"जिस तरह से आक्रांताओं और दंगाइयों ने नालांदा यूनिवर्सिटी को सैकड़ों साल पहले जलाया था, ठीक उसी तरह नालंदा की धरती पर बसे एक और शैक्षणिक संस्था को साल 2023 में दंगाइयों ने जला डाला. इतने सालों बाद भी कुछ नहीं बदला. तालीम हासिल करने वाले इदारों पर हमला तब भी हुआ और आज भी. नालंदा का मदरसा अजिजिया सिर्फ बिहार ही नहीं भारत के मुसलमानों के लिए एक अहम इदारों में से एक है."
ये बातें बिहार के नालंदा जिले के बिहार शरीफ के उस मदरसा अजीजिया के इंचार्ज प्रिंसिपल की जुबान से निकले हैं, जिसे दंगाइयों ने आग के हवाले कर दिया.
दरअसल, 31 मार्च 2023 यानी रामनवमी का दिन था. जब रामनवमी जुलूस के दौरान बिहार शरीफ में हिंसा भड़क उठी. इसी दौरान कुछ उपद्रवियों ने बिहार शरीफ के मुरारपुर इलाके में स्थित 3 एकड़ में फैला मदरसा अजिजिया की लाइब्रेरी को आग के हवाले कर दिया.
मदरसा अजीजिया क्यों है खास?
बिहार में खुदा बख्शा लाइब्रेरी के बाद मदरसा अजीजिया की लाइब्रेरी का नाम आता है. इसकी स्थापना 1896 में हुई थी. यह मदरसा बिहार के इतिहास की सबसे दानी कही जाने वाली महिला बीबी सोगरा ने अपने पति अब्दुल अजीज की याद में खोला गया था. अजीजिया बिहार का पहला वेल-ऑर्गनाइज्ड मदरसा है जिसके पास वक्फ (दान) की हुई बहुत बड़ी जायदाद थी, जो करीबन तीन एकड़ जमीन में फैली हुई हैं. जब 1920 में मदरसा बोर्ड की शुरुआत बिहार के पहले शिक्षा मंत्री सैयद फखरुद्दीन ने किया, तो मदरसा अजीजिया भी मदरसा शम्सुल होदा की तरह एक सरकारी मदरसा हो गया.
मोहम्मद शाकिर कासमी जो कि मदरसा अजीजिया के इंचार्ज प्रिंसिपल है उन्होंने क्विंट हिंदी से बात करने के दौरान बताया कि लाइब्रेरी में ऐसी भी किताबें थीं जो कल्मी थी यानी कलम से लिखी हुई, जिनकी कोई दूसरी कॉपी मौजूद नहीं है. वो सब खाक हो चुकी हैं. इसमें कुरान से लेकर हदीस की किताबें, बुखारी शरीफ, तिर्मिधि जैसी कई अहम इस्लामिक किताबें थीं.
उन्होंने कहा कि आग इस तरह से लगाई गई की मोटी-मोटी दीवारें बीच से फट गई और पंखे जल कर सिकुड़ चुके हैं.
कासमी आगे बताते हैं कि 1981 में बिहारशरीफ में हुए दंगे के बाद मुसलमानों की आबादी मदरसे के पास अपने मकान-दुकान बेच कर चली गई. मुसलमानों की बड़ी आबादी मदरसे से करीब 500 मीटर के फासले पर रहती है. मदरसा के साथ एक मस्जिद भी है. मदरसा में करीब 18 कमरे हैं.
कासमी आगे बताते हैं कि मदरसा अजीजिया में सरकार की तरफ से 10 टीचर और 2 नॉन टिचिंग मौजूद हैं. वहीं 5 लोगों को सोगरा वक्फ स्टेट की तरफ से तनख्वाह मिलता था.
UNFPA ने मदरसा अजीजिया की काफी तारीफ की थी
आज से करीब 6 महीने पहले मदरसा अजीजिया का जायजा लेने UNFPA (संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष) की टीम भी आई थी. उस वक्त अजीजिया को मदरसा रिसोर्स सेन्टर बनाया गया था. इसके अंदर नालंदा के अलावा नवादा, पटना और भोजपुर के 40 मदरसा शामिल थे. मदरसों में चल रही तालीम-ए-नौ बालिगान के कामों का जायजा लेने आई टीम के सभी सदस्य स्कूलों के काम व बच्चों की तालीम को देखकर काफी प्रभावित हुए थे और उनकी काफी तारीफ भी की थी.
इस घटना को नालंदा यूनिवर्सिटी की घटना से क्यों जोड़ा जा रहा है
इतिहासकार के मुताबिक बख्तियार खिलजी के लोगों ने करीब 1193 में नालंदा यूनिवर्सिटी पर विनाशकरी हमला किया था, जिसमें पूरा विश्वविद्यालय जल कर नष्ट हो गया था. कहा जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय में इतनी किताबें थीं कि महीनों तक वो किताबें जलती रहीं थीं.
मदरसा अजीजिया के सेक्रेट्री मुख्तारुल हक बताते हैं कि जिस तरह से नालंदा विश्वविद्यालय को जलाया गया था ठीक उसी तरह मदरसा अजीजिया की लाइब्रेरी को जलाकर लगभग 500 छात्रों के शिक्षा को बर्बाद करने की कोशिश हुई.
मोहम्मद शाकिर कासमी क्विंट हिंदी से बताते है कि 8 अल्मिरह (अलमारी) में बच्चो के मार्कशीट और सर्टिफिकेट थें जों जल कर राख हो गए.
'पहले भी मदरसा पर हुआ था हमला'
मोहम्मद शाकिर कासमी बताते हैं कि साल 2017 में भी होली के दौरान मदरसा अजीजिया को कुछ उपद्रवियों ने नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी. उस दौरान खिड़कियां तोड़ दी गई थीं. जिसके बाद करीब एक साल तक मदरसा की हिफाजत के लिए पुलिस की तैनाती की गई थी. हालांकि माहौल ठीक होने के बाद पुलिस को हटा लिया गया था.
मुख्तारुल हक कहते हैं कि मदरसा अजीजिया का खूबसूरत इतिहास और रौशन मुकद्दर इस बात की गवाही देता है कि इसपर हमले और इसके 100 साल के इतिहास को खाक करने की कोशिश महज एक इत्तेफाक नहीं बल्कि दंगाइयों की सोची समझी साजिश हो सकती है.
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