पूर्वांचल की सबसे हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट गोरखपुर में 11 मार्च को उपचुनाव है. नतीजे 14 मार्च को आएंगे. इस सीट से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सांसद थे. पिछले 20 साल से वो इस सीट पर काबिज थे, सीएम बनने के बाद उन्हें विधानसभा में आने के लिए इस्तीफा देना पड़ा है. इस सीट पर अबतक कुल 16 लोकसभा चुनाव और 1 उपचुनाव हुए हैं, जिसमें 10 बार 'गोरखनाथ पीठ' के 3 महंतों ने जीत हासिल की है. वहीं 6 बार ये सीट कांग्रेस के हाथ में रही है.
महंत दिग्विजय नाथ ने खोला था खाता
वैसे तो गोरखनाथ मंदिर का दखल पूर्वांचल में हमेशा से रहा है. लेकिन चुनावी शुरुआत हुई साल 1967 में, महंत दिग्विजय नाथ ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस के उम्मीदवार एस.एल सक्सेना को हराया. साल 1969 में उनका देहांत के बाद, पहली बार इस सीट पर 1970 में उपचुनाव हुए. दिग्विजयनाथ के उत्तराधिकारी अवैद्यनाथ ने तब जीत दर्ज की थी. लेकिन एक ही साल बाद कांग्रेस के नरसिंह नारायण ने अवैद्यनाथ को करीब 36 हजार वोटों से मात दे दी.
1989 से लगातार है कब्जा
'गोरखनाथ पीठ' के कब्जे से ये सीट साल 1971 से लेकर 1988 तक बाहर रही. इस दौरान 4 लोकसभा चुनाव हुए. साल 1989 में हिंदू महासभा की टिकट पर महंत अवैद्यनाथ ने फिर दावेदारी ठोकी और जनता दल के कैंडिडेट रामपाल सिंह को करीब 45 हजार वोटों से मात दी. तब से लेकर आजतक यानी दो दशकों से ज्यादा समय से गोरखपुर लोकसभा सीट ''गोरखपुर पीठ' के ही पास है.
1991 और 1996 में अवैद्यनाथ ने बीजेपी की तरफ से चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. 1998 से अबतक इस सीट पर योगी आदित्यनाथ की सत्ता है.
33 साल तक पीठ का दबदबा
1967-1970 और 1989-2018 के बीच करीब 33 साल से गोरखनाथ पीठ का इस सीट पर दबदबा है. इसी हिसाब से पिछले 27 साल से बीजेपी इस सीट पर काबिज है. पिछले 5 लोकसभा चुनाव की बात करें तो 1998, 1991 में जहां बीजेपी को समाजवादी पार्टी से कड़ी टक्कर मिलती दिखी थी. वहीं 2004 के बाद से बीजेपी ने एकतरफा जीत हासिल की है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)