आप सड़कों पर अपने मूलभूत अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, और दुनिया के डेवलप्ड देश अपने नागरिकों को एक खुशहाल जिंदगी देने के बारे में सोच रहे हैं. दुनिया का सबसे 'खुश देश' फिनलैंड, हफ्ते में केवल चार दिन ऑफिस (4 Days Working) करने पर विचार कर रहा है. कारण? नागरिकों का वर्क लाइफ बैलेंस बेहतर हो, और वो खुश रहें... क्योंकि नागरिक खुश होंगे तो ही तो देश खुश होगा!
फिनलैंड की नई प्रधानमंत्री सना मरीन, जो दुनिया की सबसे कम उम्र की पीएम भी हैं, ने हफ्ते में चार दिन और दिन में 6 घंटे काम का आइडिया प्रपोज किया है. अगर सब सहमत रहे, तो फिनलैंड 4 डेज वर्किंग लागू करने वाला पहला देश बन जाएगा.
‘मैं मानती हूं कि लोगों को अपने परिवार, करीबियों, हॉबी और जिंदगी की दूसरी चीजों के साथ ज्यादा समय बिताने का मौका मिलना चाहिए.’सना मरीन ने अपनी पार्टी की कॉन्फ्रेंस में ये कहा था
छुट्टियां ज्यादा, काम ज्यादा
4 डेज वर्किंग कर्मचारियों के लिए कितना बेहतर है, ये माइक्रोसॉफ्ट का एक्सपेरिमेंट भी बताता है. माइक्रोसॉफ्ट ने जापान में 4 डेज वर्किंग ट्राई किया और पाया कि इससे इंप्लॉइज का वर्क-लाइफ बैलेंस बेहतर हुआ, साथ ही प्रोडक्टिविटी भी बढ़ी. माइक्रोसॉफ्ट ने पिछले साल अगस्त में 'वर्क लाइप च्वाइस चैलेंज 2019 समर' नाम से एक एक्सपेरिमेंट किया था. कंपनी ने इस एक्सपेरिमेंट में जापान में अपने ऑफिस शुक्रवार से बंद कर दिए. मीटिंग का समय कम कर दिया गया. इसका रिजल्ट ये पाया गया कि कर्मचारियों का वर्क-लाइफ बैलेंस तो अच्छा हुआ ही, उनकी प्रोडक्टिविटी भी अगस्त 2018 के मुकाबले 40 फीसदी बढ़ी.
द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, 4 डेज वर्किंग हमारे कार्बन फुटप्रिंटस को काफी हद तक कम कर सकता है. अगर वर्किंग डेज में से एक दिन कम काम किया जाए, तो कार्बन फुटप्रिंट्स को 36.6 फीसदी तक कम किया जा सकता है.
द गार्जियन की खबर के मुताबिक, रिसर्चर्स ने ये पाया है कि कम घंटे काम करने से प्रोडक्टिविटी में इजाफा देखने को मिला है. ब्रिटेन में एलेक्ट्रा लाइटिंग, थिंक प्रोडक्टिव और पोर्टकलीस लीगल्स 4 डेज वर्किंग को अपनाते हैं. स्वीडन के गोथनबर्ग में जब कुछ नर्स के लिए दिन में 6 घंटे काम को लागू किया गया, तो पाया गया कि वो पहले से खुश और स्वस्थ्य थीं.
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