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महाराष्ट्र में इस साल भी नहीं सुनाई देगा 'गोविंदा आला रे', मुंबई पुलिस की सख्ती

सीएम उद्धव ठाकरे ने गोविंदा पथकों से इस साल भी दही हांडी नहीं मानने की अपील की है

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महाराष्ट्र (Maharashtra) में जन्माष्टमी के मौके पर 'आला रे आला, गोविंदा आला' का जयघोष इस साल भी नहीं सुनाई देगा. ना ही मुंबई की सड़कों पर माखन चोर की टोलियां मटकी फोड़ने के लिए ऊंचे पिरामिड बनाती दिखेंगीं. क्योंकि हर साल की तरह जोर शोर से दही हांडी उत्सव मनाने पर उद्धव सरकार ने रोक लगा दी है. कोरोना के बढ़ते आंकड़े और केंद्र से मिली सूचनाओं के तहत सीएम उद्धव ठाकरे ने गोविंदा पथकों से इस साल भी दही हांडी नहीं मानने की अपील की है. यानी मंगलवार 31 अगस्त को दही हांडी उत्सव का रंग एक बार फिर कोरोना के चलते फीका पड़ेगा.

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हालांकि गोंविदा पथकों ने सरकार को चिट्ठी लिखकर अपील की है कि उन्हें पारंपरिक तरीके से कोविड के नियमों का पालन करते हुए दही हांडी उत्सव मनाने की इजाजत दी जाए. लेकिन सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है. जिससे मुंबई के बड़े गोविंदा पथकों में उत्सव मनाने को लेकर असमंजस का माहौल है.

दही हांडी पर गरमाई राजनीति

इस बीच विपक्षी पार्टियां बीजेपी और एमएनएस ने दही हांडी उत्सव मनाने पर लागू पाबंदियों को तोड़ने की चेतावनी दी है. विपक्ष सिर्फ हिंदू त्योहारों पर रोक लगाने का आरोप लगा रहा है. ऐसे में अब मुंबई पुलिस ने सबसे मशहूर जय जवान और ताड़वाडी गोविंदा पथक के आयोजकों को नोटिस जारी किया है. तो वहीं ठाणे पुलिस ने एमएनएस नेता अविनाश जाधव को हिरासत में ले लिया. सरकार की तरफ से कोविड नियमों का उल्लंघन करने वाले गोविंदाओं पर सख्त कार्रवाई करने के आदेश हैं.

कैसे मनाया जाता है दही हांडी उत्सव?

  • मुंबई के बड़े पथक सबसे पहले अपने इलाके की 'मानाची दही हांडी' फोड़ते हैं.

  • आगे मुंबई के परेल, दादर, वरली, घाटकोपर, भांडुप, कांजुरमार्ग होते हुए ठाणे की प्रसिद्ध हांडी फोड़ने जाते हैं.

  • कम से कम 4 से 5 हजार लोग एक मंडल से जुड़े होते हैं, जो कई इलाके में जाकर त्योहार मनाते हैं.

  • जय जवान पथक 9 थर (लेयर्स) तक के मानवी पिरामिड लगाकर सबसे ऊंची दही हांडी लगाते हैं. इसके लिए उनका गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी नाम शुमार है.

  • इससे मिलने वाली लाखों की राशि से वो साल भर कई सामाजिक काम करते हैं. जिसमें गरीब बच्चों की पढ़ाई, आदिवासी इलाके में अनाज बांटना और कोविड में भी लोगों की मदद करना शामिल है.

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क्या है गोविंदा पथक की मांगें ?

अरुण पाटील, महाराष्ट्र दही हांडी समन्वय समिति, कार्याध्यक्ष ने बताया कि, "हमने सरकार से कहा कि दही हांडी पथक पारंपरिक समारोह में 18 साल से कम उम्र के बच्चों को शामिल नहीं करेगा. साथ ही सिर्फ वैक्सीनेटेड गोविंदा उत्सव में शामिल होंगे. मास्क और सैनिटाइजेशन के साथ सिर्फ अपने ही इलाके में बिना भीड़ इकट्ठा किए उत्सव मनाएंगे. हमने एक समन्वय समिति के रूप में किसी भी टीम को दही हांडी मनाने के लिए नहीं कहा है. साथ ही उनसे नियमों का पालन करने की अपील की है. लेकिन कुछ राजनीतिक दलों ने घोषणा की है कि वो दही हांडी जोर शोर से मनाएंगे. जिस वजह से इस विषय ने राजनीतिक मोड़ ले लिया है. मेरा पुलिस से अनुरोध है कि वे युवा गोविंदाओं पर केस न करे. जिससे उनकी जिंदगी खराब हो जाए. क्योंकि ज्यादातर लड़के नौकरी, रोजगार वाले मध्यम वर्ग परिवार से आते हैं."

इसके अलावा जोगेश्वरी के जय जवान मंडल के समन्वयक डेविड फर्नान्डीज का कहना है कि,"विपक्षी पार्टी बीजेपी नारायण राणे की जन आशीर्वाद यात्रा निकालती है, शिवसेना के कार्यकर्ता राणे के घर के बाहर प्रदर्शन करते हैं. तब कोरोना नियमों की याद सरकार को क्यों नहीं आती. जबकि हम सालों से प्रोफेशनल ट्रेनिंग लेकर नियमों के तहत उत्सव मनाने चाहते हैं, तो हम पर कार्रवाई की जा रही है. सरकार इस तरह का भेदभाव कैसे कर सकती है?"
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सरकार दही हांडी उत्सव पर क्यों लगा रही है रोक?

एक सप्ताह पहले महाराष्ट्र दही हांडी समन्वय समिति की मुख्यमंत्री के साथ बैठक में कोरोना की तीसरी लहर पर चर्चा हुई. टास्क फोर्स ने कहा कि दही हांडी उत्सव मनाने से कोरोना संक्रमण फैल सकता है. टास्क फोर्स का मानना है कि इस त्योहार में बड़े पैमाने पर भीड़ जमा होना और क्लोज ह्यूमन कॉन्टैक्ट होता है. साथ ही पानी के इस्तेमाल से संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ जाती है. इसीलिए कोरोना आंकड़ों के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए त्योहार पर बंदी ही सही विकल्प होगा.

जिसके बाद मुख्यमंत्री ने समन्वय समिति से पिछले साल की तरह सहयोग करने की अपील की थी. लेकिन मुलाकात के बाद समिति ने पारंपरिक तरीके से जश्न मनाने की इजाजत मांगी थी. लेकिन मुख्यमंत्री ने उस पर अब तक कोई फैसला नहीं दिया है.

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