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रवनीत सिंह बिट्टू को चुनाव हारने के बाद भी मोदी कैबिनेट में क्यों मिली जगह?

लुधियाना में चुनावी हार के बावजूद बीजेपी नेता रवनीत सिंह बिट्टू को मोदी सरकार में मंत्री पद की शपथ दिलाई गई.

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बीजेपी नेता रवनीत सिंह बिट्टू (Ravneet Singh Bittu) को लोकसभा चुनाव 2024 हारने के बाद भी मोदी की कैबिनेट 3.0 में मंत्री बनाया गया है. रवनीत सिंह बिट्टू लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए, हालांकि वह पंजाब के लुधियाना से चुनाव हार गए. इस हार के बाद भी रवनीत सिंह को राज्य मंत्री बनाया गया है.

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बीजेपी ने पिछले दो दशकों में बस इस बार का लोकसभा चुनाव 2024 पंजाब में अकेले लड़ा. इससे पहले बीजेपी, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD) की जूनियर गठबंधन सहयोगी रही थीं.

सितंबर 2020 में वापस लिए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच SAD के अलग होने के बाद से बीजेपी ने पंजाब में अकेले ही रास्ता बनाने की कोशिश की है.

हालिया संपन्न हुए लोकसभा चुनाव 2024 में पंजाब के लुधियाना से कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने बिट्टू को हराया.

बीजेपी का मानना ​​है कि हार मिलने के बावजूद बिट्टू उन लोकप्रिय नेताओं में से हैं जो पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने पर पार्टी पर प्रभाव डाल सकते हैं.

रविवार, 9 मई को रवनीत सिंह बिट्टू का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह अपनी कार छोड़कर पीएम मोदी की बैठक में शामिल होने के लिए सड़क पर दौड़ रहे थे.

वीडियो में बिट्टू को नरेंद्र मोदी के 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित घर के परिसर में प्रवेश करने से पहले अपने गार्ड के साथ गोल चक्कर पार करते हुए दिख रहे हैं.

रवनीत सिंह बिट्टू को क्यों मंत्री बनाया गया?

बिट्टू को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का एक और कारण यह है कि वह पंजाब में आतंकवाद विरोधी अभियान के प्रमुख चेहरों में से एक बेअंत सिंह के पोते हैं. कांग्रेस नेता बेअंत सिंह की हत्या तब की गई थी, जब वह पंजाब के मुख्यमंत्री थे.

वहीं यदि अन्य उम्मीदवारों की बात करें तो पंजाब से दो खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह और सरबजीत सिंह खालसा ने 2024 का लोकसभा चुनाव जीता है. आतंकवाद के आरोपों के तहत डिब्रूगढ़ जेल में बंद 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने खडूर साहिब से 1,97,120 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की, जो पंजाब में सबसे ज्यादा है.

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे के बेटे सरबजीत सिंह ने फरीदकोट लोकसभा सीट 70,053 वोटों के अंतर से जीती.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो, पार्टी ने बिट्टू को मंत्रिमंडल में शामिल कर एक तीर से कई निशाने किए हैं. पहला, पार्टी ये संदेश देना चाहती है कि भले ही नतीजे राज्य में अच्छे नहीं आए हैं बावजूद इसके पंजाब केंद्र की सरकार के लिए महत्वपूर्ण है.

दरअसल, पीएम मोदी कई मौकों पर पंजाब और सिख समुदाय की वीरता का जिक्र करते रहे हैं. लेकिन विपक्ष उसको दिखावा बताता है. ऐसे में बीजेपी उन आरोपों का काट निकालने में जुटी है.

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दूसरा, रवनीत सिंह बिट्टू का शामिल होना बीजेपी के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह पंजाब में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है. खालिस्तानी समर्थकों की जीत के बीच यह प्रतीकात्मक भी है.

इसके अलावा, बिट्टू को मंत्री बनाकर अमित शाह ने अपना वादा भी पूरा किया है, जो उन्होंने 26 मई को पंजाब के लुधियाना में एक रैली में कहा, “ये रवनीत बिट्टू मेरा दोस्त है, पांच साल से दोस्त बना है मेरा. ये रवनीत बिट्टू को लुधियाना से दिल्ली की संसद में भेजिए, इसको बड़ा आदमी बनाने का काम मैं करूंगा."

इससे पार्टी ये संदेश भी देने में सफल होगी कि जो वो कहती है उसे करती भी है. क्योंकि अतीत में विपक्ष बीजेपी पर धोखा देने का आरोप लगाता रहा है.

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