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Afghanistan: तालिबानी शासन के एक साल पूरे, महिलाओं के लिए कितनी बदतर हुई जिंदगी?

Afghanistan Women Under 1 Year of Taliban: 45% से अधिक अफगान लड़कियों को स्कूल नसीब नहीं, 26% में डिप्रेशन के लक्षण

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अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के लौटने और फिर से तालिबानी शासन की वापसी को आज ठीक एक साल हो गए हैं. 15 अगस्त 2021 अफगानिस्तान के लिए एक काला दिन बनकर आया और विशेष रूप से अफगान महिलाओं (Afghanistan Women Under Taliban Rule) के लिए. एक तरफ तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया और दूसरी तरफ एक ही पल में वहां की महिलाओं से उनके अधिकार छीन लिए गए. तालिबान ने पिछले एक साल में वहां की महिलाओं को उनकी नौकरियां छोड़ने को मजबूर किया, उनके स्कूली शिक्षा पर पाबंदी लगाई, उनका सार्वजनिक तौर पर बाहर निकलना मुश्किल कर दिया और यहां तक कि उन्हें डिप्रेशन/अवसाद के गर्त में ढकेल दिया.

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जब से तालिबान ने यहां सत्ता संभाली है, उसने महिलाओं की स्वतंत्रता को सीमित करने वाले दर्जनों प्रतिबंध और फरमान जारी किए हैं. इसने महिलाओं को सरकारी प्रशासन के ऊपरी पदों से हटा दिया है और लड़कियों को माध्यमिक शिक्षा (सेकेंडरी एजुकेशन) से प्रतिबंधित कर दिया है.

कुछ क्षेत्रों में महिलाएं अब टेलीविजन ड्रामा शोज में दिखाई नहीं दे सकती हैं या ड्राइविंग लाइसेंस नहीं ले सकती हैं. वे परिवार के पुरुष सदस्यों के बिना लंबी दूरी की यात्रा नहीं कर सकती हैं. यहां तक कि वहां के कैबड्राइवर्स को यह आदेश दिया गया है कि वे उन महिला पैसेंजर को पिक न करें जिन्होंने हिजाब न पहना हो.

चलिए आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं कि अफगानिस्तान की महिलाओं के लिए तालिबान के 1 साल के शासन ने कितना कुछ बदला है.

45% से अधिक अफगान लड़कियों को स्कूल नसीब नहीं

सितंबर 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान के माध्यमिक विद्यालयों (सेकंडरी स्कूल) को फिर से खोलने का आदेश दिया, लेकिन केवल पुरुष शिक्षकों और छात्रों के लिए, आदेश में महिलाओं और लड़कियों का उल्लेख नहीं था. हालांकि कुछ इलाकों में जनता के दबाव के कारण लड़कियों के लिए भी कुछ स्कूलों को खोला गया लेकिन देश के अधिकांश भाग में उनके लिए स्कूल के दरवाजे बंद थे.

2022 की शुरुआत में तालिबान ने घोषणा की कि लड़कियों सहित सभी स्टूडेंट मार्च 2022 में नए एकेडेमिक सत्र की शुरुआत में वापस स्कूल आ सकते हैं, लेकिन जब लड़कियां माध्यमिक विद्यालय में लौटीं, तो उन्हें तालिबान द्वारा उसी दिन घर भेज दिया गया और इस बार कारण उनके ड्रेस कोड को बताया गया.

सेव द चिल्ड्रन की रिपोर्ट अनुसार, 45% से अधिक लड़कियों ने कहा कि वे स्कूल नहीं जा रही हैं, जबकि लड़कों में यह आंकड़ा केवल 20% है.
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अफगान लड़कियों के भूखे सोने की संभावना लड़कों की तुलना में दोगुनी

सेव द चिल्ड्रन की नवीनतम रिपोर्ट ​​”Breaking point: Life for children one year since the Taliban takeover” के अनुसार अफगानिस्तान में आर्थिक तंगी के कारण 97% परिवारों को अपने परिवार का पेट पालने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है और लड़कियां लड़कों से कम खा रही हैं”. रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में लड़कियों के अक्सर भूखे सोने की संभावना लड़कों की तुलना में दोगुनी है और 10 में से 9 लड़कियों ने कहा कि उनका भोजन पिछले एक साल में कम हो गया है.

26% अफगान लड़कियों में दिख रहे डिप्रेशन के लक्षण

इसी रिपोर्ट के अनुसार, यह तालिबानी शासन लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी खतरनाक असर डाल रहा है. उनके देखभाल (केयरगिवर) करने वालों के साथ हुए इंटरव्यू के अनुसार, 16% लड़कों की तुलना में 26% लड़कियों में डिप्रेशन/अवसाद के लक्षण दिख रहे हैं जबकि 18% लड़कों की तुलना में 27% लड़कियां में एंग्जायटी/चिंता के लक्षण दिख रहे हैं.

पिछले साल में अफगानिस्तान में हुए बाल विवाह में लड़कियों की संख्या 88%

सेव द चिल्ड्रन की रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में आर्थिक स्थिति ऐसी है कि परिवारों के पास पर्याप्त भोजन या बुनियादी वस्तुएं तक नहीं हैं. दूसरी तरफ समुदायों के भीतर बाल विवाह को बढ़ावा मिला है. जिन बच्चों ने कहा कि उन्हें पिछले एक साल में अपने परिवार की वित्तीय स्थिति में सुधार करने के लिए शादी करने के लिए मजबूर किया गया था, उनमें से 88% लड़कियां थीं.

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