उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अंदर अस्थिरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी ने अभी तक जो उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं उनमें से कम से कम 9 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार बदल भी दिए गए हैं.
इनमें कई ऐसी सीटें हैं जहां उम्मीदवार दो या उससे ज्यादा बार बदले गए हैं. ऊहापोह की यह स्थिति नामांकन तक बनी रही. मेरठ, मुरदाबाद और रामपुर की सीटों पर दो-दो प्रत्याशियों द्वारा सीट पर उम्मीदवारी की ताल ठोकने से पार्टी में अंतर्कलह भी शुरू हो गई है.
इन तीनों सीट के अलावा पार्टी ने यूपी की गौतमबुद्ध नगर, बागपत, बिजनौर, संभल, मिश्रिख और मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट पर भी उम्मीदवार बदले हैं. उम्मीदवारों के नाम में लगातार हो रहे बदलाव को लेकर बीजेपी और एनडीए के घटक दल समाजवादी पार्टी पर निशाना भी साध रहे हैं.
राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के मुखिया जयंत सिंह ने ट्विटर पर चुटकी लेते हुए लिखा, "विपक्ष में किस्मत वालों को ही कुछ घंटों के लिए लोक सभा प्रत्याशी का टिकट मिलता है! और जिनका टिकट नहीं कटा, उनका नसीब."
मेरठ में दो बार बदलकर तीसरा उम्मीदवार मैदान में
एसपी ने मेरठ सीट पर भानु प्रताप के नाम की घोषणा कर सबको चौंका दिया. मेरठ में पार्टी के कई बड़े कद्दावर नेता, जैसे अखिलेश यादव के करीबी और सरधना विधायक अतुल प्रधान, सदर विधायक रफीक अंसारी और पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर टिकट के लिए लाइन में थे. ऐसे में "बाहरी" भानु प्रताप को मिला टिकट किसी के गले भी उतर रहा था.
जैसी उम्मीद की जा रही थी वैसा ही हुआ और पार्टी ने इस सीट पर पहला बदलाव करते हुए भानु प्रताप की जगह अतुल प्रधान को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया.
प्रधान के उम्मीदवार घोषित होते ही एक बार फिर पार्टी में चल रही है अंदरूनी कलह सामने आई. कई स्थानीय नेताओं का मानना था कि पार्टी ने अतुल प्रधान को जिला पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव तक में लगातार मौके दिए हैं. ऐसे में किसी और प्रत्याशी को लोकसभा चुनाव का उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए. अतुल प्रधान के पक्ष जो दूसरी चीज नहीं थी वह थी उनकी जाति. मुस्लिम और दलित बाहुल्य मेरठ लोकसभा सीट पर तकरीबन 1 लाख गुर्जर मतदाता हैं जो निर्णायक की भूमिका में नहीं रहते.
एसपी ने एक बार फिर बदलाव करते हुए अतुल प्रधान का टिकट काटकर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से एसपी में आए योगेश वर्मा की पत्नी और मेरठ की पूर्व मेयर सुनीता वर्मा को उम्मीदवार बना दिया.
सुनीता वर्मा को टिकट मिलने के बाद अतुल प्रधान के बगावती तेवर दिखने शुरू हो गए थे. हालांकि लखनऊ से अखिलेश यादव के दखल के बाद अतुल प्रधान पार्टी के फैसले को अपना समर्थन देते हुए नजर आए.
रोचक बात यह है योगेश वर्मा को एसपी में लाने वाले अतुल प्रधान ही हैं. सूत्रों की माने तो प्रधान और योगेश वर्मा की दोस्ती में खटास 2022 विधानसभा चुनाव के बाद पड़ी. इस चुनाव में अतुल प्रधान ने साधना सीट पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की. वहीं योगेश वर्मा हस्तिनापुर सीट से हार गए. योगेश वर्मा कैंप का मानना था की अतुल प्रधान ने चुनाव लड़वाने में अपेक्षित मदद नहीं की. ऐसे में यह देखना भी रोचक होगा सुनीता वर्मा को चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय एसपी नेताओं का समर्थन मिलता है या नहीं.
मुरादाबाद में एसटी हसन को तगड़ा झटका
मुस्लिम बाहुल्य मुरादाबाद सीट पर अपना टिकट कंफर्म मानकर चल रहे एसटी हसन को पार्टी से तगड़ा झटका मिला.
सिटिंग सांसद एसटी हसन का टिकट काटकर पार्टी ने आजम खान के करीबी और बिजनौर से पूर्व विधायक रुचि वीरा को टिकट दे दिया.
रुचि वीरा को टिकट मिलने की सुगबुगाहट शुरू होते ही सांसद एसटी हसन के समर्थकों ने विरोध करना शुरू कर दिया. एक समय ऐसा लगा की रुचि वीरा के विरोध और हसन के समर्थन में हो रहे प्रदर्शन के सामने पार्टी अपना रुख नरम करते हुए हसन का टिकट बरकरार रखेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
प्रभावशाली मुस्लिम चेहरे और सिटिंग सांसद का टिकट काटकर बाहरी चेहरे को टिकट देने का कोई आधिकारिक तर्क पार्टी की तरफ से नहीं आया है. सूत्रों का मानना है की मुरादाबाद सीट पर इस "क्रांतिकारी" बदलाव के पीछे आजम खान का हाथ है.
अपना टिकट कटने के बाद खासा नाराज दिख रहे एसटी हसन ने ऐलान कर दिया है कि वह एसपी प्रत्याशी रुचि वीरा को मुरादाबाद में चुनाव नहीं लड़वाएंगे. चुनाव तक अगर ऐसी ही स्थिति बनी रही तो नतीजो में पार्टी को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
कब रुकेगी "बदलाव एक्सप्रेस"?
बीएसपी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम बाहुल्य 7 लोकसभा सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. ऐसे में जहां एक तरफ मुस्लिम वोटो के बंटवारे का खतरा है वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों के चयन में हो रहे विवादों से पार्टी की स्थिति कमजोर होती नजर आ रही है.
नाम न बताने की शर्त पर पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता कहते हैं:
"कुछ सीटों पर समीकरण की दोबारा समीक्षा कर उम्मीदवार बदले गए हैं. हालांकि मेरठ से भानु प्रताप को उम्मीदवार बनाना और मुरादाबाद से एसटी हसन का टिकट काटने जैसे निर्णय को लेकर पार्टी ने अभी भी कोई तर्कसंगत बयान नहीं दिया है."
सूत्रों की माने तो उम्मीदवारों के बदलाव की फेहरिस्त अभी लंबी है. चर्चा है कि पश्चिम की बदायूं सीट पर दो बार उम्मीदवार बदले गए हैं.
चर्चा है कि इस सीट पर दूसरे बदलाव के रूप में आए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य यादव को यहां से प्रत्याशी बना सकते हैं.
कुछ ऐसी ही चर्चा घोसी सीट के लिए है जहां राजीव राय को उम्मीदवार बनाया गया है. लगातार हो रहे उम्मीदवारों के बदलाव का नतीजों में क्या फर्क पड़ेगा इसका आकलन जून 4 को ही हो पाएगा जिस दिन नतीजे आएंगे.
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