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लोकसभा चुनाव से पहले उद्धव गुट को बड़ा झटका, रवींद्र वायकर शिंदे गुट में शामिल

Ravindra Waikar Joins Shiv Sena: कॉर्पोरेटर से मंत्री तक का सफर, कौन हैं शिवसेना में शामिल होने वाले रवींद्र वायकर?

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लोकसभा चुनाव(General Election) से ठीक पहले महाराष्ट्र(Maharashtra) में उद्धव ठाकरे के गुट को एक बार फिर से झटका मिला है. एक वक्त ने उद्धव ठाकरे के करीबी माने जाने वाले रविंद्र वायकर ने शिवसेना (UBT) का साथ छोड़कर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का दामन थाम लिया है.

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पाला बदलने का खेल ऐसे समय पर हुआ है जब रवींद्र वायकर पर मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और ईडी (ED) लगातार नजर बनाए हुए है. वायकर को होटल निर्माण से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी 3 बार समन भेज चुकी है.

वायकर के खिलाफ कई मामले

पिछले 3 महीने से लगातार अटकलें लगाई जा रही थी की वायकर पार्टी बदल सकते हैं. ED की रेड के बाद और लगातार जारी होते समन के चलते ऐसी अटकलों का बाजार गर्म था. मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा ने वायकर पर बीजेपी के किरीट सोमैया की शिकायत के बाद 500 करोड़ के कथित घोटाले में शामिल होने पर मामला भी दर्ज किया था.

किरीट सोमैया ने आरोप लगाते हुए कहा था कि वायकर ने पार्क बनाने के लिए छोड़ी गई BMC की जमीन पर होटल निर्माण की स्वीकृति प्राप्त की और ऐसा करने में अपने राजनीतिक रसूख का फायदा उठाया.

मुंबई पुलिस की FIR के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नवंबर 2023 में वायकर पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी दर्ज किया था. ED ने वायकर के करीब 7 ठिकानों पर छापा मारा और उनसे पूछताछ भी की. ED ने वायकर के लिए 3 समन भी जारी किए.

शिवसेना के संजय राउत का कहना है कि वायकर ने ये फैसला केंद्रीय जांच एजेंसीज के दबाव में आकर लिया है.

कौन हैं रवींद्र वायकर

रवींद्र वायकर उद्धव ठाकरे के नजदीकी माने जाते थे. 65 वर्षीय वायकर ने 1980 में एक शिवसैनिक के तौर पर राजनीति में प्रवेश किया और मुंबई के जोगेश्वरी से BMC कॉर्पोरेटर बने और लगातार 4 बार कॉर्पोरेटर का चुनाव जीता. इसके बाद वो 2006-2009 तक बीएमसी (BMC) के स्टैंडिंग कमिटी के चेयरपर्सन भी रहे.

जोगेश्वरी पूर्व विधानसभा क्षेत्र से वायकर लगातार 3 बार विधायक रहे (2009, 2014, 2019). इसके साथ ही वायकर ने 2015-19 तक बीजेपी-शिवसेना गठबंधन वाली फडणवीस सरकार में तकनीकी एवं उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में भी कार्य किया.

शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन यानी महा विकास अघाड़ी (MVA) जब 2019 में सत्ता में आई तो इन्होंने अपने गृह जिले रत्नागिरी के संरक्षक का पदभार सम्भाला.

वायकर को उन कुछ निष्ठावान शिवसैनिकों में गिना जाता रहा है जिन्होंने शिवसेना को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 2012 में बाल ठाकरे की मौत के बाद से वायकर ने राज्य में पार्टी के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी निभाई. उद्धव ठाकरे ने 2004 में शिवसेना की जिम्मेदारी जब अपने कंधे पर उठाई वायकर तबसे उनके साथ थे.

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