हापुड़ (Hapur) के एक सरकारी स्कूल (UP Government School) में दो दलित नाबालिग बच्चियों को शिक्षिकाओं द्वारा निर्वस्त्र करने का मामला सामने आया था. अब इस मामले में दो शिक्षिकाओं पर एफआईआर दर्ज हो गई है. स्कूल प्रशासन पर भी मामले को रफा-दफा करने का आरोप है. स्कूल की दो शिक्षिकाएं सुनीता और वंदना पर मुकदमा दर्ज हुआ है.
क्या था पूरा मामला?
हापुड़ के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली दोनों बच्चियां कक्षा चार की हैं और उनकी उम्र महज आठ और नौ साल है. आरोप है कि 11 जुलाई को इनकी टीचर सुनीता और वंदना ने जबरन इनकी यूनीफॉर्म उतरवाई और इन्हें निर्वस्त्र कर दिया था. इस दौरान दोनों बच्चियों के पास उनके अंडरगार्मेंट भी नहीं थे. स्कूल टीचर सुनीता और वंदना करीब एक घंटे तक दोनों छात्राओं की यूनीफॉर्म दूसरी छात्राओं को बारी-बारी पहनाकर उनके फोटो खींचती रही और दोनों छात्राएं शर्म के मारे रोती रहीं. यहां तक कि शिक्षिकाओं ने धमकी भी दी कि इस बारे में अगर घरवालों को बताया तो स्कूल से नाम काट दिया जायेगा.
दरअसल, शिक्षिकाओं की यह हरकत एक फर्जीवाड़े का हिस्सा था जिसमें उन्हें अफसरों को फोटो भेजकर यह साबित करना था कि उनके स्कूल की हर एक छात्रा को सरकारी यूनीफॉर्म मिल चुकी है और हर छात्रा यूनीफॉर्म पहनकर ही स्कूल आती हैं. घर पहुंची बेटियों ने जब घरवालों को आपबीती बताई तो परिजनों ने बीएसए से शिकायत की. बीएसए ने दोनों शिक्षिकाओं को निलंबित कर दिया.
सीनियर एडवोकेट रामकुमार शर्मा ने कहा कि, नाबालिग बेटियों का इस तरह उत्पीड़न करना पाक्सो एक्ट का उल्लंघन है. जानकार मानते हैं कि कानून के तहत दोनों शिक्षिकाओं के खिलाफ इस एक्ट के तरह केस दर्ज करके उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए था.
आरोप है कि बीएसए अर्चना गुप्ता ने इस मामले को पुलिस को रेफर करने के बजाय अपने हिसाब से किसी अधिकारी की तरफ खिसका दिया था और ऐसी कोशिश की है कि दलित बेटियों के साथ हुई इस शर्मनाक हरकत पर किसी तरह परदा पड़ जाये.
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