नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स को भंग कर दिया है और मिड-टर्म चुनाव की तारीखों का ऐलान किया है. ये चुनाव 12 और 19 नवंबर को होंगे. राष्ट्रपति ने नई सरकार बनाने के लिए केपी शर्मा ओली और शेर बहादुर देउबा दोनों के दावों को खारिज कर दिया.
बता दें कि प्रधानमंत्री ओली और विपक्ष के नेता देउबा ने नई सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राष्ट्रपति की ओर से राजनीतिक दलों को दिए गए शुक्रवार शाम पांच बजे तक के समय से कुछ वक्त पहले ही अपने-अपने दावे पेश किए थे.
ओली ने दावा किया था कि उन्हें हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स में 153 सदस्यों का समर्थन हासिल है. वहीं, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने 149 सांसदों का समर्थन होने का दावा किया था. इन दावों पर इसलिए सवाल उठ रहे थे कि दोनों पक्षों के आंकड़ों की कुल संख्या हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स के मौजूदा संख्या 271 से ज्यादा हो रही थी.
ओली ने अपने दावे से एक दिन पहले ही राष्ट्रपति भंडारी से सिफारिश की थी कि नेपाल के संविधान के आर्टिकल 76 (5) के अनुरूप नई सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तब उन्होंने एक और शक्ति परीक्षण के लिए अनिच्छा जाहिर की थी.
बता दें कि ओली सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष हैं. उन्होंने 14 मई को तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
राष्ट्रपति भंडारी ने ओली (69) को 13 मई को फिर से प्रधानमंत्री नियुक्त किया था, जब विपक्षी पार्टियां नई सरकार बनाने के लिए संसद में बहुमत हासिल करने में नाकाम रही थीं. इससे तीन दिन पहले ओली हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स में अहम विश्वास मत हार गए थे.
ओली को नई सरकार चलाने के लिए सदन में बहुमत साबित करने को 30 दिन का वक्त मिला था. उनकी पार्टी सीपीएन-यूएमएल 121 सीटों के साथ हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स में सबसे बड़ी पार्टी थी, जबकि मौजूदा संख्याबल के हिसाब से सरकार बनाने के लिए 136 सीटों की जरूरत थी.
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