केंद्र और दिल्ली सरकार के अस्पतालों के लगभग 25 हजार रेजिडेंट डॉक्टर गुरुवार को एकसाथ एक दिन की हड़ताल पर चले गए. डॉक्टरों ने गैर प्रैक्टिस भत्ते (एनपीए) को बेसिक वेतन में जोड़े जाने की मांग को लेकर हड़ताल की थी. लेकिन इन डॉक्टरों की हड़ताल मरीजों के लिए मुसीबत बन गई.
डॉक्टरों की हड़ताल के चलते समय पर इलाज न मिलने के कारण लोकनायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपीएन) अस्पताल में एक बुजुर्ग महिला मरीज की मौत हो गई.
अर्थराइटिस और सांस संबंधी बीमारी से जूझ रही सपरा बेगम (70) को सुबह लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया था, लेकिन समय पर उन्हें इलाज न मिलने के चलते उनकी मौत हो गई.
मेरी मां की हालत बेहद खराब थी. हम उन्हें लेकर सुबह लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के आपातकाल विभाग में पहुंचे. हमें कहा गया कि हड़ताल के कारण यहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं है और हमें एम्स चले जाना चाहिए.शब्बीर, मृत महिला के बेटा
शब्बीर ने बताया, “लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में दो घंटे तक इंतजार करने के बाद उन्होंने मेरी मां को एक इंजेक्शन दिया, जिसके बाद वे उल्टी करने लगीं और 15 मिनट के अंदर उनकी मौत हो गई.”
हड़ताल पर गए दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ गैर प्रैक्टिस भत्ते को बेसिक वेतनमान के साथ जोड़ने की मांग कर रहे हैं.
सफदरजंग अस्पताल, लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल, राम मनोहर लोहिया अस्पताल और दिल्ली सरकार के अन्य अस्पतालों के डॉक्टर गुरुवार को लेडी हार्डिग अस्पताल में इकट्ठा हुए और जंतर मंतर तक विरोध मार्च भी निकाला.
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