Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के लिए चौथे चरण की वोटिंग सोमवार, 13 मई को खत्म हुई. 10 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 96 सीटों पर जनता ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. चौथे चरण की वोटिंग खत्म होने के साथ देश की कुल 543 लोकसभा सीटों में से 379 पर जनता का मत EVM में कैद हो गया है.
वोटर टर्नआउट के आंकड़ों के अनुसार, 96 सीटों पर लगभग 67.71 वोटिंग हुई है.
चौथे चरण की वोटिंग के साथ आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में भी चुनावी प्रक्रिया खत्म हो गई है.
यहां आपको बताते हैं कि चौथे फेज में जिन 96 सीटों पर वोट डाले गए, वहां वोटिंग पर्सेंट क्या रहा? ये आंकड़े क्या बता रहे हैं? यहां कौन-कौन सी हॉट सीट थीं और उन पर वोटरों में दिखा रुझान दिग्गजों के लिए राहत की खबर लेकर आया या नहीं?
सबसे पहले बताते हैं कि चौथेचरण में किन राज्यों की कितनी सीटों पर वोट डाले गए.
आंध्र प्रदेश- सभी 25 सीट
तेलंगाना- सभी 17 सीट
उत्तर प्रदेश- 13 सीट
महाराष्ट्र- 11 सीट
पश्चिम बंगाल- 8 सीट
मध्य प्रदेश- 8 सीट
बिहार- 5 सीट
झारखंड- 4 सीट
ओडिशा- 4 सीट
जम्मू-कश्मीर- 1 सीट
लोकसभा मतदान के साथ- साथ आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए भी वोट डाले गए. आंध्र प्रदेश की सभी 175 विधानसभा सीटों और 25 लोकसभा सीटों पर एक साथ वोटिंग हुई.
2019 में इन 96 सीटों पर किसका रहा था दबदबा?
2019 में इन 96 सीटों में से सत्तारूढ़ एनडीए ने 47 सीटें जीती थीं जबकि विपक्षी INDIA ब्लॉक में शामिल पार्टियों के पाले में 11 सीटें आईं. अगर पार्टी के आधार पर देखें तो बीजेपी ने इनमें से 42 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस छह सीटों पर जीत के साथ काफी पीछे रही.
सीट जीतने वाली पार्टियों में वे भी शामिल थीं जिन्होंने किसी गुट का हाथ नहीं थामा था. आंध्र की सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने 22 सीट, तेलंगाना की पूर्व सत्तारूढ़ पार्टी बीआरएस ने 9 सीट जबकि AIMIM और बीजेडी ने 2-2 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसके अलावा अविभाजित एनसीपी और शिवसेना ने क्रमशः एक और दो सीटें जीतीं.
2014 के चुनाव में, एनडीए ने इन 96 में से 56 सीटें जीतीं और इंडिया ब्लॉक की पार्टियों ने 11 सीटें जीतीं जबकि 29 सीटें अन्य पार्टियों के पास गईं.
अब बात करते हैं चौथे चरण में वोट परसेंट के आंकड़े की, यानी कहां कितनी वोटिंग हुई.
वोटिंग पर्सेंट क्या बता रहा?
2019 के लोकसभा चुनावों में इन 96 सीटों पर पड़े वोट की तुलना में जानते हैं कि इस बार कितनी वोटिंग हुई है?
आंध्र प्रदेश
आंध्र में मुकाबला मुख्य रूप से दो गुट में है- एक तरफ मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी, चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और पवन कल्याण की जन सेना पार्टी एक साथ एनडीए गठबंधन के रूप में है.
2014 में राज्य के विभाजन के बाद से यहां बैकफुट पर दिख रही कांग्रेस भी मैदान में है.
2019 के चुनाव में यहां कि 25 सीटों में से वाईएसआरसीपी ने 22 पर जीत हासिल की थी. एनडीए गठबंधन को बाकी बची 3 सीटों पर जीत मिली. सूबे में कांग्रेस के हाथ खाली रहे थे. 2014 में आंध्र के अंदर कहानी अलग थी. वाईएसआरसीपी को 8 जबकि एनडीए गठबंधन को 17 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस इस बार भी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.
2019 के चुनाव में आंध्र प्रदेश की इन 25 सीटों पर वोटिंग परसेंट 80.38% रहा था. इस बार यह आंकड़ा 78.25% रहा.
अगर आंध्र में हॉट सीट की बात करें तो सबकी नजर कडप्पा पर है जहां YSRCP के दो बार के मौजूदा सांसद वाईएस अविनाश रेड्डी और उनकी चचेरी बहन वाईएस शर्मिला रेड्डी के बीच एक बड़ी राजनीतिक लड़ाई देखी जा रही है. शर्मिला रेड्डी मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की छोटी बहन और आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष हैं.
राजनीति में यह माना जाता है कि अगर पिछली बार की अपेक्षा वोटिंग में गिरावट हुई है तो लोग शासन के मौजूदा रूप को बदलने में उतने उत्साहित नहीं हैं. वहीं वोटिंग अगर ज्यादा होती है तो माना जाता है कि लोग सरकार बदलने के लिए बड़ी संख्या में सामने आए हैं. हालांकि भारत में यह हर बार सही नहीं होता. 1951-52 से लेकर 2019 तक 17 लोकसभा चुनाव हुए हैं. 1957 से 2019 तक (पहले चुनाव को छोड़कर) 16 लोकसभा चुनावों में वोटिंग पर्सेंटेज छह बार गिरा और 10 बार बढ़ा लेकिन इनमें से मौजूदा सरकारें 8 बार फिर से सत्ता में आई और इतनी ही बार बदली गईं.
तेलंगाना
आंध्र की तरह तेलंगाना में भी एक चरण में ही सभी सीटों पर वोट डाले गए.
कांग्रेस कुछ महीने पहले ही बीआरएस सरकार को हटाकर राज्य की सत्ता में आई है. ऐसे में पार्टी यहां मजबूत प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रही है. बीजेपी को भी अपनी सीटें बढ़ने की उम्मीद है. एक दशक पहले अपने गठन के बाद से राज्य पर शासन करने वाली बीआरएस कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है.
2019 के चुनाव में यहां कि 17 सीटों में से बीआरएस ने 9, कांग्रेस ने 3, बीजेपी ने 4 और AIMIM ने 1 सीट पर जीत दर्ज की थी. 2014 में भी यहां बीआरएस का दबदबा था. पार्टी ने 17 में से 11 सीट अपने पाले में किए थे.
2019 के चुनाव में तेलंगाना की इन 17 सीटों पर वोटिंग परसेंट 62.77% रहा था. इस बार यह आंकड़ा 64.93% रहा.
अगर तेलंगाना की हॉट सीटों की बात करें तो सबसे पहला नाम हैदराबाद की सीट का आता है. हैदराबाद में बीजेपी ने मौजूदा सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ क्लासिकल डांसर माधवी लता को मैदान में उतारा है. हैदराबाद AIMIM का गढ़ रहा है और 2004 के बाद से ओवैसी ने चार बार यह सीट जीती है. 2014 से पहले, ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी छह बार हैदराबाद से जीते थे.
इसके अलावा सिकंदराबाद सीट पर भी सबकी नजर है. बीजेपी ने मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को यहां से तीसरी बार मैदान में उतारा है. जी किशन रेड्डी का मुकाबला BRS के टी पद्मा राव गौड़ और कांग्रेस के दानम नागेंद्र से है.
उत्तर प्रदेश
चौथे चरण में यूपी के अंदर शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, धौरहरा, सीतापुर, हरदोई, मिश्रिख, उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा, कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर और बहराइच में वोट डाले गए. खास बात है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में इन सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. जहां बीजेपी नतीजों को दोहराने की कोशिश में है वहीं समाजवादी पार्टी कमबैक की उम्मीद कर रही है.
2019 के चुनाव में यूपी की इन 13 सीटों पर वोटिंग परसेंट 58.94% रहा था. इस बार रात 9 बजे तक यह आंकड़ा 58.05% रहा.
यूपी में इस चरण में कई सीटें हॉट थीं. सबसे बड़ा नाम कन्नौज का जहां से खुद एसपी सुप्रीमो अखिलेश यादव मैदान में हैं. अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को यहां बीजेपी के सुब्रत पाठक के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था. इस बार सुब्रत पाठक के खिलाफ अखिलेश यादव ही चुनाव लड़ रहे हैं.
इसके अलावा लखीमपुर खीरी सीट पर बीजेपी के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' का सीधा मुकाबला एसपी के उत्कर्ष वर्मा से है. अजय मिश्रा के बेटे पर ही किसानों को कुचलकर मारने का आरोप है.
बिहार
40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में चौथे चरण में 5 सीटों पर वोट डाले गए- दरभंगा, उजियारपुर, समस्तीपुर, बेगुसराय और मुंगेर. 2019 में इन सभी पर एनडीए गठबंधन को जीत हासिल हुई थी (3 बीजेपी, 1 एलजेपी और 1 जेडीयू). इस बार तेजस्वी यादव की आरजेडी के लिए बहुत कुछ दांव पर लगा है.
2019 के चुनाव में बिहार की इन 5 सीटों पर वोटिंग परसेंट 59.35% रहा था. इस बार यह आंकड़ा 57.06% रहा.
अगर बिहार के अंदर चौथे चरण की हॉट सीट की बात करें तो ’बिहार का लेनिनग्राद’ माना जाने वाले बेगूसराय में महागठबंधन की ओर से CPI ने पूर्व विधायक अवधेश राय को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने अपने फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर एकबार फिर दांव लगाया है.
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में चौथे चरण में जिन 8 सीटों पर वोट डाले गए. 2019 में ममता बनर्जी की टीएमसी ने इनमें से चार सीटें, बीजेपी ने तीन सीटें और कांग्रेस ने एक सीट जीती थी. हालांकि आसनसोल में बाद में उपचुनाव हुए जिसमें टीएमसी उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा ने जीत हासिल की थी.
2019 के चुनाव में पश्चिम बंगाल की इन 8 सीटों पर वोटिंग परसेंट 82.82% रहा था. इस बार यह आंकड़ा 78.44% रहा.
पश्चिम बंगाल में इस चरण में कई हॉट सीटें हैं. राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी बहरामपुर से छठी बार सांसद बनने के लिए फिर चुनाव लड़ रहे हैं. यहां उनका मुकाबला पूर्व वर्ल्ड कप विजेता क्रिकेटर और टीएमसी उम्मीदवार यूसुफ पठान से रहा. टीएमसी की फायरब्रांड नेता मोहुआ मोइत्रा कृष्णानगर से फिर से मैदान में हैं. उन्हें कैश-फॉर-क्वेरी के आरोप में लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था. आसनसोल से टीएमसी उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा ने फिर से दांव ठोका है.
महाराष्ट्र
चौथे चरण में महाराष्ट्र की 11 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ. ये हैं- नंदुरबार, जलगांव, रावेर, जालना, औरंगाबाद, मावल, पुणे, शिरूर, अहमदनगर, शिरडी और बीड. 2019 के चुनाव में महाराष्ट्र की इन 11 सीटों पर वोटिंग परसेंट 61.82 % रहा था. इस बार यह आंकड़ा 59.64% रहा.
यहां बड़ा मुकाबला बीड में है जहां बीजेपी की पंकजा मुंडे का मुकाबला NCP (शरद पवार गुट) के बजरंग सोनावणे से होगा. जबकि औरंगाबाद और मावल में मुकाबला शिव सेना vs शिवसेना का है.
आखिर में एक बात और. इसमें पोस्टल बैलेट से डाले हुए वोट शामिल नहीं हैं. वोटिंग परसेंट का आंकड़ा आगे और बढ़ेगा.
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