अगला ऑर्डर देने से पहले इन ऑलनाइन शॉपिंग स्कैम के बारे में जान लें

Norton LifeLock के लिए Harris Poll ने साल 2022 में एक सर्वे किया. इसके मुताबिक, छुट्टियों के दौरान करीब 62 प्रतिशत भारतीय उपभोक्ता संभावित रूप से ऑनलाइन शॉपिंग स्कैम का शिकार हो सकते हैं.

इस मल्टीमीडिया इमर्सिव गाइड में हम आपको बताएंगे:

1. वो हथकंडे जिन्हें अपनाकर स्कैमर आपको फंसाते हैं
2. इस जाल में फंसने से कैसे बचें

ये हमारी खास सीरीज 'स्कैमगार्ड' का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ऑनलाइन स्कैम के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.

यह प्रोजेक्ट

की मदद से तैयार किया गया है

FactShala का ये कार्यक्रम मीडिया साक्षरता बढ़ाने से जुड़ा है

यहां हैरान करने वाली वो तरकीबें हैं, जिनका इस्तेमाल कर स्कैमर आपको धोखा देने की कोशिश करते हैं

एयरपोर्ट कस्टम में फंस गया है कोरियर, क्या सच में?

मीडियाकर्मी ग्लेनिसा परेरा ने द क्विंट को बताया, ''करीब 3 महीने पहले, मुझे सुबह-सुबह एक फोन आया जिसमें कहा गया कि मेरी डिलिवरी अटक गई है. और उसने (जिसने खुद को कोरियर सर्विस का एग्जेक्यूटिव बताया) मुझे इसलिए कॉल किया है ताकि ये पक्का कर सकें कि ये सामान मेरा ही है...फोन पर बात करने वाले ने कहा कि आपका पार्सल ताइवान एयरपोर्ट कस्टम में फंस गया है. क्योंकि इसमें कुछ अवैध सामान था.''

परेरा को लगा कि किसी ने कुछ अवैध सामान भेजने के लिए उनके आधार से जुड़ी जानकारी का इस्तेमाल किया है. जाहिर है वो इस फोन कॉल से डर गईं. फोन करने वाले ने कहा कि इस अवैध पैकेज में कई लैपटॉप, ड्रग्स, मोबाइल फोन और कुछ कपड़े हैं.

इसके बाद उन्हें कहा गया कि वो साइबर सेल से संपर्क करें. फिर कॉल करने वाले ने कहा कि वो कॉल को सीधे साइबर सेल से कनेक्ट कर रहा है. बस यहीं पर, उन्हें पहली बार फोन करने वाले पर शक हुआ.

हालांकि, उन्होंने उस शख्स से बात करना जारी रखा. उन्हें एक महिला से संपर्क कराया गया जिसने उनसे उनकी सारी जानकारी मांगी. परेरा से उनकी रेफरेंस आईडी और दूसरी जानकारी देने को कहा गया. इसके बाद, महिला ने कहा कि उन्हें FIR दर्ज करानी होगी. जब परेरा ने कुछ बातें पूछीं, तो स्कैमर ने कहा कि वो वापस कॉल करेंगे, लेकिन फिर कॉल नहीं आया.

बाद में जब उन्होंने FedEx के कस्टमर केयर (स्कैमर ने इसी कोरियर कंपनी के नाम पर किया था कॉल) से संपर्क किया, तो उन्हें पता चला कि ये एक स्कैम था. उनसे कहा गया कि ऐसी कॉल पर ध्यान न दें.

परेरा के कुछ सवालों ने उन्हें उनकी मेहनत की कमाई को ठगे जाने से बचा लिया. लेकिन, ऐसे कई चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं, जहां लोगों ने इनके जाल में फंसकर काफी पैसे गंवा दिए.

Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, स्कैमर ने खुद को FedEx के कर्मचारी और मुंबई पुलिस में अधिकारी बताकर एक डॉक्टर से 4.47 करोड़ रुपये की ठग लिए.

  • बिल्कुल परेरा वाले मामले की तरह इस मामले में भी डॉक्टर की कॉल एक महिला को ट्रांसफर कर दी गई. इस महिला ने खुद को पुलिस अधिकार बताया. इस ''पुलिस अधिकारी'' ने डॉक्टर से ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए उनके फोन पर स्काइप डाउनलोड करने को कहा.
  • पीड़िता को स्काइप पर मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच के एक कथित ऑफिसर का कॉल आया. उस शख्स ने डॉक्टर से कहा कि वेरिफिकेशन के लिए वो अपने बैंक बैलेंस का स्क्रीनशॉट भेंजें, नहीं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
  • पीड़िता को निर्देश दिया गया कि उन्हें आरबीआई के निर्धारित खाते में रुपये भेजने हैं. उन्हें ये भी बताया गया कि वेरिफिकेशन के बाद उनका रुपये वापस कर दिया जाएगा.

Deccan Herald के मुताबिक, बेंगलुरु पुलिस ने 2023 में FedEx कोरियर स्कैम से जुड़े करीब 163 मामले दर्ज किए. इन स्कैम में 5 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी हुई.

FedEx ने भी चेतावनी जारी कर लोगों को बताया था कि वो अपनी व्यक्तिगत जानकारी ऐसे किसी के साथ शेयर न करें, जो खुद को कंपनी का कस्टमर केयर एग्जेक्यूटिव बताकर किसी कानूनी अधिकारी से बात करवा रहे हों.

ऑनलाइन मार्केट में बिकता सामान स्कैमर को क्यों करता है आकर्षित?

Deelip Menezes नाम के एक यूजर ने फेसबुक पोस्ट में बताया कि जब उन्होंने ऑनलाइन मार्केट प्लेस में विज्ञापन दिया कि उन्हें जिम से जुड़ा सामान बेचना है. तब उन्हें कैसे स्कैमर ने अपने जाल में फंसाकर जिम का सामान खरीदने की कोशिश की.

जैसे ही यूजर ने जिम के सामान को बेचने के लिए लिस्ट किया, उसके 30 सेकेंड के अंदर ही उन्हें तीन लोगों के ऑफर आए कि वो उनके लिस्ट किए गए दामों पर सामान खरीदना चाहते हैं. किसी ने भी कीमत कम कराने की कोशिश नहीं की.

यूजर ने इनमें से एक से बात करनी शुरू कर दी.

उनसे अपना भुगतान Google Pay UPI के जरिए करने को बोला गया. महिला ने कहा कि वह ट्रांजेक्शन चेक करने के लिए पहला भुगतान 2 रुपए का कर सकती हैं.

पर जब दीलिप को कोई पैसा नहीं मिला. तो उनसे महिला ने कहा कि वह QR code भेज रही है. दीलिप से उसे स्कैन करने और ट्रांजेक्शन को स्वीकार करने को कहा गया.

QR कोड स्कैन करने पर दीलिप के बैंक खाते में 2 रुपए आ गए.

अब, यहां एक तरह से ग्राहक का भरोसा जीता गया, 2 रुपए भेजकर.

अब, आगे महिला ने कहा कि वो बाकी का भुगतान करने के लिए दूसरा QR code भेज रही है.

खास बात ये है कि जब दीलिप ने इस दूसरे कोड को ध्यान से देखा, तो पता चला कि ये कोड तो दिलीप से पैसे मंगाने के लिए था. जबकि पिछला कोड दीलिप को पैसे भेजने के लिए था.

दिलीप ने ठगे जाने से खुद को बचाया. क्योंकि UPI ट्रांजेक्शन करने से पहले उन्होंने दिमाग से काम लिया, सतर्कता बरती.

"मैं हंसा और फिर बोला, "अच्छा स्कैम है" और फिर कॉल काट दिया. उन्होंने फिर से कॉल कर समझाने की कोशिश की कि मैं गलत समझ रहा हूं. इसका फायदा उठाते हुए मैंने समझने की कोशिश की कि वो किस तरह के माहौल में बैठकर बात कर रही है. ऐसा लग रहा था कि वो कोई कॉल सेंटर जैसा सेटअप है. साथ ही, जिस तरह से उसने मुझे सारी प्रक्रिया बताई वो काफी प्रैक्टिस की हुई और परफेक्ट लग रही थी. ये पूरी तरह से ठगी करने के लिए खड़ा किया गया संगठित ऑपरेशन है."
–दीलिप मेनेजीस

हमने ऐसे घोटालों का एक अनोखा तरीका भी देखा, जहां स्कैम करने वाला खुद को सेना का अधिकारी बताता है.

OLX, Quikr, Facebook marketplace जैसे ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर स्कैमर अपने फेक आइडी कार्ड भी दिखाते हैं, जिसमें वो वर्दी में दिख रहे होते हैं. जाहिर है ऐसा करने से उस शख्स के मन में एक विश्वास का भाव पैदा होगा, जिसके साथ स्कैम हो रहा है.

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रक्षत टंडन ने द क्विंट को बताया कि ये स्कैमर एक खास पैटर्न पर काम करते हैं.

"पीड़ित को पहले छोटी रकम भेजकर स्कैमर एक QR CODE भेजकर कहते हैं कि चूंकि वो सेना में काम करते हैं इसलिए इस स्पेशल अकाउंट में पैसे भेजने होंगे. पीड़ित कोड को जैसे ही स्कैन करता है, अपने पैसे गंवा बैठता है."
रक्षत टंडन, साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट

इस स्कैम के कुछ मामले

खुद को सेना का अधिकारी बताकर लोगों को ठगने का तरीका नया नहीं है.

द क्विंट पर साल 2018 की एक रिपोर्ट है जिसमें हैदराबाद के तलहा नाम के डेंटिस्ट से 21,000 रुपए की ठगी की गई थी. इस मामले में विक्रेता ने खुद को सेना का अधिकारी बताया था.

स्कैमर लीक किए गए आधार कार्ड और सेना के ID कार्ड का इस्तेमाल लोगों को ठगने के लिए करते हैं.

कस्टमर केयर प्रतिनिधि बनकर ठगी

स्कैमर अक्सर लोगों की संवेदनशील या गोपनीय जानकारी निकलवाने के लिए खुद को कस्टमर केयर प्रतिनिधि बताते हैं. आपके सामने मदद की पेशकश कर या आपकी समस्या का समाधान करने के लिए ये कथित प्रतिनिधि कोई अनजान ऐप डाउनलोड करने को कहते हैं या फिर कोई अनजान लिंक वॉट्सऐप पर भेजते हैं, पैसे ठगने के लिए.

" मुझे मेरा पैकेज नहीं मिला था, तो मैंने Urbanic के कस्टमर केयर सेंटर का नंबर गूगल पर खोजा. मुझे जो नंबर मिला उसपर कॉल किया....उन्होंने मुझसे AnyDesk ऐप डाउनलोड करने को कहा और कहा कि मैं अपना UPI पिन डालूं."
दीक्षा शर्मा, पत्रकार

दीक्षा ने बताया कि ''कस्टमर केयर प्रतिनिधि के कहने पर' जैसे ही उन्होंने अपना UPI PIN स्क्रीन पर डाला, कॉल कट गया. 2 दिन बाद उन्होंने लगभग 5,000 रुपए गंवा दिए.

यहां बता दें कि AnyDesk ऐप के जरिए सामने वाले शख्स को आपके कम्प्यूटर या किसी भी डिवाइज का एक्सेस मिल सकता है. यानी आपके डिवाइस के सामने ना होने पर भी वो डिवाइस को इस्तेमाल कर सकता है. अब ये समझना मुश्किल नहीं है कि वो शख्स स्कैमर हो तो आपके साथ क्या हो सकता है.

स्कैमर अपना नंबर गूगल सर्च रिजल्ट में ऊपर कैसे लाते हैं?

ठगी करने वाले लोग सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेश (SEO) का इस्तेमाल गूगल सर्च रिजल्ट में अपनी वेबसाइट को रैंक करने में करते हैं. जब उससे जुड़े कीवर्ड सर्च किए जाते हैं तो उनका नंबर ऊपर आ जाता है.

"आपको लगेगा कि आप एयरलाइन कंपनी या किसी ग्रॉसरी चेन से संपर्क करे हैं पर असल में आप स्कैमर को कॉल कर रहे होंगे. हो सकता है स्कैमर कॉल का जवाब दें और आपसे कोई अनजान ऐप डाउनलोड करवाने में सफल हो जाएं."
संदीप कुमार शर्मा, IIT कानपुर के प्रोफेसर

हमें इस तरह की ठगी के कई तरीके पता चले जब स्कैमर दावा करते हैं कि एक मामूली रकम चुकाकर कंपनी की तरफ से ऑफर किया जा रहा कहीं ज्यादा कीमत का फ्री गिफ्ट हासिल कर सकते हैं.

  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक यूजर रविशंकर ने बताया कि उन्हें एक शख्स ने कॉल कर खुदको डीकैथलॉन कंपनी का बताया. इस शख्स ने ग्राहक को Dell का लैपटॉप और Voltas का एयर कंडीशनर ऑफर करने का दावा किया.
  • यूजर के पास ये कॉल डीकैथलॉन वेबसाइट पर ऑर्डर करने के बाद आई थी.

डिलिवरी पार्टनर बनकर
धोखाधड़ी

ये स्कैम आज कल काफी प्रचलन में है, जिसमें ठगी करने वाले खुदको अमेजन या फ्लिपकार्ट जैसी शॉपिंग वेबसाइट का डिलिवरी बॉय बताते हैं. ये फ्रॉड. ग्राहक के पते पर पहुंचकर दावा करते हैं कि ऑर्डर 'कैश ऑन डिलिवरी' था. यानी डिलिवरी के वक्त उन्हें अभी पैसे देने हैं,

हालांकि, जब ग्राहक ऑर्डर लेने से मन कर देता है, तो ठगी करने वाले ऑर्डर कैंसिल करने के लिए OTP की मांग करने लगते हैं. जाहिर है जैसे ही ग्राहक OTP देता है उसका अकाउंट किसी और के हाथ में होता है और वो पैसे खो बैठता है.

नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) के ऑफिशियल X अकाउंट से एक वीडियो पोस्टर कर ऐसे घोटालों से बचने की चेतावनी दी गई है.

स्कैम के कुछ और हथकंडे

ठगी का एक और हथकंडा है ग्राहक के नंबर पर ऑर्डर को लेकर एक फेक मैसेज भेजना और फिर ऑर्डर कैंसिल करने के लिए OTP की मांग करना.

  • X यूजर अमित सिंह ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके पास ऐसे ऑर्डर का लिंक आया जो उन्होंने कभी किया ही नहीं था.
  • इसके बाद डिलिवरी एग्जीक्यूटिव ने यूजर से OTP की मांग की.
  • वीडियो में देखा जा सकता है कि यूजर लिंक पर क्लिक कर रहा है. हालांकि, इससे ऐप पर कुछ नहीं दिख रहा है.

ऑर्डर का पेमेंट कर दिया पर मिला नहीं?

इस तरह के स्कैम सबसे कॉमन हैं.

ठगी करने वाले फेक इंस्टाग्राम पेज बनाकर कम दाम में सामने बेचने वाले विज्ञापन अपलोड करते हैं. ताकी लोगों को इस पेज से शॉपिंग करने के नाम पर ठगा जा सके. हालांकि, पेमेंट करने के बाद ग्राहक को कभी ऑर्डर मिलता ही नहीं.

ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड की शिकार राहिला अंजुम बताती हैं कि उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक विज्ञापन देखा. जहां कंपनी प्रोडक्ट को बाजार की तुलना में काफी सस्ता देने का दावा कर रही थी.

अंजुम ने ऑर्डर किया और उन्हें कन्फर्मेशन का मैसेज भी प्राप्त हुआ. मैसेज में शेयर की गई लिंक खुली ही नहीं और अंजुम को कभी प्रोडक्ट नहीं मिला.

'कौशिक मैती ' नाम के एक अन्य X यूजर ने कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए बताया है कि मेटा का ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म Facebook Marketplace ऐसी ठगी और घोटालों का अड्डा बन चुका है.

  • यूजर की तरफ से शेयर किए गए स्क्रीनशॉट में दिखाया गया है कि उन्होंने Marketplace से बच्चों का कैबिनेट खरीदा और 1600 रुपए का भुगतान किया.
  • हालांकि, यूजर ने बताया कि पेमेंट के बाद ना तो प्रोडक्ट उनके घर पहुंचा और ना ही पेमेंट को लेकर कोई जवाब आया.

कैसे बिछाया जाता है जाल?

जरा समझते हैं कि ये स्कैमर कैसे अपना जाल बिछाकर लोगों को ठगते हैं . हमने IIT कानपुर में कम्प्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग के प्रोफेसर संदीप कुमार शुक्ला से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि ये जाल चार चरणों में बिछाया जाता है.

1. जानकारी जुटाना:
ये पहली स्टेज है जहां स्कैमर उस शख्स की जानकारी जुटाते हैं, जिसका उन्हें लगता है कि ठगा जा सकता है. अब इस जानकारी में लोगों की कॉन्टेक्ट डिटेल या अन्य चीजें शामिल हो सकती हैं. ये डेटा कई तरह से जुटाया जा सकता है. जैसे सोशल मीडिया के जरिए किसी शख्स का फोन नंबर हासिल किया जा सकता है.

2. ठगी का हथकंडा:
स्कैमर अब दूसरी स्टेज में ये चिन्हित करता है कि ग्राहक किसी चीज में फंस सकता है. इस प्रक्रिया में स्कैमर यूजर की सोशल मीडिया एक्टिविटी या अन्य तरीकों से उसकी ऑनलाइन उपस्थिति पर नजर रखता है. स्कैमर यहां कई बार ऑपकी शॉपिंग की आदतों या पसंद पर भी नजर रखते हैं. इसके बाद वह आपसे सोशल मीडिया पर या फोन कॉल के जरिए संपर्क करते हैं.

3. शुरुआती एक्सेस:
पीड़ित को ऐसा ऑफर दिया जाता है जिसके लिए मना करना काफी मुश्किल हो. लोग अक्सर यकीन कर लेते हैं कि उन्हें ये ऑफर उस स्टोर से मिल रहा है जहां वो हाल में गए थे. पर असल में मामला ये नहीं होता.

4. अंजाम देना:
स्कैमर पीड़ित से कोई अनजान ऐप डाउनलोड करने को कहते हैं या फिर ऑफर पाने के लिए लिंक पर क्लिक करने को. और फिर आखिर में ग्राहक अपना पैसा गंवा बैठता है.

ऐसे घोटालों से खुद को
कैसे बचाएं ?

जैसा कि कोरियर स्कैम के मामले में हमने देखा. ये याद रखिए कि कोई भी कंपनी आपको सीधे साइबर सेल के अधिकारी से कनेक्ट नहीं करेगी. खासकर तब जब आपके पार्सल में कुछ अवैध सामग्री मिली हो.

अनजान वेबसाइट या ऐसी वेबसाइट जिसका कोई रिव्यू नहीं, वहां से कोई भी प्रोडक्ट ऑर्डर करने को लेकर सतर्क रहना होगा.

कोई भी प्रोडक्ट खरीदने या बेचने से पहले जल्दबाजी ना करें. क्योंकि स्कैमर इसी जल्दबाजी और हड़बड़ी का फायदा उठाते हैं.

प्रोफेसर शुक्ला ने भी कुछ तरीके बताए जिनका इस्तेमाल कर ठगी के जाल में फंसने से आप खुद को बचा सकते हैं.

  1. हमेशा सतर्क रहें और अनजान फोन या मैसेज पर कतई भरोसा ना करें.
  2. अगर आप जवाब दे भी रहे हैं, तो अपने बारे में कुछ भी शेयर ना करें. जैसे कि अपनी आर्थिक स्थिति और अपने काम के बारे में कुछ न बताएं.
  3. आकर्षक ऑफर या फिर आसानी से पैसा मिलने के रास्तों पर यकीन ना करें. क्योंकि ज्यादातर मामलों में ये असली नहीं होते.
  4. कोई भी ऐप सिर्फ इसलिए डाउनलोग ना करें, क्योंकि कस्टमर केयर प्रतिनिधि आपसे ऐसा करने को कह रहा है. हमेशा ऐप इंस्टॉल करने के पहले उसके बारे में जरूरी जानकारी जुटा लें.
  5. सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से सावधान रहें. जिन्हें आप जानते नहीं, उनके भेजे गए लिंक पर क्लिक ना करें.

द क्विंट ने Wysa में प्रमुख मनोवैज्ञानिक स्मृति जोशी से संपर्क किया. ये समझने के लिए कि जब स्कैमर हमसे संपर्क करते हैं तो हम किस मानसिक स्थिति में उनके जाल में फंस जाते हैं,

उन्होंने बताया कि अथॉरिटी की तरह पेश आने के चलते स्कैमर हमारा भरोसा जीत लेते हैं. वहीं यहां हमारा 'कन्फर्मेशन बायस' यानी की एक तरह का पूर्वाग्रह काम करता है. हमारा कहीं ना कहीं पहले भरोसा होता है कि ऐसा संभव है, तभी हम उन बातों पर यकीन कर लेते हैं. स्कैमर पुलिस या कस्टमर केयर प्रतिनिधि बनकर या कोई भी विश्वसनीय पद पर बैठा शख्स खुद को बताकर हमारे 'अथॉरिटी बायस' का उपयोग करता है.

अटपटे समय पर क्यों
संपर्क करते हैं स्कैमर?

जोशी ने कहा, "अनियमित समय पर कॉल करने से लोगों का भावनात्मक संतुलन बिगड़ जाता है. आपके दिमाग में आया ये बदलाव हेरफेर स्पष्ट सोच और फैसले लेने की ताकत को बाधित करता है, साथ ही ये शख्स को जल्दबाजी में फैसला लेकर खतरा उठाने के लिए उकसाता है.''

"ये बहुत जरूरी है कि आप धैर्य रखें और हड़बड़ी में कोई फैसला ना लें. अगर कोई कॉल करके आपकी जानकारी निकलवाना चाह रहा है और आपके निजी जीवन से जुड़े सवाल बार - बार आपसे पूछता है, तो संभावना ज्यादा है कि जवाब ना मिलने पर वो फोन काट देगा."

जोशी ने कहा, "लोगों को यह समझना चाहिए कि अगर आप किसी खास पेमेंट में देरी करते हैं या उस समय किसी पेमेंट के लिए मना करते हैं या उस समय अपनी जानकारी देने से बचते हैं तो कुछ बिगड़ने नहीं वाला. हमेशा वेरिफाई करें और उनसे पूछें कि हमसे जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए उन्हें किस ने अधिकृत किया?

हो सकता है अब तक आप ऐसे स्कैम के शिकार ना हुए हों, पर ऑनलाइन स्कैम एक के बाद एक नए हथकंडों से किए जा रहे हैं. अगर कोई नया तरीका सामने आता है तो हो सकता है आप इसके पीड़ित बन जाएं.

इस गाइड को सेव करें और आसपास शेयर कर अपने दोस्तों और करीबियों को जागरुक करें कि वह कैसे इस तरह के घोटालों से बच सकते हैं. .

क्रेडिट

रिपोर्टर
अभिषेक आनंद

ग्राफिक डिजाइनर और इलस्ट्रेशन
मिडजर्नी की मदद से नमन शाह और कामरान अख्तर के निर्देशन में

हिंदी अनुवाद
सिद्धार्थ सराठे

क्रिएटिव डायरेक्टर
नमन शाह

सीनियर एडिटर
अभिलाष मलिक

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