वाराणसी की जिला अदालत ने काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद कॉम्प्लेक्स के पुरात्विक सर्वे को अनुमति दे दी है. कोर्ट ने स्वयंभू ज्योर्तिलिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वकील वी एस रस्तोगी की याचिका को मंजूर कर लिया है.
मंदिर के पक्ष में दावे की प्रमाणिकता की जांच
इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील वीएस रस्तोगी ने कोर्ट में अर्जी देकर ज्ञानवापी मस्जिद की जमीन हिन्दुओं को वापस करने की मांग की थी. याचिकाकर्ता का दावा है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने 1664 में 2000 साल पुराने मंदिर के एक हिस्से को गिरा दिया था और वहां पर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई थी.
याचिकाकर्ता की इस दलील का ज्ञानवापी मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी ने विरोध किया था, लेकिन अब कोर्ट ने मस्जिद के पुरातत्व सर्वे को मंजूरी दे दी है.
सरकार उठाएगी सर्वे का पूरा खर्च
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद कॉम्प्लेक्स के ASI सर्वे का पूरा खर्च सरकार द्वारा उठाया जाएगा.
कोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि,
“मेरे हाथ अगले 12 महीनों तक भरे हुए हैं, जिसमें ज्ञानवापी काशी विश्वनाथ मंदिर जीर्णोद्वार, सरकार द्वारा राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करना. इसके बाद सेतु को श्रीलंका में अशोक वाटिका से जोड़ने की मांग शामिल है.”
सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में दलील दी थी. जिसमें कहा गया कि उपासना स्थल अधिनियम 1991 न केवल असंवैधानिक है बल्कि संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ भी है.
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच, जिसमें जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रह्मणियम शामिल थे, उन्होंने इस मामले में केंद्र सरकार से नई याचिका दायर करने को कहा था.
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