“साल 2016 में हमारे फादर ने हमारी मदर को जलाकर मार दिया था. हमें एक कमरे में बंद कर दिया गया था. हम मां को जलते हुए खिड़की से देख रहे थे. सभी लोग मिलकर उन्हें जिंदा जला रहे थे, सिर्फ इसलिए कि उनका कोई बेटा नहीं था. इसमें हमारी मदर की क्या गलती थी. मां पहली गुरु होती है, जो हमारे लिए स्वर्ग है. उन्होंने ने हमें पाला पोसा, एक बच्चे को बड़ा करने में मां को कितना कुछ सहना पड़ता है और उस बंदे ने उन्हें जिदा जलाकर मार डाला”. ये कहना है यूपी के बुलंदशहर की लतिका बंसल का जिन्होंने मां को न्याय दिलाने और पिता को सजा दिलाने के लिए 6 साल की लंबी लड़ाई लड़ी. इसके लिए उन्होंने साल 2016 में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को खून से पत्र भी लिखा था.
लतिका कहती हैं कि
"अब मेरे लिए पिता नहीं, वो केवल हैवान है. इससे अधिक कुछ नहीं. हमने 6 साल की लंबी लंड़ाई लड़ी और मां को न्याय दिलवाया. कोर्ट ने उसे 302 के तहत दोषी ठहराया है और आजीवन कारावास के साथ ही 20 हजार रुपए के दंड से दंडित किया है.
लतिका के वकील संजय शर्मा कहते हैं कि
साल 2016 में एक FIR हुए थी. उसमें अन्नू बंसल को उसके ससुराल वालों द्वारा जला दिया गया था. इस मामले में मनोज और कुछ अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया था. शुरुआती जांच के दौरान 306 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. लेकिन, बाद में कोर्ट में चार्ज फ्रेम हुआ वो 302 के तहत हुआ. उसके बाद कोर्ट ने मनोज के 302 के तहत दोषी ठहराया और आजीवन कारावस की सजा सुनाई और 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया.
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