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SP-RLD गठबंधन पर मुहर, जयंत को कौन सी 7 सीट देंगे अखिलेश? साथ आने से बदलेगा समीकरण?

SP-RLD Alliance in UP: राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से यूपी में सहयोगी हैं.

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SP, RLD announce alliance for Lok Sabha polls: कांग्रेस से गठबंधन की चर्चाओं के बीच समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल में सीट बंटवारे पर आम सहमति बन गई है. दोनों दलों ने उत्तर प्रदेश में साथ मिलकर लड़ने का फैसला किया है. आरएलडी के साथ गठबंधन की पुष्टि करते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि राष्ट्रीय लोक दल और सपा के गठबंधन पर सभी को बधाई! आइए हम सब जीत के लिए एकजुट हों!”

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अखिलेश-जयंत ने क्या कहा?

न्यूज एजेंसी ANI से अखिलेश यादव ने कहा, "हमारी और RLD के जयंत चौधरी जी की बात अच्छी हुई. हमने मिलकर 7 सीटों पर चर्चा की है. कांग्रेस के साथ भी गठबंधन की बात हो रही है. कई बैठक दिल्ली में हो चुकी हैं. बहुत जल्द ही और बैठक होगी और रास्ता निकाल लिया जाएगा. INDIA ब्लॉक मजबूत हो, सवाल सीट का नहीं जीत का है. जीत के आधार पर हम सब लोग मिलकर फैसला लेंगे."

वहीं, आरएलडी सुप्रीमो जयंत चौधरी ने एक्स पर लिखा, "राष्ट्रीय, संवैधानिक मूल्यों के रक्षा के लिए सदैव तत्पर, हमारे गठबंधन के सभी कार्यकर्ताओं से उम्मीद है, अपने क्षेत्र के विकास और खुशहाली के लिए कदम मिलाकर आगे बढ़ें!

SP-RLD की किन सीटों पर बनी बात?

हालांकि, वो सात सीटें कौन हैं, जिस पर राष्ट्रीय लोकदल अपने प्रत्याशी उतारेगी, इसका खुलासा अभी तक दोनों ही पार्टियों की तरफ से नहीं हुआ है,

आरएलडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने क्विंट हिंदी से कहा, "हमारे और समाजवादी पार्टी के बीच सात सीटों पर सहमति बनी है. RLD सात सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी और अन्य सीटों पर समाजवादी पार्टी को समर्थन करेगी."

ये पूछे जाने पर कि वो सात सीटें कौन होंगी और क्या जयंत चौधरी (वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं) इस बार मथुरा से चुनाव लड़ेंगे, इस पर अनिल दुबे ने कहा, "हम चुनावी रणनीति के तहत अभी सीटों का खुलासा नहीं कर सकते हैं लेकिन जल्द ही इसकी सूचना सार्वजनिक की जाएगी."

जयंत चौधरी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, वो जिस सीट से चाहे चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन ये फैसला उनका है, वही इस पर निर्णय लेंगे.
अनिल दुबे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आरएलडी
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लेकिन RLD के एक अन्य नेता ने नाम न छपने की शर्त पर क्विंट हिंदी को बताया, "हम मुख्यता पश्चिम उत्तर प्रदेश की सीटों पर लड़ेंगे, जिसमें मथुरा, बागपत, फतेहपुर सीकरी, बिजनौर, अमरोहा, मुजफ्फरनगर और मेरठ शामिल हैं."

दरअसल, ये सीटें आरएलडी के प्रभाव वाली कही जाती है और इन क्षेत्रों में जाटों का अच्छा संख्या में प्रभुत्व है.

वहीं, कांग्रेस को लेकर अखिलेश और जयंत में क्या बात हुई, इस पर अनिल दुबे ने कहा कि एसपी और कांग्रेस की बात चल रही है, और जल्द ही फैसला सामने आ जाएगा.

कांग्रेस को गठबंधन में कितनी सीट मिलेगी इस पर दुबे ने कहा, "जो भी फैसला होगा, वो अखिलेश यादव तय करेंगे क्योंकि एसपी यूपी में बड़ा दल हैं और वो ही फैसला करेंगे कि कांग्रेस को कितनी सीटें देनी हैं."

जानकारी के अनुसार, बुधवार (17 जनवरी) को सीट शेयरिंग को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस नेताओं की बैठक हुई थी, बैठक के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो.राम गोपाल यादव ने कहा, "आधा रास्ता तय कर लिया, और बाकी आधा भी तय कर लेंगे.”

वहीं, इंडियन एक्सप्रेस से कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "कांग्रेस यूपी में 28 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और उसे करीब '25 सीटें' मिलने की उम्मीद है. पार्टी ने 2009 लोकसभा चुनाव का हवाला दिया है, जहां उसे 21 सीटों पर जीत मिली थी."

हालांकि, समाजवादी पार्टी नेताओं का मानना है कि कांग्रेस 28 सीटें ज्यादा मांग रही है. समाजवादी पार्टी के एक नेता ने कहा, "कांग्रेस 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में सिर्फ दो सीटें जीत सकी थी. 80 में से अट्ठाईस सीटें बहुत होती हैं. उन्हें इंडिया ब्लॉक की खातिर समझौता करना होगा." लेकिन समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो एसपी कांग्रेस को 10 से अधिक सीट देने के मूड में नहीं है.

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कैसा रहा कांग्रेस का यूपी में प्रदर्शन?

जानकारी के अनुसार, 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सात सीटें जीती थी जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में दो और 2019 में एक सीट पर जीत मिली थी. इससे पहले 2012 में कांग्रेस को 28 सीटें, 2007 में 22, 2002 में 25, 1996 में 33, 1991 में 46, 1985 में 269, 1980 में 309 और 1977 में 47 सीटें मिली थीं.

कांग्रेस को 1985 के बाद उत्तर प्रदेश के किसी विधानसभा चुनाव में 50 से अधिक सीटें नहीं मिल पाई हैं.

2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अकेले मैदान में थी और पार्टी का वोट शेयर 2.40 फीसदी था, जो उसका अब तक सबसे खराब प्रदर्शन है.

SP-RLD के साथ आने से क्या होगा?

राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से यूपी में सहयोगी हैं. आरएलडी ने तब एसपी और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ महागठबंधन के हिस्से के रूप में तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था. आरएलडी सभी तीन सीटें हार गई, जबकि एसपी ने 37 सीटों में से पांच सीटें जीतीं और बीएसपी जिन 38 सीटों पर चुनाव लड़ी उनमें से 10 सीटें जीतने में सफल रही.

2022 में विधानसभा चुनाव में बीएसपी और एसपी के बीच का बहुमत टूट चुका था. एसपी ने जिन 347 सीटों पर चुनाव लड़ा उनमें से 111 पर जीत हासिल की, जबकि आरएलडी ने उन 33 सीटों में से नौ पर जीत हासिल की, जहां वह मैदान में थी.

समाजवादी पार्टी का 2022 के चुनाव में वोट शेयर 32.02 फीसदी था जबकि आरएलडी को 3.08 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे. यानी दोनों दलों का वोट शेयर मिलाकर 35 फीसदी से ज्यादा है. लेकिन बीजेपी के 41.76 फीसदी से कम है. 
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वहीं समाजवादी पार्टी का 2019 के चुनाव के मुकाबले 2022 में 10 फीसदी से ज्‍यादा वोट बढ़ा था. पार्टी को 18.11 प्रतिशत और आरएलडी को 1.69 प्रतिशत वोट मिला था.

एक नजर डालते हैं कि उन सीटों के 2019 चुनाव के नतीजों पर जिनकी आरएलडी मांग कर रही है-

मथुरा से बीजेपी की हेमा मालिनी को जीत मिली थी, इस सीट पर आरएलडी दूसरे नंबर और कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी. आरएलडी के नरेंद्र सिंह को 377822 वोट मिले थे.

बागपत में बीजेपी के डॉक्टर सत्यपाल सिंह जीते थे, यहां आरएलडी दूसरे नंबर पर थी. बीजेपी को 525789 और आरएलडी को 502287 मिले थे.

फतेहपुर सीकरी में बीजेपी के राज कुमार चाहर जीते थे, जबकि यहां कांग्रेस दूसरे और बीएसपी तीसरे नंबर रही थी. कांग्रेस को 172082 और बीएसपी को 168043 वोट मिले थे.

बिजनौर में बीएसपी के मलूक नागर जीते थे, जबकि बीजेपी दूसरे और कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी.

अमरोहा में बीएसपी के दानिश अली को जीत मिली थी. यहां बीजेपी दूसरे और कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी.

मुजफ्फरनगर से बीजेपी के डॉक्टर संजीव कुमार बाल्यान विजेता घोषित हुए थे. यहां रालोद दूसरे नबंर पर थी. बीजेपी को 573780 और रालोद को 567254 वोट मिले थे.

मेरठ में बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल जीते थे. यहां बीएसपी दूसरे नंबर और कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी. इस सीट पर हार-जीत का अंतर 4,729 वोटों का था.

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दरअसल, आरएलडी जिन सीटों की मांग कर रही है, वो पिछली बार गठबंधन के तहत बीएसपी के कोटे में चली गई थी. लेकिन इस बार मायावती के गठबंधन से इनकार करने के बाद आरएलडी पहले से ही उन सीटों पर अपना दावां ठोक रही है. हालांकि, इन सीटों पर अंतिम निर्णय क्या होगा, ये फाइनल पुष्टि होने के बाद ही पता चल पाएगा.

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