इजरायल के जेरूसलम में पुलिस और फलीस्तीनियों के बीच झड़प में 160 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. ये झड़पें 7 मई को जेरुसलम के अल-अक्सा मस्जिद परिसर में हुईं. इजरायली पुलिस और फलीस्तीनियों के बीच हफ्ते भर से हिंसक झड़पें हो रही हैं.
अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम में तीसरा सबसे पवित्र स्थान है. यहूदियों के लिए भी इसका बड़ा महत्त्व है. इसके अलावा रमजान का महीना चल रहा है, जिसकी वजह से मस्जिद में 7 मई को रमजान के आखिरी शुक्रवार को काफी भीड़ थी.
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली पुलिस पर पत्थर, बोतल और पटाखे फेंके गए, जबकि पुलिस ने भीड़ पर रबर बुलेट और स्टन ग्रेनेड फेंके.
पूर्वी जेरुसलम में अल-अक्सा और बाकी जगहों पर कम से कम 163 फलीस्तीनी और छह इजरायली अफसर घायल हो गए. फलीस्तीनी रेड क्रेसेंट का कहना है कि इसके एक फील्ड अस्पताल खोला है क्योंकि इमरजेंसी रूम भरे हुए हैं.
फलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि वो अशांति के लिए इजरायली सरकार को ‘जिम्मेदार’ ठहराते हैं और ‘अक्सा के हीरोज को पूरा समर्थन देते हैं.’
साल 2000 में अल-अक्सा मस्जिद से ही दूसरा फलीस्तीनी इंतिफादा (विद्रोह) शुरू हुआ था. इसकी शुरुआत इजरायल के दक्षिणपंथी नेता एरियल शेरोन के मस्जिद का दौरे करने से हुई थी.
क्यों हो रही झड़पें?
जेरुसलम में कई हफ्तों से तनाव चल रहा है क्योंकि इजरायल ने शहर के कुछ हिस्सों को प्रतिबंधित कर दिया था. इन हिस्सों में रमजान के महीने में फलीस्तीनी लोग नमाज के बाद जमा होते थे. पूर्वी जेरुसलम के इन हिस्सों पर इजरायल और फलीस्तीन दोनों दावा करते हैं.
काफी दिनों तक चले तनाव और झड़प के बाद इजरायल ने ये प्रतिबंध हटा लिए थे.
लेकिन फिर इजरायल ने पूर्वी जेरुसलम के शेख जर्राह इलाके से कई फलीस्तीनियों को जबरन हटा दिया. लंबे समय से इजरायल इस इलाके में अपने लोगों को बसाने की कोशिश कर रहा है. इसकी वजह से एक बार फिर झड़पें शुरू हो गई हैं.
अमेरिका ने तनाव को कम करने की अपील की है और कहा है कि 'जबरन हटाए जाने' से पूर्वी जेरुसलम की स्थिति बिगड़ सकती है. वहीं, संयुक्त राष्ट्र (UN) ने चेतावनी दी है कि लोगों को जबरन हटाना 'युद्ध अपराध' की श्रेणी में आएगा.
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