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राहुल गांधी की सजा पर रोक नहीं, सूरत कोर्ट ने बरकरार रखा निचली अदालत का फैसला

राहुल गांधी ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ तीन अप्रैल को सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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सूरत कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा 2019 में 'मोदी उपनाम' टिप्पणी पर मानहानि मामले में अपनी सजा पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी. गुजरात के सूरत की सेशन कोर्ट कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी, राहुल गांधी ने दो साल की सजा पर रोक लगाने की अपील की थी.अदालत ने अप्रैल 2019 में कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में की गई टिप्पणी के लिए 23 मार्च को राहुल गांधी को दोषी ठहराया था, जहां उन्होंने कहा था कि मोदी उपनाम वाले सभी लोग चोर हैं.

कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पार्टी ने हाईकोर्ट जाने का फैसला किया है. कांग्रेस महासचिव प्रभारी संचार जयराम रमेश ने कहा-

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कानून के तहत अभी भी हमारे पास जो भी विकल्प उपलब्ध हैं, हम उन सभी विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे.

अदालत ने राहुल गांधी को दो साल की जेल की सजा सुनाई और उन्हें अगले दिन लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया. राहुल गांधी ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ तीन अप्रैल को सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उनके वकीलों ने भी दो आवेदन दायर किए, एक सजा पर रोक के लिए और दूसरा अपील के निस्तारण तक दोषसिद्धि पर रोक के लिए.

राहुल गांधी को जमानत देते हुए कोर्ट ने शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने पिछले सप्ताह गुरुवार को दोनों पक्षों को सुना और 20 अप्रैल के लिए आदेश सुरक्षित रख लिया.

मानहानि का मामला बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने दायर किया था, जिन्होंने दावा किया था कि गांधी के बयान ने मोदी उपनाम वाले सभी लोगों को बदनाम किया है. अदालत ने गांधी को आईपीसी की धारा 499 (मानहानि) और 500 (मानहानि की सजा) के तहत दोषी पाया था.

राहुल गांधी ने दावा किया था कि एक सांसद के रूप में उनकी स्थिति के कारण ट्रायल कोर्ट ने उनके साथ कठोर व्यवहार किया है. चीमा ने सूरत की अदालत के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाया, यह कहते हुए कि भाषण कोलार में दिया गया था.

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