ऑनलाइन जॉब स्कैम की पहचान कर कैसे बचें?
ये मल्टीमीडिया इमर्सिव हमारी सीरीज 'स्कैमगार्ड' के तहत तैयार किया गया है. इसका उद्देश्य ऑनलाइन स्कैम से जुड़ी जागरूकता फैलाना है.
यह प्रोजेक्ट
की मदद से तैयार किया गया है
FactShala का ये कार्यक्रम मीडिया साक्षरता बढ़ाने से जुड़ा है
क्या आपके पास ऐसे मैसेज आए हैं? क्या आपको पता है कि जब आप ऐसे मैसेज का जवाब देते हैं, तो क्या होता है?
क्या आप जानते हैं कि ये स्कैमर धोखाधड़ी के लिए कैसे खुद को किसी सरकारी अथॉरिटी की तरह पेश करते हैं?
हाल ही में, प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने ये वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में बताया गया है कि कैसे ये स्कैमर लोगों से पैसे ठगने के लिए सरकारी साइटों जैसी लगने वाली नकली वेबसाइटें बना रहे हैं.
- यहां आप देख सकते हैं कि कैसे अलग-अलग नकली वेबसाइटें बनाई गईं. जो आपसे रजिस्ट्रेशन फीस के नाम पर रुपये ऐंठने की कोशिश करती हैं.
- ये स्कैमर लोगों को धोखा देने के लिए, ऑफिशियल वेबसाइटों जैसी दिखने वाली वेबसाइट बनाते हैं. इसके अलावा, डोमेन नेम भी ऐसे रखते हैं, जो देखने में किसी सरकारी वेबसाइट जैसे लगते हैं.
इससे पहले, PIB ने एक फर्जी मैसेज की पड़ताल कर उसका सच बताया था. इस मैसेज में सरकार की ओर से "राष्ट्रीय जीवनदायी आरोग्य स्वास्थ्य संस्था/योजना" के तहत लोगों को नौकरियां देने का दावा किया गया था. इस 'मौके' का फायदा उठाने के उत्सुक लोगों के लिए रजिस्ट्रेशन फीस 1650 रखी गई थी. हालांकि, ऐसी कोई योजना थी ही नहीं.
नीचे दिए गए स्क्रीनशॉट में आप 'Pallavibordoloi' नाम के एक X यूजर का पोस्ट देख सकते हैं. इसमें इस यूजर ने अपनी WhatsApp चैट शेयर कर बताया था कि कैसे उसे दिग्गज आईटी कंपनी Infosys से नौकरी के ऑफर आ रहे हैं.
- हालांकि, यहां ये साफ देखा जा सकता है कि कथित नौकरी का ऑफर देने वाले ने न तो शख्स से उनका सीवी मांगा और न ही योग्यता के बारे में सवाल किए.
- सबसे अजीब बात तो ये है कि कोई आईटी कंपनी अपने संभावित उम्मीदवारों से यूट्यूब वीडियो रिव्यू करने के लिए क्यों कहेगी?
- यूजर ने भी इस बात पर जोर डालकर कहा है कि उन्हें ये ऑफर एक स्कैम लग रहा है.
जब 'Bhavya' नाम के एक दूसरे यूजर ने Infosys को टैग कर बताया कि उन्हें भी ऐसा ही एक मैसेज मिला है, जिसमें मैसेज भेजने वाला खुद को Infosys का रिक्रूटमेंट मैनेजर बता रहा है, तो इसके जवाब मे कंपनी के ऑफिशयल हैंडल से बताया गया कि ये मैसेज धोखाधड़ी वाला हो सकता है.
@GO2Peak नाम के X हैंडल से शेयर किए गए इस अनुभव से कुछ खास जानकारियां मिलती हैं. उन्हें एक ऐसे शख्स की ओर से फ्रीलांस करने का ऑफर दिया गया, जिसने अपनी गलत पहचान बताते हुए खुद को Wipro का प्रोजेक्ट मैनेजर बताया.
स्कैमर ने ये साबित करने की भी कोशिश की कि वो सच में Wipro का कर्मचारी है. उसने ऐसा करने के लिए अपने पहचान पत्र की एक फोटो शेयर की.
हालांकि, गूगल लेंस की मदद से सर्च करने पर पता चला कि महिला की तस्वीर इस कॉलेज की वेबसाइट से ली गई है.
इस वीडियो में देखें कि हमने ये कैसे पता लगाया
तो क्या ये पता लगाने का कोई तरीका है कि जो मैसेज आपके पास आया है, वो सच में किसी रिक्रूटमेंट करने वाले ने ही भेजा है या धोखेबाज ने?
इस मैसेज को देखिए, जिसमें सोनिया नाम की कोई महिला एक शख्स को पार्ट टाइम जॉब का ऑफर दे रही है. आप किन चीजों पर गौर कर सकते हैं?
अगर आप गूगल पर +84 सर्च करेंगे तो पता चलेगा कि ये वियतनाम का कॉलिंग कोड है. ये इस बात का संकेत है कि WhatsApp यूजर और नौकरी का ऑफर दोनों ही प्रामाणिक नहीं हैं.
टेक्स्ट मैसेज को ध्यान से देखने पर आपको व्याकरण संबंधी कई गलतियां देखने को मिलेंगी. उदाहरण के लिए, WhatsApp यूजर कहता है, ''Do you interest on working online".
- यहां ये ध्यान देना चाहिए कि अगर ये सच में नौकरी का ऑफर होता तो ऐसी व्याकरण संबंधी गलतियां होने की संभावना न के बराबर होती.
- इसके अलावा, कुछ शब्दों का पहला अक्षर गलत तरीके से कैपिटल में लिखा जाना या फिर दो शब्दों के बीच में गलत स्पेसिंग भी इसके कुछ दूसरे संकेत हैं.
ऊपर शेयर किए उदाहरण और इस उदाहरण में कुछ समानता है. क्या आपने इस पर ध्यान दिया?
- इन दोनों ही मामलों में WhatsApp यूजर्स ने बड़ी सावधानी से अपनी कंपनी का नाम नहीं बताया है.
- बल्कि, उन्होंने ऐसी कंपनी का नाम इस्तेमाल किया जो दुनियाभर में लोकप्रिय और जानी-मानी है.
- अब यहां समस्या है. करीब-करीब कोई भी नौकरी देने वाली कंपनी संभावित उम्मीदवारों से संपर्क करते समय अपनी कंपनी का नाम नहीं छिपाती है.
ऐसी नौकरियों के लगभग सभी ऑफर में रुपये या सैलरी की जो पेशकश की जाती है, वो किसी साधारण सी नौकरी के लिए बहुत ज्यादा होती है.
अगर कंपनी आपको एक घंटे के काम के लिए 5000 से 10000 रुपये देने का वादा कर रही है, तो इस बात की संभावना बहुत ज्यादा है कि आप किसी स्कैम का शिकार होने वाले हैं.
बार-बार मैसेज भेजना, लोगों से ये पूछना कि उन्हें ऑफर में दिलचस्पी क्यों नहीं है और वो जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं. ये सब अगर आपके साथ हो रहा है तो समझ लीजिए कि कोई स्कैमर है जो आपको झूठी नौकरी का झांसा देने की कोशिश कर रहा है.
ये स्कैमर लोगों के इमोशन के साथ खेलने की कोशिश करते हैं और उन्हें ऑफर स्वीकार करने के लिए उकसाते हैं. उनकी तरफ से अगर ऐसा कुछ कहा जा रहा है कि ये एक बहुत अच्छा मौका है या इससे आपकी एक्स्ट्रा इनकम हो जाएगी, तो समझ लीजिए कि आपको ठगने की कोशिश की जा रही है.
अब जब आप स्कैम को पहचानना सीख गए हैं, तो क्या आपको लगता है कि अब आप किसी भी स्कैम को मात देने के लिए तैयार हैं? तो फिर इस क्विज के जरिए अपनी Scamguard क्षमताओं को जानिए
Scam or not क्विज
तो आप कितने स्कैमर की पहचान कर पाए?
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जब आपके पास ऐसे मैसेज आते हैं, तो एक सवाल मन में आता है कि इन स्कैमर को हमारा नंबर कैसे मिला?
क्या हम अपनी कॉन्टैक्ट डिटेल बड़ी आसानी से दे रहे हैं?
एक पल रुकें और सोचें कि इन स्कैमर को हमारी कॉन्टैक्ट डिटेल इतनी आसानी से कैसे मिल जाती है.
पहले कभी डेटा ब्रीच में अगर आपका डेटा भी सार्वजनिक हुआ है, तो ये स्कैमर डार्क वेब पर आपका डेटाबेस खरीद लेते हैं और फिर वहां से आपकी कॉन्टैक्ट डिटेल पता कर सकते हैं.
– IIT कानपुर में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर संदीप कुमार शुक्ला के मुताबिक.
''वो (स्कैमर) असल में फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स भी खंगालते हैं. बहुत से लोग यहां अपना मोबाइल नंबर डाल देते हैं. तो ये एक और तरीका है, जिससे उन्हें लोगों की कॉन्टैक्ट डिटेल मिल जाती है.''
हमें अपनी कॉन्टैक्ट डिटेल इतनी आसानी से नहीं देनी चाहिए, चाहे वो किसी स्कीम के लिए हो या फिर खरीदारी के दौरान. ऐसा इसलिए, क्योंकि इसका कोई भी शख्स दुरुपयोग कर सकता है.
लेकिन क्या स्कैमर अपने स्कैम को अंजाम देते समय किसी खास ग्रुप या किसी खास जगह रहने वाले लोगों को निशाना बनाते हैं?
इन्फोसेक क्लीनिक के सिक्योरिटो रिसर्चर करन सैनी कहते हैं, ''स्कैमर आमतौर पर एक बड़ा जाल बिछाते हैं. मतलब ये है कि वो किसी खास ग्रुप या किसी जगह के लोगों से संपर्क करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. क्योंकि फोन नंबरों के एक सेट पर अपनी बात बड़े स्तर पर पहुंचाना सस्ता और आसान है. इसलिए वो बहुत से लोगों को एक साथ टारगेट करते हैं, न कि किसी खास ग्रुप को.''
अक्सर, किसी को निशाना बनाते समय स्कैमर लोगों की भावनाओं के साथ खेलते हैं और उनके भोलेपन का फायदा उठाते हैं.
स्कैमर लोगों की भावनाओं का कैसे उठाते हैं फायदा
क्विंट हिंदी ने ये समझने के लिए अपोलो हॉस्पिटल की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट रितुपर्णा घोष से बात की कि लोग ऐसी ''बहुत अच्छी नौकरी'' के ऑफर पर प्रतिक्रिया क्यों देते हैं.
''तो विशेष रूप से ऐसे छोटे बच्चों और युवा, जिन्हें नौकरी की तलाश होती है और कम समय में पैसा कमाने की तीव्र इच्छा होती है. ऐसे में वो बहुत ज्यादा आवेग में आ जाते हैं. ऑनलाइन जॉब स्कैमर बहुत ही आकर्षक ऑफर पेश करते हैं और जिस तरह से वो इसे उनके सामने रखते हैं, उससे लोग बहक जाते हैं और उनके जाल में फंस जाते हैं.''
घोष आगे बताती हैं कि स्कैमर इन नौकरियों का विज्ञापन करके उनकी भावनाओं के साथ इस तरह से खेलते हैं, जिससे लोगों को लगता है कि वो बिना ज्यादा मेहनत के अपने सपने पूरा कर सकते हैं.
ऑनलाइन जॉब स्कैम के शिकार अरमान खान ने अपना अनुभव क्विंट हिंदी के साथ साझा किया. उन्होंने बताया कि उनसे करीब 24 हजार रुपये की ठगी की गई. उनसे टेलीग्राम पर संपर्क किया गया और शुरुआत में 1000 रुपये इनवेस्ट करने के लिए कहा गया. हालांकि, जब खान से फिर से 2000 रुपये और इनवेस्ट करने के लिए कहा गया तो उन्होंने मना कर दिया. लेकिन स्कैमर ने हार नहीं मानी.
खान बताते हैं कि स्कैमर उन्हें बराबर मैसेज भेजते रहे और उन्हें ऐसी तस्वीरें दिखाईं जिनमें लोगों को उनके निवेश पर मुनाफा कमाते हुए दिखाया गया. इससे खान प्रेरित होकर निवेश करते रहे, जिससे आखिर में उन्हें धोखे का सामना करना पड़ा.
Wysa में चीफ सायकोलॉजिस्ट स्मृति जोशी ने बताया कि स्कैमर झूठे विवरण के जरिए ऐसे प्रमाण पेश करते हैं जिससे लोगों को विश्वास हो जाए.
"वो ये भ्रम पैदा करते हैं कि उनके ऑफर से इतने सारे लोगों का फायदा हुआ है. इससे लोगों की उस मानवीय प्रवृत्ति का फायदा उठाते हैं, जिसमें लोग किसी के कहने पर भरोसा कर लेते हैं''
जोशी ने कहा कि स्कैमर ऐसे मैसेज बनाते हैं जिससे संवेदना और करुणा पैदा होती है. वो यहां तक कि दूसरे लोगों की कठिनाइयों का कहानियां भी शेयर करते हैं और ये दिखाने की कोशिश करते हैं कि कैसे उनके निवेश ने उन्हें इन कठिनाइयों से बाहर निकलने में मदद की.
Science Direct में 2017 में पब्लिश एक आर्टिकल के मुताबिक-
स्कैम अक्सर भावनात्मक रूप से लोगों को उकसाने के लिए डिजायन किए जाते हैं. इसलिए, लोग अपने फैसले लेते समय ''अलग-अलग तरह के जोखिमों और मुनाफों को लेकर ठीक से'' सोच नहीं पाते हैं. इसमें ये भी बताया गया है कि लोग पुष्टि को लेकर उनके पूर्वाग्रह और दूरदर्शिता से जुड़े पूर्वाग्रह की वजह से इन ऑनलाइन स्कैम का शिकार हो जाते हैं.
आर्टिकल में आगे बताया गया है कि ''भावनाओं की वजह से लोग ऑनलाइन स्कैम पर प्रतिक्रिया देते हैं. और काफी हद तक उनकी उस भावनात्मक स्थिति के बारे में बात नहीं की जाती जबकि वो उस समय जो कुछ भी महसूस कर रहे होते हैं वो उनकी उस समय की भावानात्मक स्थिति की वजह से महसूस होता है. ऐसी स्थिति में वो ऐसे फैसले लेने के लिए प्रेरित हो जाते हैं, जो किसी दूसरे को अतार्किक लग रहे हों.''
इतना सब जान लेने के बाद...
क्या इन घोटालों से बचने का कोई तरीका है?
अगर आपको कोई ऐसा ऑफर मिल रहा है जो इतना आकर्षक हो कि यकीन करना मुश्किल हो जाए, तो सावधान हो जाएं और अपने विवेक से काम लें. सवालों की एक लिस्ट बनानी चाहिए.
उदाहरण के लिए, जैसा कि प्रोफेसर शुक्ला ने कहा कि अगर कोई छोटे से निवेश पर ज्यादा रिटर्न दे रहा है तो लोगों को ऐसे ऑफर पर भरोसा नहीं करना चाहिए.
उन्होंने कहा, "ये वैसा ही है जैसा कि बचपन में माता-पिता ने बताया था कि अजनबियों से बात नहीं करनी चाहिए''. उन्होंने विश्वसनीय सोर्स का इस्तेमाल करने पर जोर दिया और बताया कि अगर कोई शख्स किसी संगठन से जुड़ना चाहता है, तो उसे ऑफिशियल वेबसाइटों का संदर्भ लेना चाहिए. न कि किसी भी थर्ड पार्टी वेबसाइट की मदद लेनी चाहिए.
सैनी ने बताया कि अगर कोई शख्स बिना कुछ किए सिर्फ ऐसे मैसेज को अनदेखा कर देता है या WhatsApp पर इस तरह के मैसेज का जवाब नहीं देता है, तो समस्या का एक बड़ा हिस्सा हल हो जाता है.
''अगर आपको WhatsApp पर कोई अनचाहा मैसेज मिलता है, तो आप बस अपने आप से ये पूछें कि आपके पास ये मैसेज क्यों आया? ऐसा इसलिए क्योंकि इस सवाल से आप इसका ज्यादा गंभीरता से विश्लेषण कर पाएंगे. इसके अलावा, इस पर कोई ऐसी प्रतिक्रिया न दें जैसे कि कोई आपका परिचित हो. और अगर आप ऐसा करते हैं, तो मैं समझता हूं कि ज्यादातर समस्याएं वहीं खत्म हो जाएंगी.''
ये ठग हर रोज अनगिनत लोगों को निशाना बना रहे हैं.
क्या आप इन घोटालों की गंभीरता को जानते हैं?
ऑनलाइन जॉब स्कैम के शिकार हैदराबाद के निवासी सुकुमार ( पीड़ित के अनुरोध पर नाम और आवाज बदल दी गई है) ने क्विंट हिंदी को बताया, ''ये सब एक रोमांचक मौके के साथ शुरू हुआ...मेरे पास WhatsApp पर अचानक से एक मैसेज आया, जिसमें सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर की पार्ट टाइम जॉब की बात की गई थी. मैंने कुछ एक्स्ट्रा इनकम के लिए खुद को रजिस्टर कर लिया और सिर्फ 5000 रुपये के शुरुआती निवेश से शुरुआत की.''
सुकुमार को शुरुआत में छोटे-छोटे मुनाफे हुए जिससे प्रभावित होकर उन्होंने अपना निवेश जारी रखा और उन्हें कई टास्क भी कंप्लीट करने पड़े. हालांकि, जिस रिटर्न का वादा किया गया था वो बहुत जल्द ही गायब हो गया और उन्हें लगभग 1,00,000 रुपये का नुकसान हुआ.
लेकिन क्या सिर्फ सुकुमार ही अकेले ऐसे हैं जो इस स्कैम का शिकार हुए हैं?
नहीं, इसकी लिस्ट लंबी है, सुकुमार का मामला तो उनमें से सिर्फ एक है.
The Hindu की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के करीब 15,000 लोग इन ऑनलाइन जॉब स्कैम का शिकार हो चुके हैं.
अधिकारियों ने बताया है कि उनके पास ऐसी शिकायतें भी आईं हैं, जिनमें लोगों ने 80 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये की मोटी रकम तक गंवाई है.
महाराष्ट्र के नासिक में एक महिला स्कैमर के जाल में फंस गई और उन्होंने वर्क फ्राम होम स्कैम में 15 लाख रुपये गंवा दिए. आरोपी ने उनसे अप्रैल में एक इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप पर संपर्क किया था.
तीन दिनों के अंदर ही, स्कैमर्स ने हैदराबाद में करीब 15 लोगों से 1.6 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की. पीड़ितों में से एक और केंद्र सरकार में कर्मचारी को एक महीने में 90 लाख रुपये का नुकसान हुआ.
सॉफ्टवेयर इंजीनियरों से लेकर मैनेजर तक, पढ़े-लिखे लोग भी इन जालसाजों के जाल में फंस गए.
मुंबई साइबर पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 2023 के शुरुआती 4 महीनों में लगभग 65 लोगों के साथ ठगी हुई.
इन ठगों के ज्यादातर शिकार 25 से 55 साल उम्र के बीच के लोग बने.
हो सकता है कि आप अभी तक ऐसे किसी स्कैम का शिकार न हुए हों. लेकिन, ऑनलाइन स्कैम करने वाले हर दिन और ज्यादा बेहतर तरीके से स्कैम करने के तरीके ढूंढ रहे हैं. और ये सिर्फ अलग-अलग स्कैमर्स की अलग-अलग रणनीति ही है जो आपको इसका शिकार बना सकती है.
इस गाइड को सेव कर लें और इसे अपने करीबियों से शेयर जरूर करें, ताकि आप और वो जागरूक हों और इन स्कैम से खुद बचा सकें.
क्रेडिट
रिपोर्टर
अभिषेक आनंद
ग्राफिक डिजाइनर & इलस्ट्रेशन
शुरुआती पेज Midjourney टूल की मदद से कामरान अख्तर के निर्देशन में
कॉमिक सौरभ डिहिंगिया
स्कैमगार्ड लोगो डिजायनर विभूषिता सिंह
हिंदी अनुवाद
सर्वजीत सिंह चौहान
क्रिएटिव डायरेक्टर
नमन शाह
सीनियर एडिटर
अभिलाष मलिक
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