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Pushpa Kamal Dahal ने तीसरी बार ली नेपाल के PM पद की शपथ- विद्रोही नेता का सफर

Pushpa Kamal Dahal: हथियार से सत्ता तक, तीसरी बार PM बनने वाले प्रचंड कौन हैं?

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Pushpa Kamal Dahal ने तीसरी बार ली नेपाल के PM पद की शपथ- विद्रोही नेता का सफर
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नेपाल (Nepal) के नए प्रधानमंत्री के रूप में CPN-UML के नेता पुष्प दहल 'प्रचंड' ने सोमवार को शपथ ले ली है. नेपाल में में जारी सियासी उठक पटक के बीच, विपक्षी सीपीएन-यूएमएल (CPN-UML) और अन्य छोटे दलों ने सीपीएन-माओवादी (CPN-M) केंद्र के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल "प्रचंड" (Pushpa Kamal Dahal Prachanda) को अपना समर्थन दिया था.

आइए यहां तीसरी बार प्रधानमंत्री बने 'प्रचंड' की राजनीतिक यात्रा के बारे में जानते हैं...

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प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ विद्रोही नेता भी रहे "प्रचंड"

पुष्प कमल दहल को उनके उपनाम "प्रचंड" के नाम से भी जाना जाता है. नेपाल के गृहयुद्ध, बाद की शांति प्रक्रिया और पहली नेपाली संविधान सभा के दौरान यह नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के नेता थे. 2008 के चुनावों में इनकी पार्टी सीपीएन (एम) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और दहल उसी साल अगस्त में प्रधानमंत्री बने. उन्होंने 4 मई 2009 को तत्कालीन सेना प्रमुख, जनरल रूकमंगुद कटवाल को बर्खास्त करने के अपने प्रयास के बाद पद से इस्तीफा दे दिया, जिसका तत्कालीन राष्ट्रपति राम बरन यादव ने विरोध किया था.

पुष्प कमल दहल नेपाल के प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ विद्रोही नेता भी रहे हैं.

हथियार से सत्ता तक, तीसरी बार PM बनने वाले प्रचंड कौन हैं?

(फोटो- आईएएनएस) 

पुष्प कमल दहल ने अपनी जवानी के दौर में में घोर गरीबी देखी और वे वामपंथी राजनीतिक दलों की ओर आकर्षित हुए. वह 1981 में नेपाल की भूमिगत कम्युनिस्ट पार्टी (चौथा सम्मेलन) में शामिल हो गए. वह 1989 में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (मशाल) के महासचिव बने. यह पार्टी बाद में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) बन गई. 1990 में लोकतंत्र की बहाली के बाद भी प्रचंड भूमिगत थे.

हथियार से सत्ता तक, तीसरी बार PM बनने वाले प्रचंड कौन हैं?

(फोटो- आईएएनएस)

'प्रचंड' का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में पोखरा, कास्की में हुआ उन्हें तब घनश्याम दहल के रूप में जाना जाता था. राजनीति में आने से पहले पुष्प कमल दहल एक टीचर थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1972 में, उन्होंने चितवन के शिव नगर के एक स्कूल में पढ़ाया और फिर 1976 से 1978 तक नवलपरासी के डंडा हायर सेकेंडरी स्कूल और गोरखा के भीमोडाया हायर सेकेंडरी स्कूल में भी पढ़ाया.

इस तरह बेहद नीचे से शुरुआत करने वाले प्रचंड अब तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले हैं. उम्मीद लगाई जा रही है कि इसका सकारात्मक असर भारत के साथ संबंधों पर भी पड़ेगा. चाहे वह सीमारेखा का मामला हो या तराई मुद्दों पर ब्लॉकेड का, बता दें हाल के समय में नेपाल और भारत के बीच कई मुद्दों पर टकराव बढ़ा है.

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