Russia Attack Ukraine: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ जंग का एलान कर दिया है. युद्ध अब यूक्रेन की राजधानी कीव तक पहुंच चुका है जहां अब विस्फोटों और हवाई हमलों के कारण इमरजेंसी सायरन की आवाज गूंज रही है. रूसी जनता को संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा कि हमारा उद्देश्य यूक्रेन पर कब्जा नहीं बल्कि उसके सैन्य ताकत को खत्म करना है. बावजूद इस दिलासे के पुतिन के 22 साल के कार्यकाल में दुनिया ने कई खूनी संघर्ष देखे हैं.
चलिए शुरू करते हैं 31 दिसंबर 1999 से जब तात्कालिक रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने खराब स्वास्थ्य के कारण अपना इस्तीफा दे दिया और पहली बार व्लादिमीर पुतिन रूस के कार्यवाहक राष्ट्रपति बने. कुछ ही महीने बाद 26 मार्च 2000 में पुतिन ने अपना पहला राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया.
इसके बाद से शुरू हुआ ऐसा कार्यकाल जहां हिंसा कभी चुपके से आई तो कभी पुतिन ने देश को रणनीति के तहत इसमें उतारा.
रूस- जॉर्जिया युद्ध
अगस्त 2008 में रूस ने जॉर्जिया के साथ 5 दिनों का युद्ध लड़ा था. जॉर्जिया में दो अलगाववादी क्षेत्र- दक्षिण ओसेशिया और अबकाजिया संघर्ष के केंद्र में थे. अबकाजिया और दक्षिण ओसेशिया के अलगाववादियों को रूस द्वारा ठीक वैसा ही समर्थन प्राप्त था जैसा कि आज पूर्वी यूक्रेन में लुहान्स्क और डोनेट्स्क (Luhansk & Donetsk) को पुतिन दे रहे हैं.
5 दिनों के युद्ध के बारे में यूरोपीय यूनियन की आधिकारिक फैक्ट-चेक रिपोर्ट के अनुसार जॉर्जिया के 170 सैनिक, 14 पुलिसकर्मी और 228 नागरिक मारे गए जबकि 1,747 घायल हो गए. साथ ही 67 रूसी सैनिक मारे गए और 283 घायल हो गए, जबकि दक्षिण ओसेशिया में 365 सैनिक और नागरिक मारे गए.
हालांकि संवैधानिक सीमाओं के कारण पुतिन मई 2008 में दिमित्री मेदवेदेव को राष्ट्रपति बना खुद प्रधानमंत्री बन गए थे लेकिन माना जाता है कि इस दौरान शासन की पूरी कमान उन्होंने अपने हाथ में ले रखी थी.
दक्षिण ओसेशिया और अबकाजिया आधिकारिक तौर पर जॉर्जिया का हिस्सा हैं, लेकिन रूस ने उनकी स्वतंत्रता को अपनी मान्यता दे रखी है.
यूक्रेन से क्रीमिया हड़पना
2012 में पुतिन फिर से राष्ट्रपति पद पर लौटे. राष्ट्रपति पद के कार्यकाल को 4 साल की जगह 6 साल तक बढ़ाने के फैसले के बाद पुतिन 60% से अधिक वोट के साथ फिर से चुनाव जीते थे. हालांकि चुनावी धांधली का आरोप लगा और वोट से पहले और बाद पुतिन के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए.
खैर, पुतिन के निशाने पर इस बार था यूक्रेन. फरवरी 2014 यूक्रेन में प्रदर्शनकारियों द्वारा रूस के अनुकूल यूक्रेनी राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को सत्ता से बाहर करने के बाद रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र पर कब्जा करना शुरू कर दिया.
रूस ने पश्चिमी देशों के विरोध के बावजूद जनमत संग्रह कराया और क्रीमिया को रूस में शामिल कर लिया. अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने मॉस्को पर प्रतिबंध भी लगाया.
21 मार्च 2014 को, पुतिन ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा जैसे पश्चिमी नेताओं की चेतावनी को धता बताते हुए, क्रीमिया को रूस में शामिल करने की प्रक्रिया को पूरा करने वाले कानून पर साइन किया.
हिंसक कार्यकाल के दूसरे उदाहरण
2002 में चेचन्या उग्रवादियों ने मॉस्को के एक थिएटर में 800 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया था. रूस के विशेष बल ने उग्रवादियों को मारने के लिए एक जहरीली गैस का उपयोग किया लेकिन इसमें उग्रवादियों के साथ-साथ कई बंधक भी मारे गए.
सितंबर 2004 में दक्षिणी रूस के बेसलान में एक स्कूल में इस्लामिक लड़ाकों ने 1,000 से अधिक लोगों को तीन दिनों तक बंधक बनाए रखा, जो गोलियों के साथ समाप्त हुआ. इसमें कुल 334 बंधक मारे गए. इनमें आधे से ज्यादा बच्चे थे.
2006 में चेचन्या में मनवाधिकारों के हनन के आलोचक पत्रकार अन्ना पोलितकोवस्काया की मॉस्को में पुतिन के जन्मदिन पर हत्या कर दी गई.
पुतिन के आलोचक अलेक्जेंडर लिटविनेंको की 2006 में लंदन में एक रेडियोएक्टिव जहर खाने के बाद मृत्यु हो गई. सालों बाद एक ब्रिटिश जांच ने पाया गया कि लिटविनेंको को रूसी जासूसों ने ही जहर दिया था.
4 मार्च, 2018 में एक पूर्व रूसी जासूस, सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी को इंग्लैंड में नर्व एजेंट से जहर दिया गया. ब्रिटेन ने मॉस्को पर आरोप लगाया जो इसमें शामिल होने से इनकार करता है.
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