टाटा संस में मचे घमासान के बीच समूह ने आरोप लगाया है कि, साइरस मिस्त्री ने चेयरमैन बनने के लिए चयन समिति को बड़े-बड़े वादों से भ्रमित किया था. साथ ही उन्होंने कहा कि सायरस ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल मैनेजमेंट स्ट्रक्चर को कमजोर करने के लिए किया.
टाटा समूह ने आज शेयरधारकों के नाम अपील में कुछ अहम तथ्य उजागर किए हैं जिनके कारण मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाया गया.
यह अपील टाटा की प्रमुख कंपनियों के बोर्ड अॉफ डॉयरेक्टर्स की इस महीने होने वाली बैठकों के कुछ दिन पहले जारी की गई है. इन बैठकों में मिस्त्री को उनके निदेशक पद से हटाए जाने के प्रस्ताव पर फैसला होना है.
‘बड़े-बड़े वादों पर खरे नहीं उतरे मिस्त्री’
आज जारी अपील में कहा गया है,‘ मिस्त्री के बयानों ने उनको चेयरमैन पद के लिए चुनने के फैसले में बड़ी भूमिका निभाई थी. लेकिन चार साल के इंतजार के बाद भी मैनेजमेंट ढांचे और योजनाओं को लागू नहीं किया गया.
अपनी कंपनी से दूर नहीं रहे मिस्त्री
टाटा संस ने आरोप लगाया है कि मिस्त्री ने अपने परिवार की फर्म शापूरजी पलोंजी एंड कंपनी से खुद को दूर रखने के वादे को भी पूरा नहीं किया. इससे उनके व्यक्तिगत हित टाटा समूह से टकराने लगे. इससे समूह का उनसे भरोसा टूटा.
अपने हाथ में ली सारी शक्तियां
टाटा समूह के अनुसार कमान संभालने के बाद ही मिस्त्री ने सारी शक्तियां अपने हाथ में लेना शुरू कर दिया था. कथित तौर पर उन्होंने आजादी और भरोसे का नाजायज फायदा उठाकर मैनेजमेंट ढांचे को कमजोर किया और एक ट्रस्टी के उलट काम किया.
कम हो रहा थी समूह की आय!
समूह ने कहा है कि टीसीएस के अलावा बाकी सभी कंपनियों की आय लगातार गिर रही थी. इसमें भी टीसीएस का लाभांश ज्यादा होने की वजह से घाटा नहीं हुआ. वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों का खर्च दोगुने से ज्यादा बढ़ गया था. समूह का कहना है कि वो इस स्थिति को और ज्यादा बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं था. इससे भविष्य में बड़ा खतरा पैदा हो सकता था.
बयान में सभी सभी छोटे-बड़े शेयरधारकों से मिस्त्री से हटाने के प्रस्ताव का समर्थन करने की अपील की गई है.
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