए तैनाती है वीडियो वैन की.
क्विंट हिंदी के पास वीडियो वैन यानी प्रचार रथ के डिजाइन और उस पर होने वाले खर्च का भी पूरा ब्यौरा मौजूद है. 2014 के लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी ने प्रचार के इस आधुनिक तरीके का पुरजोर इस्तेमाल किया था. लेकिन इस बार तैयारी ज्यादा पुख्ता है.
प्रचार रथ की खासियत
- गाड़ियों के चारों तरफ बड़े नेताओं को पोस्टर लगाए गए हैं, जिनमें नेता जनता से परिवर्तन की अपील कर रहे हैं.
- हर गाड़ी पर एक LED टीवी लगा है जिस पर पीएम मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र के भाषण चलते रहेंगे.
- हर वैन में LED को बिजली देने के लिए 1 केवी का जेनसेट भी रखा गया है.
- समाजवादी सरकार की नाकामियों को दिखाते हुए दो गाने और एक डॉक्यूमेंट्री बनाई गई है, जिनकी अवधि करीब 17 मिनट है. ये तमाम फिल्में भी LED पर चलती रहेंगी.
- हर वीडियो वैन को हर दिन 80-100 किलोमीटर चलाने का लक्ष्य रखा गया है.
प्रचार रथ पर खर्च
- 200 वीडियो वैन पहले से उत्तर प्रदेश की सड़कों पर दौड़ रहे हैं.
- चुनावों की घोषणा होते ही इनकी तादाद बढ़ाकर 403 कर दी जाएगी यानी हर विधानसभा में एक.
- तमाम वीडियो वैन किराये पर हैं और हर वैन का एक दिन का खर्च है 4500/- रूपये.
- अगर इस खर्चे का दो महीने यानी साठ दिन का हिसाब लगाया जाए तो ये बैठता है (403x4500x60) 10,88,10,000 रुपये.
हाल ही में बीजेपी के नाम पर गोरखपुर में ढाई सौ मोटर साइकिलें भी खरीदी गई थीं जिससे खासा सियासी बवाल मचा था.
गली गली में नुक्कड़ नाटक
बीजेपी ने गांव देहात की पब्लिक को नुक्कड़ नाटकों के जरिये लुभाने का फैसला किया है. इसके लिए एक हजार कलाकारों के एक ग्रुप से करार हो चुका है. सूत्रों के मुताबिक इससे भी बड़े एक और ग्रुप को पार्टी अपने साथ जोड़ेगी. यानी आने वाले दिनों में दो हजार से ज्यादा कलाकार यूपी की गलियों-कूचों-चौराहों पर लोगों को अखिलेश सरकार की नाकामियां और बीजेपी के फायदे गिनवाती नजर आएंगे.
इसके अलावा टीवी और अखबारों में धुआंधार इश्तेहारों के जरिये बीजेपी वोटर के जहन में घुसने की हर मुमकिन कोशिश करेगी. इस तमाम खर्चे का आकलन अभी बाकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम बड़े नेताओं की रैलियां और हेलिकॉप्टर दौरों पर तो करोड़ों पहले से खर्च हो रहे हैं.
इस सब के बावजूद भी अगर आपको लगता है कि नोटबंदी ने कैश की भारी किल्लत कर दी है तो वो आपके लिए होगी. बीजेपी के लिए तो कम से कम नहीं है.
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