मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद अब गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनावों पर सबकी निगाहें हैं. बीजेपी का दावा है कि वह दोनों लोकसभा सीटों पर कब्जा बरकरार रखेगी और जीत का अंतर सुधरेगा. हालांकि बीजेपी के राजनीतिक विरोधी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इन दो सीटों के उपचुनाव को नए अवसर के रुप में ले रहे हैं.
बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 325 सीटों पर जीत दर्ज की है. उत्तर प्रदेश विधानसभा में 403 सीटें हैं. पार्टी के भीतर के लोगों की मानें तो दोनों ही लोकसभा सीटें बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण हैं.
गोरखपुर में बीजेपी का दबदबा
गोरखपुर में पार्टी का 1991 से दबदबा रहा है, जबकि फूलपुर सीट पर बीजेपी ने पहली बार जीत दर्ज की. फूलपुर सीट कांग्रेस के बर्चस्व वाली मानी जाती थी, लेकिन 2014 में मौर्य केशव प्रसाद मौर्य यहां से चुनाव जीते थे.
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि पार्टी गोरखपुर और फूलपुर में फिर विजयी होगी और इस बार जीत का अंतर भी सुधरेगा. उन्होंने कहा कि राज्य की जनता को पिछले तीन साल के दौरान केंद्र सरकार की उपलब्धियों का पता है. उसे यह भी पता है कि छह महीने के अल्प समय में उत्तर प्रदेश सरकार ने क्या कुछ किया है.
विरोधी दल भी दोनों सीटों के उपचुनाव को प्रतिष्ठा की लड़ाई मानकर चल रहे हैं. त्रिपाठी ने कहा कि बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत के बूते दोनों सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी के प्रांतीय अधिवेशन में कहा था कि अगर उपचुनाव के नतीजे सपा के पक्ष में आए तो इससे 2019 के लोकसभा चुनावों और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर जनता में मजबूत संदेश जाएगा.
कांग्रेस-सपा के लिए अहम है लड़ाई
सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि जनता के सामने बीजेपी की पोल खुल चुकी है और बदलाव की शुरुआत गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव से हो जाएगी.
बीजेपी के दावे पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा कि गोरखपुर से ही बदलाव की बयार शुरू होगी. जनता ने केंद्र के तीन वर्ष और प्रदेश सरकार के छह माह के कार्य को देखा है. जनता बदलाव चाहती है.
फूलपुर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और कांग्रेस नेता विजय लक्ष्मी पंडित करती रही थीं. इस सीट पर सपा और बसपा भी जीत दर्ज कर चुकी हैं.मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1998 से ही गोरखपुर लोकसभा सीट पर जीत का सिलसिला बनाए हुए थे.
(इनपुट भाषा से)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)