सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें यूपी के सचिव (वित्त) शाहिद मंजर अब्बास रिजवी और विशेष सचिव (वित्त) सरयू प्रसाद मिश्रा को अदालत के 4 अप्रैल के निर्देश का पालन न करने के लिए हिरासत में लेने का निर्देश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया है. अब इस मामले पर कल सुनवाई होगी.
बता दें कि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिटायर्ड जजों (सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट) को सुविधाएं देने के आदेश की अवहेलना करने के मामले में सचिव (वित्त) रिजवी और विशेष सचिव (वित्त) सरयू प्रसाद मिश्र को न्यायिक हिरासत में ले लिया था और कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था.
इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद के आदेश पर रोक लगा दी है.
जब वित्त विभाग के अधिकारियों को हिरासत में लेने के बाद अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने कोर्ट से अधिकारियों की जमानत की मांग की तो कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था और कहा था की कोर्ट के आदेश का पालन करें तभी राहत मिल सकती है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि, अधिकारी कोर्ट की नहीं सुनते, पिछले दो महीने से आदेश का पालन करने की बात कहकर टालते जा रहे हैं.
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद की बेंच ने रिटायर्ड जजेज एसोसिएशन की याचिका पर दिया है. हाईकोर्ट ने यूपी के रिटायर जजों को घरेलू नौकर समेत अन्य सुविधाएं बढ़ाने के मामले में प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि चीफ जस्टिस के प्रस्तावित नियम को तत्काल रूप से अमल में लाए.
रिटार्यड जजों के अधिवक्ता आलोक कुमार यादव ने कहा कि, उत्तर प्रदेश में भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों को वही सुविधाएं और लाभ दिया जाए जो आंध्र प्रदेश सरकार अपने राज्य के रिटायर्ड जजों को दे रही है.
इसी पर सचिव वित्त ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि इस मामले पर आदेश पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाना चाहिए ताकि पूरे देश के लिए एक समान नियम बनाया जा सके.
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