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फिलिस्तीन एक अलग 'देश', आयरलैंड, स्पेन और नॉर्वे ने मान्यता दी: यूरोप से नेतन्याहू को झटका?

Explained | आयरलैंड, स्पेन और नॉर्वे ने यह कदम क्यों उठाया है? इसपर इजरायल और फिलिस्तीन की ओर से प्रतिक्रिया आई है?

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Palestinian state Recognition: आयरलैंड, स्पेन और नॉर्वे- यूरोप के इन 3 देशों ने घोषणा की है कि वे 28 मई को औपचारिक रूप से फिलिस्तीन को एक अलग देश के रूप में मान्यता देंगे. तीनों देशों के प्रधानमंत्री बुधवार, 22 मई को यह ऐलान किया. इस पर इजरायल की ओर से तत्काल प्रतिक्रिया दी गई है. इजरायल तीनों देशों की राजधानी, डबलिन, मैड्रिड और ओस्लो से अपने राजदूतों को वापस बुला रहा है.

सवाल है कि आयरलैंड, स्पेन और नॉर्वे ने यह कदम क्यों उठाया है? इसपर इजरायल और फिलिस्तीन की ओर से प्रतिक्रिया आई है? फिलिस्तीन को किन देशों से मान्यता मिल चुकी है? फिलिस्तीन अभी किसके कंट्रोल में है? इजरायल को इससे झटका लगेगा?

चलिए इन सभी सवालों का जवाब आपको इस एक्सप्लेनर में देते हैं.

फिलिस्तीन एक अलग 'देश', आयरलैंड, स्पेन और नॉर्वे ने मान्यता दी: यूरोप से नेतन्याहू को झटका?

  1. 1. आयरलैंड, स्पेन और नॉर्वे ने यह कदम क्यों उठाया है?

    आयरिश, स्पैनिश और नॉर्वेजियन सरकारों ने बुधवार को एक साथ यह कदम उठाया और इसका इंतजार लम्बे समय से था. यानी यह अचानक किया गया कोई फैसला नहीं है. उनका लगातार यह कहना था कि उनका उद्देश्य दो-राज्य समाधान (टू-स्टेट सॉल्यूशन) का समर्थन करना और मीडिल ईस्ट में शांति को बढ़ावा देना है.

    Snapshot

    टू-स्टेट सॉल्यूशन या दो-राज्य समाधान का अर्थ इजरायल से अलग फिलिस्तीन को देश मानने और बनाने की योजना है. इसका लक्ष्य इजरायल की संप्रभुता को कमजोर किए बिना फिलिस्तीनी लोगों को राष्ट्रीय आत्मनिर्णय का अधिकार देना है.

    यूरोपीय संघ के सदस्य- आयरलैंड, स्पेन, स्लोवेनिया और माल्टा ने हाल के हफ्तों में संकेत दिया था कि वे फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा करने की योजना बना रहे हैं. जहां ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने हाल के महीनों में संकेत दिया है कि वे जल्द ही ऐसा कर सकते हैं, फ्रांस ने फिलहाल इसी तरह के कदम से इनकार कर दिया है. स्लोवेनिया और माल्टा ने भी हाल ही में कहा है कि वे औपचारिक मान्यता पर विचार कर रहे हैं.

    स्पेन के प्रधान मंत्री पेड्रो सांचेज ने मैड्रिड में अपने संसद में कहा, "हम कई कारणों से फिलिस्तीन को मान्यता देने जा रहे हैं लेकिन हम इसे तीन शब्दों में बता सकते हैं - शांति, न्याय और निरंतरता."

    आयरलैंड के ताओसीच (हेड) साइमन हैरिस ने कहा कि फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा पाने का वैध अधिकार है. वहीं नॉर्वे के प्रधान मंत्री, जोनास गहर स्टोरे ने कहा कि मान्यता के बिना मीडिल ईस्ट नहीं हो सकती है, और नॉर्वे फिलिस्तीन को "सभी अधिकारों और दायित्वों के साथ" एक स्वतंत्र राज्य मानेगा. हालांकि सबने स्पष्ट किया है कि उनका फैसला हमास के पक्ष में नहीं है.

    हमास के 7 अक्टूबर के हमले में इजरायल में मरने वालों की संख्या 1,139 है, जबकि दर्जनों अभी भी बंदी बनाए गए हैं. 7 अक्टूबर से गाजा पर इजरायली हमलों में कम से कम 35,709 लोग मारे गए हैं और 79,990 घायल हुए हैं.
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  2. 2. इजरायल और फिलिस्तीन की ओर से प्रतिक्रिया आई है?

    इजरायल ने इन देशों को फिलिस्तीन को मान्यता देने से रोकने की कोशिश करने के लिए एक त्वरित राजनयिक जवाबी कार्रवाई शुरू की. विदेश मंत्री ने तीनों देशों में मौजूद इजरायली राजदूतों को तत्काल लौटने का आदेश दिया और चेतावनी दी कि आगे "गंभीर परिणाम" हो सकते हैं.

    उन्होंने कहा, "मैं आज एक स्पष्ट संदेश भेज रहा हूं. इजरायल उन लोगों के खिलाफ लापरवाह नहीं होगा जो उसकी संप्रभुता को कमजोर करते हैं और उसकी सुरक्षा को खतरे में डालते हैं."

    इजरायल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह आयरिश, स्पेनिश और नॉर्वेजियन राजदूतों को फटकार लगाएगा और उन्हें हमास द्वारा बंधक बनाई गई महिला बंधकों का वीडियो दिखाएगा.

    एक्स पर एक पोस्ट में, इजरायल के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि फिलिस्तीन को देश की मान्यता देने से "क्षेत्र में अधिक आतंकवाद, अस्थिरता बढ़ेगी और शांति की कोई भी संभावना खतरे में पड़ जाएगी".

    वेस्ट बैंक में स्थित फिलिस्तीनी नागरिक सरकार के विदेश मंत्रालय ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "विदेश मंत्रालय और प्रवासी मंत्रालय फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने के लिए स्पेन, नॉर्वे और आयरलैंड द्वारा लिए गए निर्णय का स्वागत करता है."

    "इस महत्वपूर्ण कदम के साथ, स्पेन, नॉर्वे और आयरलैंड ने एक बार फिर दो-राज्य समाधान और फिलिस्तीनी लोगों को लंबे समय से प्रतीक्षित न्याय दिलाने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है."
    फिलिस्तीनी नागरिक सरकार का विदेश मंत्रालय

    वहीं हमास, जिसने 2007 में गाजा पट्टी पर नियंत्रण कर लिया था, उसने भी प्रतिक्रिया दी है. एएफपी को दिए एक बयान में, हमास के एक वरिष्ठ नेता बासेम नईम का कहना है कि इस कदम के पीछे फिलिस्तीनी लोगों का "बहादुर प्रतिरोध" है. "हमारा मानना ​​है कि यह फिलिस्तीनी मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय पोजिशन में एक महत्वपूर्ण टर्न होगा."

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  3. 3. फिलिस्तीन को किन देशों से मान्यता मिल चुकी है?

    संयुक्त राष्ट्र को लिखे एक हालिया पत्र के अनुसार, कम से कम 140 देशों ने फिलिस्तीन को देश के रूप में मान्यता दी है.

    इसमें संयुक्त राष्ट्र में 22 देशों के अरब समूह, 57 देशों के इस्लामी सहयोग संगठन और 120 सदस्यीय गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सदस्य शामिल हैं. भारत भी फिलिस्तीन को देश के रूप में मान्यता देने वाले शुरूआती देशों में से एक है.

    बुधवार की घोषणाओं से पहले, केवल नौ यूरोपीय देशों ने फिलिस्तीन को अलग देश के रूप में मान्यता दी थी. उनमें से अधिकांश ने 1988 में निर्णय लिया था जब वे सोवियत गुट का हिस्सा थे. 2014 में, स्वीडन पश्चिमी यूरोप में फिलिस्तीन को मान्यता देने वाला पहला यूरोपीय संघ सदस्य बन गया.

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  4. 4. फिलिस्तीन अभी किसके कंट्रोल में?

    वेस्ट बैंक में शासन करने वाली फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) को अभी महमूद अब्बास सरकार चलाती है जो अलोकप्रिय, कमजोर और भ्रष्टाचार के आरोप में लिपटी है. फिलिस्तीन को मान्यता मिलने की दिशा में बड़ा कदम अब्बास सरकार के लिए दोधारी तलवार हो सकती है. उम्रदराज अब्बास ने 2006 के बाद से चुनाव नहीं कराया है. अब्बास के पास खुद कोई लोकप्रिय जनादेश नहीं है.

    अभी फिलिस्तीन की जनता केवल इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों में फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) के माध्यम से स्वशासन करती है. PA ने 2007 में गाजा पट्टी का नियंत्रण हमास के हाथों खो दिया था. संयुक्त राष्ट्र दोनों क्षेत्रों को इजरायल के कब्जे वाला और एक ही राजनीतिक इकाई वाला मानता है.

    हमास के हमले के बाद इजरायल ने जवाबी कार्रवाई में गाजा के अधिकतर हिस्सों पर नियंत्रण कर लिया है.

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  5. 5. इजरायल को लगेगा झटका?

    इजराइल की राजनीति में एक बात कही जाती है कि इजराइल अपनी नीतियों के कारण कूटनीतिक सुनामी का जोखिम हर समय उठाता है. हाल के सप्ताहों में नेतन्याहू पर सुनामी का कहर शुरू हो गया है. ऐसे में यूरोप के इन 3 देशों की फिलिस्तीन को मान्यता नेतन्याहू और उनके रक्षा मंत्री पर और दवाब बनाएगी.

    देश के अंदर पहले से ही विरोध झेल रहे नेतन्याहू के लिए देश के बाहर भी चुनौती बढ़ती जा रही है.

    इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में नेतन्याहू, रक्षा मंत्री योआव गैलेंट और हमास के तीन नेताओं के खिलाफ युद्ध और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी करने की अपील की गई है. इसके साथ कथित नरसंहार के लिए दक्षिण अफ्रीका के आदेश पर इजराइल की जांच की जा रही है.

    अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों ने भी इजरायल के अति-दक्षिणपंथी समूहों के खिलाफ प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है.

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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आयरलैंड, स्पेन और नॉर्वे ने यह कदम क्यों उठाया है?

आयरिश, स्पैनिश और नॉर्वेजियन सरकारों ने बुधवार को एक साथ यह कदम उठाया और इसका इंतजार लम्बे समय से था. यानी यह अचानक किया गया कोई फैसला नहीं है. उनका लगातार यह कहना था कि उनका उद्देश्य दो-राज्य समाधान (टू-स्टेट सॉल्यूशन) का समर्थन करना और मीडिल ईस्ट में शांति को बढ़ावा देना है.

स्नैपशॉट

टू-स्टेट सॉल्यूशन या दो-राज्य समाधान का अर्थ इजरायल से अलग फिलिस्तीन को देश मानने और बनाने की योजना है. इसका लक्ष्य इजरायल की संप्रभुता को कमजोर किए बिना फिलिस्तीनी लोगों को राष्ट्रीय आत्मनिर्णय का अधिकार देना है.

यूरोपीय संघ के सदस्य- आयरलैंड, स्पेन, स्लोवेनिया और माल्टा ने हाल के हफ्तों में संकेत दिया था कि वे फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा करने की योजना बना रहे हैं. जहां ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने हाल के महीनों में संकेत दिया है कि वे जल्द ही ऐसा कर सकते हैं, फ्रांस ने फिलहाल इसी तरह के कदम से इनकार कर दिया है. स्लोवेनिया और माल्टा ने भी हाल ही में कहा है कि वे औपचारिक मान्यता पर विचार कर रहे हैं.

स्पेन के प्रधान मंत्री पेड्रो सांचेज ने मैड्रिड में अपने संसद में कहा, "हम कई कारणों से फिलिस्तीन को मान्यता देने जा रहे हैं लेकिन हम इसे तीन शब्दों में बता सकते हैं - शांति, न्याय और निरंतरता."

आयरलैंड के ताओसीच (हेड) साइमन हैरिस ने कहा कि फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा पाने का वैध अधिकार है. वहीं नॉर्वे के प्रधान मंत्री, जोनास गहर स्टोरे ने कहा कि मान्यता के बिना मीडिल ईस्ट नहीं हो सकती है, और नॉर्वे फिलिस्तीन को "सभी अधिकारों और दायित्वों के साथ" एक स्वतंत्र राज्य मानेगा. हालांकि सबने स्पष्ट किया है कि उनका फैसला हमास के पक्ष में नहीं है.

हमास के 7 अक्टूबर के हमले में इजरायल में मरने वालों की संख्या 1,139 है, जबकि दर्जनों अभी भी बंदी बनाए गए हैं. 7 अक्टूबर से गाजा पर इजरायली हमलों में कम से कम 35,709 लोग मारे गए हैं और 79,990 घायल हुए हैं.
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इजरायल और फिलिस्तीन की ओर से प्रतिक्रिया आई है?

इजरायल ने इन देशों को फिलिस्तीन को मान्यता देने से रोकने की कोशिश करने के लिए एक त्वरित राजनयिक जवाबी कार्रवाई शुरू की. विदेश मंत्री ने तीनों देशों में मौजूद इजरायली राजदूतों को तत्काल लौटने का आदेश दिया और चेतावनी दी कि आगे "गंभीर परिणाम" हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, "मैं आज एक स्पष्ट संदेश भेज रहा हूं. इजरायल उन लोगों के खिलाफ लापरवाह नहीं होगा जो उसकी संप्रभुता को कमजोर करते हैं और उसकी सुरक्षा को खतरे में डालते हैं."

इजरायल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह आयरिश, स्पेनिश और नॉर्वेजियन राजदूतों को फटकार लगाएगा और उन्हें हमास द्वारा बंधक बनाई गई महिला बंधकों का वीडियो दिखाएगा.

एक्स पर एक पोस्ट में, इजरायल के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि फिलिस्तीन को देश की मान्यता देने से "क्षेत्र में अधिक आतंकवाद, अस्थिरता बढ़ेगी और शांति की कोई भी संभावना खतरे में पड़ जाएगी".

वेस्ट बैंक में स्थित फिलिस्तीनी नागरिक सरकार के विदेश मंत्रालय ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "विदेश मंत्रालय और प्रवासी मंत्रालय फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने के लिए स्पेन, नॉर्वे और आयरलैंड द्वारा लिए गए निर्णय का स्वागत करता है."

"इस महत्वपूर्ण कदम के साथ, स्पेन, नॉर्वे और आयरलैंड ने एक बार फिर दो-राज्य समाधान और फिलिस्तीनी लोगों को लंबे समय से प्रतीक्षित न्याय दिलाने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है."
फिलिस्तीनी नागरिक सरकार का विदेश मंत्रालय

वहीं हमास, जिसने 2007 में गाजा पट्टी पर नियंत्रण कर लिया था, उसने भी प्रतिक्रिया दी है. एएफपी को दिए एक बयान में, हमास के एक वरिष्ठ नेता बासेम नईम का कहना है कि इस कदम के पीछे फिलिस्तीनी लोगों का "बहादुर प्रतिरोध" है. "हमारा मानना ​​है कि यह फिलिस्तीनी मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय पोजिशन में एक महत्वपूर्ण टर्न होगा."

फिलिस्तीन को किन देशों से मान्यता मिल चुकी है?

संयुक्त राष्ट्र को लिखे एक हालिया पत्र के अनुसार, कम से कम 140 देशों ने फिलिस्तीन को देश के रूप में मान्यता दी है.

इसमें संयुक्त राष्ट्र में 22 देशों के अरब समूह, 57 देशों के इस्लामी सहयोग संगठन और 120 सदस्यीय गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सदस्य शामिल हैं. भारत भी फिलिस्तीन को देश के रूप में मान्यता देने वाले शुरूआती देशों में से एक है.

बुधवार की घोषणाओं से पहले, केवल नौ यूरोपीय देशों ने फिलिस्तीन को अलग देश के रूप में मान्यता दी थी. उनमें से अधिकांश ने 1988 में निर्णय लिया था जब वे सोवियत गुट का हिस्सा थे. 2014 में, स्वीडन पश्चिमी यूरोप में फिलिस्तीन को मान्यता देने वाला पहला यूरोपीय संघ सदस्य बन गया.

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फिलिस्तीन अभी किसके कंट्रोल में?

वेस्ट बैंक में शासन करने वाली फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) को अभी महमूद अब्बास सरकार चलाती है जो अलोकप्रिय, कमजोर और भ्रष्टाचार के आरोप में लिपटी है. फिलिस्तीन को मान्यता मिलने की दिशा में बड़ा कदम अब्बास सरकार के लिए दोधारी तलवार हो सकती है. उम्रदराज अब्बास ने 2006 के बाद से चुनाव नहीं कराया है. अब्बास के पास खुद कोई लोकप्रिय जनादेश नहीं है.

अभी फिलिस्तीन की जनता केवल इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों में फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) के माध्यम से स्वशासन करती है. PA ने 2007 में गाजा पट्टी का नियंत्रण हमास के हाथों खो दिया था. संयुक्त राष्ट्र दोनों क्षेत्रों को इजरायल के कब्जे वाला और एक ही राजनीतिक इकाई वाला मानता है.

हमास के हमले के बाद इजरायल ने जवाबी कार्रवाई में गाजा के अधिकतर हिस्सों पर नियंत्रण कर लिया है.

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इजरायल को लगेगा झटका?

इजराइल की राजनीति में एक बात कही जाती है कि इजराइल अपनी नीतियों के कारण कूटनीतिक सुनामी का जोखिम हर समय उठाता है. हाल के सप्ताहों में नेतन्याहू पर सुनामी का कहर शुरू हो गया है. ऐसे में यूरोप के इन 3 देशों की फिलिस्तीन को मान्यता नेतन्याहू और उनके रक्षा मंत्री पर और दवाब बनाएगी.

देश के अंदर पहले से ही विरोध झेल रहे नेतन्याहू के लिए देश के बाहर भी चुनौती बढ़ती जा रही है.

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में नेतन्याहू, रक्षा मंत्री योआव गैलेंट और हमास के तीन नेताओं के खिलाफ युद्ध और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी करने की अपील की गई है. इसके साथ कथित नरसंहार के लिए दक्षिण अफ्रीका के आदेश पर इजराइल की जांच की जा रही है.

अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों ने भी इजरायल के अति-दक्षिणपंथी समूहों के खिलाफ प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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