आपका अगला UPI पेमेंट
हो सकता है स्कैम का शिकार !
सीखिए, कैसे आप इससे बच सकते हैं
क्या आप जानते हैं कि भारत में 2022-23 के बीच UPI भुगतान से जुड़े फर्जीवाड़ों के 95,000 से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं?
तो आप कैसे सुनिश्चित करेंगे कि आपका UPI ट्रांजेक्शन इनमें से एक ना हो? ये गाइड आपको बताएगी कैसे
पेश है हमारी खास सीरीज - स्कैमगार्ड - जिसका मकसद है आपको ऑनलाइन हो रहे फर्जीवाड़ों (स्कैम) को लेकर जागरुक करना
यह प्रोजेक्ट
की मदद से तैयार किया गया है
FactShala का ये कार्यक्रम मीडिया साक्षरता बढ़ाने से जुड़ा है
UPI भुगतान के कई चेहरे
UPI भुगतान के कई चेहरे
ये रेडिट पर शेयर की गई एक पोस्ट का हिंदी अनुवाद है, इसे ध्यान से पढ़िए.
- यूजर की पत्नी एक अस्पताल से संपर्क करना चाहती थीं, पर चूंकि वो जल्दी में थीं, इसलिए अस्पताल के नंबर की जानकारी के लिए Google सर्च किया और जो पहला नंबर आया, उस पर कॉल किया.
- घोटाला करने वाले यानी स्कैमर ने व्हाट्सएप पर बुकिंग लिंक साझा किया और फॉर्म भरने में मदद करने की पेशकश की.
- यूजर ने लिंक देखा पर उसे यह संदिग्ध लगा. सारी जानकारी देने के बाद जब उन्होंने देखा कि यूपीआई इंटरफेस NPCI से अलग दिख रहा है, तो उन्होंने लेनदेन को आगे न बढ़ाने का फैसला किया.
"इस प्रकार के घोटाले बहुत आम हैं, यूजर Google के जरिए सभी प्रमुख सेवाओं के लिए कस्टमर केयर नंबर खोजते हैं. यही वजह है कि स्कैम करने वाले सर्च रिजल्ट में ही जहर घोल रहे हैं. और जैसे ही आप उस नकली ग्राहक सेवा प्रतिनिधि या यूं कहें कि स्कैमर से जुड़ते हैं तो वो आपके यूपीआई पर कब्ज़ा करने की कोशिश में रहते हैं. इसके लिए वे आपसे स्क्रीन-शेयरिंग वाले या एसएमएस फॉरवर्डर्स जैसे थर्ड पार्टी ऐप इंस्टॉल करने को कहेंगे. जैसे ही आप इन एप्लिकेशन को इंस्टॉल करते हैं, स्कैमर्स आपके यूपीआई पर नियंत्रण हासिल कर लेते हैं."
- कस्टमर केयर से उन्हीं नंबरों पर संपर्क करें जो कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर दिए गए हैं.
- ग्राहक सेवा प्रतिनिधि ग्राहक से कोई थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड करने को नहीं कह सकते.
- अगर आप थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड कर भी रहे हैं, तो उस ऐप को अपने कॉन्टेक्ट, गैलरी, कैमरा, माइक्रोफोन, UPI पेमेंट ऐप आदि का एक्सेस न दें.
- और सबसे जरूरी बात - अपना पिन या ओटीपी किसी से भी शेयर ना करें (कस्टमर केयर से भी नहीं)
पैसे 'गलती से' भेज दिए
ये आजकल सबसे ज्यादा होने वाला स्कैम है
पीड़ित के खाते में पहले स्कैमर की तरफ से एक छोटी राशि ट्रांसफर की जाती है. फिर वे पीड़ित से संपर्क करते हैं और दावा करते हैं कि पैसा गलती से भेजा गया था. अब स्कैमर्स एक लिंक भेजते हैं और पीड़ित को भुगतान के लिए इसका उपयोग करने के लिए कहते हैं.
हालांकि, जैसे ही पीड़ित लिंक पर क्लिक करता है, तो स्कैमर्स डिवाइस पर नियंत्रण कर लेते हैं और पीड़ित के यूपीआई खाते से पैसे निकाल लेते हैं या कहें कि चुरा लेते हैं.
नीचे दिया गया पोस्ट ऐसे ही स्कैम का शिकार हुए एक शख्स का है, हालांकि ये कई मामलों में से महज एक उदाहरण है
- अनजान नंबर से भेजे गए किसी लिंक पर क्लिक न करें.
- जब कोई अजनबी आपसे वर्चुअली संपर्क करके पैसे या व्यक्तिगत जानकारी मांगता है तो ज्यादा सावधान हो जाएं.
- मोबाइल ब्राउज़र को अपने कॉन्टेक्ट, फोटो गैलरी, यूपीआई ऐप का एक्सेस न दें- क्योंकि इनमें आपके बैंक खाते से जुड़ी जरूरी जानकारी हो सकती है.
बिजली बिल स्कैम
सोचिए, अचानक आपके पास बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी की चेतावनी आती है ! तो आप कैसे रिएक्ट करेंगे?
बिजली हमारे उपयोग में आने वाली सबसे जरूरी सुविधा में से एक है. कई लोग बिजली बिल UPI ऐप के जरिए भरते हैं. इसलिए ये स्कैमर्स का एक नया निशाना बना गया है.
पीड़ित को एक अनजान नंबर से एक मैसेज मिला कि बिजली बिल का अभी तक भुगतान नहीं किया गया है और बिजली विभाग बिजली बंद कर देगा. जब ग्राहक मैसेज में दिए गए नंबर पर संपर्क करेगा तो या तो उनसे कोई अन्य ऐप डाउनलोड करने को कहा जाएगा या फिर निजी जानकारी मांगी जाएगी. और यहीं आकर लोग अपना पैसा गंवा सकते हैं.
नीचे दिए गए पोस्ट में ऐसे मामलों के अनगिनत उदाहरण देखे जा सकते हैं.
देखें कि कैसे 'विग्नेश के' नाम के एक X यूजर को "बिजली बिल का भुगतान" करने के लिए एक थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा गया था.
- किसी भी संस्था या विभाग का बताया जा रहा मैसेज अनजान नंबर से है तो उसपर यकीन ना करें. आधिकारिक सोर्स पर जाकर पुष्टि करें कि वाकई ऐसा हुआ है या नहीं (उदाहरण के तौर पर बिजली विभाग से संपर्क करें).
- ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए कोई अन्य ऐप डाउनलोड ना करें.
- कोई भी ऐप डाउनलोड करने से पहले उसे बनाने वाली कंपनी की विश्वसनीयता जरूर चेक करें.
मशहूर कंपनियों की फेक वेबसाइट
और फेक ऐप
क्या आप जानते हैं कि कई मशहूर वेबसाइट के डुप्लीकेट वर्जन भी इंटरनेट पर हैं?
लोकप्रिय वेबसाइटों की तरह दिखने वाली एक दूसरी वेबसाइट स्कैमर्स की तरफ से लोगों के यूपीआई या कार्ड डिटेल हासिल करने के लिए विकसित की जाती है. यही बात मोबाइल ऐप पर भी लागू होती है.नकली वेबसाइट का URL भी मूल वेबसाइट से मिलता हुआ होता है.
गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद इन फेक बैंकिंग ऐप को देखिए
ये यूजर्स से फॉर्म भरवाते हैं, जिसमें कार्ड नंबर समेत कई जरूरी जानकारी मांगी जाती है. इसी रास्ते से आपका डेटा चुराया जाता है.
दिल्ली पुलिस ने पहले भी यूजर्स को ICICI बैंक की फेक वेबसाइट को लेकर आगाह किया था.
क्या आप URL में फर्क देख पा रहे हैं?
हाल में, IRCTC ने यूजर्स को एक चेतावनी वाला मेल भेजा था. इसमें बताया गया था कि एक फर्जी वेबसाइट द्वारा तैयार किए गए एक फर्जी ऐप को सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है. स्कैमर खुद को सरकारी अधिकारी बताते हुए लोगों को अपने जाल में फंसाकर उनकी पर्सनल डिटेल निकलवा रहे थे. .
"ऐसे कई लोग हैं जो पिंक वॉट्सऐप, ब्लू वॉट्सऐप या जीबी वॉट्सऐप के जरिए स्कैम के शिकार हुए हैं, पर क्यों? असल में हरे रंग का सिर्फ एक ही वॉट्सऐप है, जिसे मेटा ने तैयार किया है. प्ले स्टोर या किसी अन्य एप स्टोर पर वॉट्सऐप का कई दूसरा सॉफ्टवेयर नहीं है."
- वेबसाइट का URL चेक करें, सुनिश्चित करें कि वह ऑफिशियल है या नहीं.
- डेवलपर की पहचान करें और ऐप इंस्टॉल करते वक्त सारी परमीशन चेक करें.
- apk फाइल डाउनलोड न करें क्योंकि स्कैमर इन फाइलों के जरिए लोगों को निशाना बनाते हैं.
अकाउंट हैक होना
एक ऐसा स्कैम जो आपके दिमाग को हिलाकर रख देगा.
आयुष (परिवर्तित नाम) ने द क्विंट को बताया कि कैसे वो इंस्टाग्राम पर एक फेक इनवेस्टमेंट स्कीम का शिकार हुए.
आयुष ने इंस्टाग्राम पर अपने दोस्तों की कुछ स्टोरी देखी जिनमें दावा किया गया था कि उन सबने प्रॉफिट कमाया है. इसके बाद आयुष ने तय किया कि वो भी इनवेस्ट करेगा, उसने स्टोरी में मेंशन किए गए शख्स से संपर्क किया. आयुष से 2,000 रुपए का निवेश करने को कहा गया और वादा किया गया कि उसे लगभग 25,000 रुपए का प्रॉफिट होगा.
आयुष को एक QR कोड मिला और उसे पैसे UPI के जरिए ट्रांसफर करने को कहा गया.
"जब मैंने पैसे निकालने चाहे, तो किसी एरर के चलते मैं नहीं निकाल पाया. स्कैमर ने मुझसे कहा कि मेरा अकाउंट नया है इसलिए पैसा निकालने से पहले मुझे एक सिक्योरिटी अमाउंट देना होगा. उसने कहा कि सिक्योरिटी डिपोजिट के साथ पूरा पैसा उसे वापस मिल जाएगा. मैंने वो पैसा भेज दिया, पर मैं फिर भी अपने पैसे नहीं निकाल सका.
स्कैमर ने आयुष को और पैसे भेजने को कहा. बस यहीं उन्हें अहसास हुआ कि उनके साथ धोखा हुआ है. बाद में आयुष को ये भी पता चला कि उनके दोस्त का अकाउंट हैक हुआ था.
लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट हैक कर उनसे जुड़े लोगों से पैसे मांगना भी स्कैमर्स का नया हथकंडा है, जिसके कई मामले सामने आ रहे हैं.
- हमेशा, किसी भी अनजान डिजिटल पेमेंट को करने से पहले सतर्क रहें. किसी अनजान लिंक पर बिना देखे पेमेंट न कर दें. एक बार उसका बैकग्राउंड जरूर चेक कर लें.
- उस शख्स को एक बार जरूर बताएं कि उनके नाम पर पैसे मांगे जा रहे हैं. इससे पुष्टि हो जाएगी कि उनका सोशल मीडिया अकाउंट हैक हुआ है या नहीं.
- इनवेस्टमेंट से जुड़े मामलों में अपने स्तर पर रिसर्च और उससे जुड़े एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें.
वो आपका करीबी है या स्कैमर?
आपको ठगने के लिए, स्कैमर्स ने अब आपका कोई करीबी बनकर संपर्क करना शुरू कर दिया.
नीचे दिए गए इस वीडियो में देखें कि कैसे एक पत्रकार, प्रेरणा यादव उस घटना के बारे में बता रही हैं जब स्कैमर ने उनकी मां से एक रिश्तेदार के रूप में संपर्क किया और प्रेरणा के भाई से 80,000 रुपए ठग लिए.
एक और चीज है जो इस स्कैम को एक कदम आगे ले जाती है. वो ये कि स्कैमर काफी चतुराई से AI मॉड्यूलेशन टूल का इस्तेमाल कर आपके परिवार के लोगों की आवाज निकालते हैं!
चिंता की बात ये है कि AI के जरिए बनाई गई आवाज से स्कैम का शिकार होकर पैसे खोने वालों में 83% भारतीय हैं. ये आंकड़े McAfeee की तरफ से जारी हालिया रिपोर्ट ‘The Artificial Imposter’ में सामने आए हैं. .
ये वीडियो केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ये समझाते हुए जारी किया है कि कैसे AI से बनी नकली आवाज को पहचानें :
- स्कैमर अक्सर ऐसी कॉल पर जल्दबाजी की स्थिति दिखाते हैं. इसलिए खासकर जल्दबाजी में पैसे ट्रांसफर करने से पहले अपने विवेक का इस्तेमाल जरूर करें.
- स्कैम को पहचानने की एक वजह हो सकती है कि किस तरह पैसे मांगे जा रहे हैं. स्कैमर किसी एक खास अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने को कह सकता है.
- ऐसे नंबरों से आने वाली आवाज को ध्यान से सुनेंगे तो आपके करीबी की आवाज में और इस आवाज में मामूली ही सही पर एक अंतर हो सकता है. इसलिए ध्यान से सुनें.
- स्कैमर आपसे निजी जानकारी या लॉग-इन आइडी और पासवर्ड भी मांग सकता है. ऐसा कुछ भी शेयर न करें.
ऐसे स्कैमर को चतुराई में हराने का सबसे बेहतर तरीका है कि जिस शख्स के नाम पर पैसे मांगे गए हैं उसे ही कॉल करके पूछें. और पुष्टि करें कि वाकई उन्होंने आपसे पैसे मांगे हैं या नहीं.
अब जब आपने स्कैम को पहचाने के तरीके सीख लिए हैं, क्या आपको लगता है कि अब कोई स्कैमर आपको शिकार नहीं बना पाएगा? इस टेस्ट के जरिए अपनी स्कैमगार्ड क्षमताओं को पहचानिए
स्कैम है या नहीं?
अब जब आपने स्कैम को पहचाने के तरीके सीख लिए हैं, क्या आपको लगता है कि अब कोई स्कैमर आपको शिकार नहीं बना पाएगा? इस टेस्ट के जरिए अपनी स्कैमगार्ड क्षमताओं को पहचानिए
स्कैम है या नहीं?
UPI की लोकप्रियता का कैसे गलत फायदा उठा रहे स्कैमर
सवाल उठता है कि आखिर UPI फ्रॉड के मामले अन्य फ्रॉड की तुलना में ज्यादा क्यों हैं? क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से होने वाले स्कैम से ज्यादा?
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रक्षित टंडन के अनुसार, किसी स्कैमर के लिए UPI से पैसे ठगना बहुत आसान है. क्योंकि इसमें स्कैमर को केवल पीड़ित का पिन हासिल करने की जरूरत होती है. वहीं अगर कोई डेबिट या क्रेडिट कार्ड को हैक करने की कोशिश करता है, तो उसे 16 अंकों वाले कार्ड नंबर, ओटीपी, सीवीवी और एक्सपायरी डेट जैसी कई जानकारियां चाहिए. यही वजह है कि अब स्कैमर्स केवल UPI को ही निशाना बना रहे हैं.
इससे UPI की लोकप्रियता के साथ ही इसको लेकर चिंताएं भी बढ़ रही हैं.
प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक इस साल जनवरी में देश में कुल 8 बिलियन यानी 800 करोड़ UPI ट्रांजेक्शन हुए. एक हालिया रिपोर्ट कहती है कि 2026-27 तक UPI ट्रांजेक्शन की संख्या 100 करोड़ प्रति दिन हो सकती है.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने संसद में बताया कि 2022-23 में भारत में UPI ट्रांजेक्शन के 95,000 से ज्यादा धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए.
2021-22 में ऐसे घोटालों के मामले 84,000 से बढ़कर 2020-21 में 77,000 हो गए. जबकि सरकार लगातार डिजिटल भुगतान पर जोर दे रही है, देश में मीडिया साक्षरता की कमी के कारण लोगों से उनकी मेहनत की कमाई ठगने वाले स्कैमर भी तेजी से बढ़ रहे हैं.
जाल से निकलें
जाल से निकलें
रक्षित ने ऐसे कुछ स्टेप बताए जिससे लोग खुदको इन घोटालों से बचा सकते हैं.
- डबल फैक्टर ऑथेंटिकेशन अपने सभी अकाउंट में लागू करें. अपने सोशल मीडिया अकाउंट और ईमेल पर भी.
- अपनी गैलरी में लॉग इन आइडी या पासवर्ड से जुड़ी जानकारी ना रखें. क्योंकि कई ऐप आपसे इंस्टॉल करते वक्त गैलरी को देखने की परमीशन मांगती हैं.
- स्कैमर को बैंक खातों में रखी पूरी राशि को हड़पने से रोकने के लिए एहतियात के तौर पर अपने अकाउंट में ट्रांजेक्शन की लिमिट निर्धारित करें.
- अपने संबंधित बैंक के असली कॉन्टेक्ट डिटेल संभाल कर रखें. जब भी आप किसी ऑनलाइन घोटाले में फंसें, तो तुरंत बैंक से अपने खाते को 'डेबिट फ्रीज' करने के लिए कह सकते हैं.
स्कैमर से बात करते वक्त लोगों के अंदर का पूर्वाग्रह कैसे काम करता है?
फोर्टिस हॉस्पिटल में मनोवैज्ञानिक डॉ. संजय कुमावत कहते हैं कि स्कैम करने वालों की विश्वास दिलाने वाली भाषा और अधिकार जताने वाले बोलने के अंदाज से लोग उनके जाल में फंस जाते हैं.
"यह हमारी मानसिकता की कमजोरी है. ये हमारे मुखर ना होने के चलते भी होता है. सबसे जरूरी है लालच के मामले में हम मुखर होकर 'न' नहीं कह पाते. यही वह कमजोरी है जिसका स्कैमर सटीक तरीके से इस्तेमाल करते हैं."
डॉ. कुमावत कहते हैं कि जब लोगों को पैसा दिखाया जाता है, तो वो भावनात्मक रूप से पिघल जाते हैं और ऐसे मामलों में बातचीत आगे बढ़ाने लगते हैं. जब लोग ऐसी बातचीत में पूरी तरह से इनवॉल्व हो जाते हैं और छोटी रकम दे देते हैं, तो स्कैमर की मांग बढ़ती जाती है. और फिर आखिरकार लोगों को अहसास होता है कि उनके साथ ठगी हुई है. फिर शुरू होता है धमकियों का सिलसिला, जिससे बचने के लिए लोग जाल में फंसते चले जाते हैं.
डॉ. कुमावत कहते हैं कि किसी को भी ऐसे मामलों में कुछ एक्शन लेने से पहले ध्यान से सोचना चाहिए. अगर कोई शख्स फिर भी समय लेकर सोचना चाहता है, तो वो कॉल रख सकता है, क्योंकि पैसे से जुड़े लेने-देन में किसी भी तरह की जल्दबाजी ठीक नहीं होती.
इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में छपी रिसर्च में कहा गया है कि "UPI आधारित धोखाधड़ी के मामले में गंभीर जोखिम बने रहने की संभावना है क्योंकि डिजिटल अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है. पर इस संभावना को कम किया जा सकता है." सतर्क रहकर और सक्रिय कदम उठाकर इस प्रकार के घोटालों का शिकार होने से बचें
सोशल इंजीनियरिंग वाले साइबर अटैक अक्सर तब होते हैं जब स्कैमर लोगों की संवेदनशील जानकारी निकलवाने के लिए मनोवैज्ञानिक हथकंडों का भी इस्तेमाल करता है,
हमें 2022 में किया गया एक सर्वे भी मिला जिसमें सामने आया था कि "लगभग एक तिहाई भारतीय ग्राहक ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार होते हैं." इसमें आगे बताया गया है कि सोशल मीडिया पर फ्रॉड का शिकार भी सबसे ज्यादा भारतीय यूजर ही होते हैं. घोटाले का शिकार भारतीयों में सोशल मीडिया या ऐप पर 38%, पेमेंट सिस्टम प्रोवाइडर पर 30% और ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर 30% होते हैं.
बेशक आप अब तक किसी घोटाले का शिकार न हुए हो, पर ऑनलाइन स्कैम के पैंतरे वक्त के साथ और ज्यादा धारदार हो रहे हैं, उन्हें पहचानना मुश्किल होता जा रहा है. सिर्फ स्कैम के नए हथकंडे को पहचानने में चूक हुई और फिर आप भी इसके विक्टिम बन सकते हैं.
इस गाइड को सेव कर लें और शेयर करें जिससे आपके करीबी और आसपास के लोग भी लगातार शातिर होते स्कैम के पैतरों को पहचान सकें.
क्रेडिट
रिपोर्टर
अभिषेक आनंद
ग्राफिक डिजाइनर और इलसट्रेशन
मिडजर्नी की मदद से नमन शाह और कामरान अख्तर के निर्देशन में
हिंदी अनुवाद
सिद्धार्थ सराठे
क्रिएटिव डायरेक्टर
नमन शाह
सीनियर एडिटर
अभिलाष मलिक
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